पटना: बिहार की पटना हाईकोर्ट ने सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 20 अप्रैल 2023 को की जाएगी. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने कोसी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 17 अप्रैल, 2023 तक मोहलत दी थी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया था कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई.
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सहरसा से दरभंगा में किया गया था एम्स स्थापित: एम्स के निर्माण पर बिहार के सहरसा में एम्स की तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था. कोर्ट को बताया गया था कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि जिले में उपलब्ध है. 2017 में सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी. कोर्ट को ये बताया था कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है. गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुड़ी जाना पड़ता है. इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है, बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है.
'ये सहरसा की जनता से अन्याय': कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था, लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी. यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया. कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते हैं. इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए.
20 अप्रैल के बाद होगी सुनवाई: कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत से लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई 20अप्रैल 2023 के बाद की जाएगी.