ETV Bharat / state

Patna High Court : बिहार में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट की पर्याप्त संख्या नहीं होने पर 2 सप्ताह में सुनवाई

बिहार में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट को लेकर पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी. मुकेश कुमार ने जनहित याचिका दायर की है. पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
Patna High Court Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 3, 2023, 7:06 PM IST

पटना : राज्य में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट की पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर पटना हाईकोर्ट में दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court: रिट दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को फार्मासिस्ट बहाली के लिये आवेदन करने की छूट

'निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती' : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है. याचिकाकर्ता के वकील प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है.

आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ : प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं. वे बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटते हैं. जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है.

'सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की' : याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग-अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए. लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इस आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है.

'बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे' : प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए. ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है. राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है.

पटना : राज्य में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट की पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर पटना हाईकोर्ट में दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court: रिट दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को फार्मासिस्ट बहाली के लिये आवेदन करने की छूट

'निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती' : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है. याचिकाकर्ता के वकील प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है.

आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ : प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं. वे बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटते हैं. जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है.

'सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की' : याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग-अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए. लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इस आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है.

'बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे' : प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए. ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है. राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.