पटनाः बिहार शिक्षक बहाली में बीएड अभ्यर्थियों की नियुक्ती पर रोक को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. प्राथमिक शिक्षक में शामिल करने की मांग को लेकर बीएड अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी. इस मामले में शुक्रवार को जस्टिस एएस बोपन्ना और एम सुंदरेश की खंडपीठ में सुनवाई हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं आया. हालांकि कोर्ट ने वापस से अनिरुद्ध बोस के बेंच जाने की सलाह दी है. इसकी जानकारी याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव ने दी.
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"बीएड अभ्यर्थियों की बहाली पर रोक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, इस सुनवाई में कोर्ट ने केस को जस्टिस अनिरुद्ध बोस के बेंच को ट्रांसफर कर दिया है. अभी भी बीएड अभ्यर्थियों की की उम्मीद जिंदा है. क्योंकि राजस्थान शिक्षक बहाली में भी जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने फैसला दिया था, इसलिए अब जस्टिस अनिरुद्ध बोस से अभ्यर्थियों की उम्मीद है." -दीपांकर गौरव, याचिकाकर्ता
बिहार सरकार अभ्यर्थियों के पक्ष में नहींः इसके बाद अभ्यर्थियों को अब अनिरुद्ध बोस से उम्मीद है कि शायद वहां से कोई फैसला हो जाए. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि बिहार सरकार अभ्यर्थियों के पक्ष में नहीं दिख रही है. दरअसल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने ही राजस्थान मामले में फैसला दिया था कि डीएलएड पास अभ्यर्थी ही प्राइमरी स्कूल में शिक्षक बन सकते हैं. इसके बाद बिहार में हो रही शिक्षक बहाली में भी BPSC ने इसे लागू कर दिया गया था.
3.90 लाख बीएड अभ्यर्थियों ने दी थी परीक्षाः बता दें कि बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों की बहाली निकाली गई. इस बहाली में प्राइमरी स्कूल में कक्ष 1-5 तक 79,943, 9-10 के लिए 32,916 और 11-12 के लिए 57,602 पदों पर बहाली निकाली गई थी. इसके लिए बीपीएसपी ने शिक्षक बहाली 2023 के लिए परीक्षा ली थी. इसमें करीब 6 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, जिसमें बीएड अभ्यर्थी 3 लाख 90 हजार के आसपास परीक्षा थी. यानि कुल अभ्यर्थियों में आधे से अधिक बीएड के अभ्यर्थी थे.
बीएड अभ्यर्थियों की बहाली पर रोकः जिस समय बहाली निकाली गई थी, उस समय ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया था कि बीएड अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बनेंगे. इसी बीच राजस्थान शिक्षक बहाली में सुप्रीम कोर्ट में फैसला आया था कि प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए बीटीसी या डीएएलएड पास होना जरूरी है. इस फैसले के बाद बिहार शिक्षक बहाली में भी बीपीएससी ने इस नियम को लागू कर दिया. आयोग की ओर से निर्देश भी जारी किया गया कि बीएड अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी नहीं किया जाएगा.
जस्टिस अनुरुद्ध बोस से उम्मीदः आयोग की ओर से ऐसा फैसला आने के बाद याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव और मीकू पाल में सुप्रीम कोर्ट में चाचिका दायर की थी. इसी चायिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई की गई. याचिकाकर्ता की ओर से वरीष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पैरवी किया है. इस मामले में सुनवाई करते हुए अब इस मामला को कोर्ट ने उसी जज के पास भेज दिया है, जो राजस्थान शिक्षक बहाली में सुनवाई की थी. इसके बाद अब बीएड अभ्यर्थिकों की उम्मीद जस्टिस अनुरुद्ध बोस की बेंच से है कि क्या फैसला होता है?