ETV Bharat / state

Patna High Court : फार्मासिस्ट के मुद्दे पर सुनवाई, हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय - ईटीवी भारत बिहार

बिहार में फार्मासिस्ट के मुद्दे पर पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस की बेंच ने हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Aug 3, 2023, 3:24 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुरोध पर हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court : बिहार में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट की पर्याप्त संख्या नहीं होने पर 2 सप्ताह में सुनवाई

SC के आलोग पर जनहित याचिका : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए समय दिया था. ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं.

कानून का हो रहा उल्लंघन : प्रशान्त सिन्हा ने कहा था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटा जाता है. जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी है.

बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल की भूमिका पर उठे सवाल : याचिका में कहा गया है कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए.

एक सप्ताह बाद अगली सुनवाई : ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है. राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है. इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुरोध पर हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court : बिहार में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट की पर्याप्त संख्या नहीं होने पर 2 सप्ताह में सुनवाई

SC के आलोग पर जनहित याचिका : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए समय दिया था. ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं.

कानून का हो रहा उल्लंघन : प्रशान्त सिन्हा ने कहा था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटा जाता है. जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी है.

बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल की भूमिका पर उठे सवाल : याचिका में कहा गया है कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए.

एक सप्ताह बाद अगली सुनवाई : ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है. राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है. इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.