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Bihar Caste Census : राज्य सरकार ने HC में कहा- 'जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा' - Chief Justice KV Chandran

बिहार में जातीय गणना सर्वेक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई. गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
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Published : Jul 5, 2023, 5:24 PM IST

पटना : पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कल 6 जुलाई, 2023 को भी जारी रहेगी. इस मामले में दायर याचिकायों पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है.

ये भी पढ़ें - Bihar Caste Census: जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट में हुई सुनवाई.. कल भी जारी रहेगी

'जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा' : आज राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि ये सर्वे है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना, जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के लिए किया जाना है. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है.

'जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा' : पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है. ऐसा सर्वेक्षण करना राज्य सरकार के अधिकार में है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्वेक्षण से किसी के निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. महाधिवक्ता शाही ने कहा कि बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक हैं.

कोर्ट ने क्या पूछा था? : इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है? कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं? साथ ही ये भी जानना चाहि कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या?

'ये असंवैधानिक और समानता के अधिकार का उल्लंघन' : कल की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है. ये असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

'ये सर्वेक्षण संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत' : अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है. उन्होंने कहा था कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है. उन्होंने बताया था कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार 5 सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है.

पटना : पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कल 6 जुलाई, 2023 को भी जारी रहेगी. इस मामले में दायर याचिकायों पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है.

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'जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा' : आज राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि ये सर्वे है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना, जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के लिए किया जाना है. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है.

'जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा' : पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है. ऐसा सर्वेक्षण करना राज्य सरकार के अधिकार में है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्वेक्षण से किसी के निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. महाधिवक्ता शाही ने कहा कि बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक हैं.

कोर्ट ने क्या पूछा था? : इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है? कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं? साथ ही ये भी जानना चाहि कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या?

'ये असंवैधानिक और समानता के अधिकार का उल्लंघन' : कल की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है. ये असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

'ये सर्वेक्षण संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत' : अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है. उन्होंने कहा था कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है. उन्होंने बताया था कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार 5 सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है.

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