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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर दिल्ली HC में आज सुनवाई - पटना की खबर

पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया था. इसलिए ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Sep 15, 2020, 9:22 AM IST

Updated : Sep 15, 2020, 11:41 AM IST

नई दिल्ली/पटनाः दिल्ली हाईकोर्ट आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

साकेत कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
पिछले 22 जुलाई को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. मुख्य आरोपी ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उसे दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

'ट्रायल कोर्ट का फैसला सही'
पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकार अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है. सीबीआई की ओर से वकील राजेश कुमार ने कहा कि उनका जवाब कल ही दाखिल किया गया है. इसलिए कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं है. ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है.

दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर जमा भीड़

11 दोषियों को उम्रकैद की मिली थी सजा
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे. इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया था.

बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 को इस मामले की सुनवाई शुरु की थी.

नई दिल्ली/पटनाः दिल्ली हाईकोर्ट आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

साकेत कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
पिछले 22 जुलाई को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. मुख्य आरोपी ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उसे दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

'ट्रायल कोर्ट का फैसला सही'
पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकार अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है. सीबीआई की ओर से वकील राजेश कुमार ने कहा कि उनका जवाब कल ही दाखिल किया गया है. इसलिए कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं है. ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है.

दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर जमा भीड़

11 दोषियों को उम्रकैद की मिली थी सजा
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे. इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया था.

बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 को इस मामले की सुनवाई शुरु की थी.

Last Updated : Sep 15, 2020, 11:41 AM IST
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