पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठन व कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामले की सुनवाई की. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत किया. कोर्ट ने राज्य सरकार को पिछली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. इस मामले पर अगली सुनवाई मार्च 2024 को होगी.
वकीलों के लिए भवन निर्माण के लिए टेंडर : पिछली सुनवाई में भी कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया था. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि तेरह स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी कर दिया गया. बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रही है.
भूमि उपलब्ध कराने के निर्देश : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामले पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को सुझाव दिया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें, तो काम तेजी से हो सकेगा.
12 मार्च 2024 को सुनवाई : याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं, लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं. वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य प्रारम्भ नहीं तो पाया हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 12 मार्च 2024 को की जाएगी.
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