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Patna High Court: बगैर निबंधन संचालित कोचिंग संस्थानों की बढ़ेगी मुसीबत, अब 4 जुलाई को होगी सुनवाई

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Published : May 12, 2023, 5:40 PM IST

बगैर निबंधन संचालित कोचिंग संस्थानों की मुसीबत बढ़ने वाली है. संस्थान के मनमाने ढंग से छात्रों से फीस वसूलने और बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने के मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. अब इस मामले में पटना हाईकोर्ट में 4 जुलाई को सुनवाई होगी. पढ़ें पूरी खबर...

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई

पटना: राज्य में बगैर निबंधन कराए कोचिंग संस्थान खोलने, मनमाने ढंग से छात्रों से फीस वसूलने और बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. वेटरन फोरम की PIL पर चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का मोहलत दिया है. अब पटना हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

ये भी पड़ें: Patna High Court: सरकारी गार्ड के एवज में 18 लाख की राशि वसूलने पर कोर्ट ने लगाई रोक, सरकार से जवाब तलब

नियम के विरुद्ध खोल दिये कोचिंग संस्थान: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने पटना हाईकोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने बिहार कोचिंग इंस्टिट्यूट (कन्ट्रोल एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 के सेक्शन 9 के तहत नियम नहीं बने है. नियमों के बिना मनमाने तरीके से पटना समेत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल दिये गए है. कोर्ट ने इस तरह के जनहित याचिका की सराहना करते हुए आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक्ट 2010 में बनने के वाबजूद अबतक राज्य सरकार ने इस मामले में नियम क्यों नहीं बनाये.


कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने पटना हाईकोर्ट को बताया कि बिना निबंधन के इस तरह के कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल गए हैं. इनमें तो दावे बड़े-बड़े किये जाते है, लेकिन इंस्टिट्यूट्स में न तो स्तरीय अध्यापन होता है और न ही योग्य शिक्षक होते है. इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई का स्तर भी सही नहीं है. कोचिंग के नाम पर ये कोचिंग इंस्टिट्यूट अभिभावकओं और छात्रों से मनमाना फीस वसूलते हैं.

एक या दो रूम के कमरे में संचालित होती है कोचिंग: अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में न तो कोई पाठ्यक्रम होता है और न ही ये पाठ्यक्रम पूरा करने की जिम्मेदारी लेते है. अधिकांश कोचिंग इंस्टिट्यूट एक या दो रूम के कमरे में संचालित किये जाते हैं. छात्र और छात्राओं के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती. उन्होंने बताया कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में न तो शुद्ध पेय जल की व्यवस्था है और न शौचालयों की. विशेषकर छात्राओं के लिए इन सुविधाओं का अभाव होता है.

निबंधन मिलने के बाद कोचिंग खोलने की मिले अनुमति: उन्होंने कहा कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट को नियमानुसार और निबंधन होने के बाद ही इन्हें खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए. साथ ही इन पर राज्य सरकार को अपनी निगरानी रखनी होगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पीके वर्मा ने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

पटना: राज्य में बगैर निबंधन कराए कोचिंग संस्थान खोलने, मनमाने ढंग से छात्रों से फीस वसूलने और बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. वेटरन फोरम की PIL पर चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का मोहलत दिया है. अब पटना हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

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नियम के विरुद्ध खोल दिये कोचिंग संस्थान: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने पटना हाईकोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने बिहार कोचिंग इंस्टिट्यूट (कन्ट्रोल एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 के सेक्शन 9 के तहत नियम नहीं बने है. नियमों के बिना मनमाने तरीके से पटना समेत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल दिये गए है. कोर्ट ने इस तरह के जनहित याचिका की सराहना करते हुए आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक्ट 2010 में बनने के वाबजूद अबतक राज्य सरकार ने इस मामले में नियम क्यों नहीं बनाये.


कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने पटना हाईकोर्ट को बताया कि बिना निबंधन के इस तरह के कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल गए हैं. इनमें तो दावे बड़े-बड़े किये जाते है, लेकिन इंस्टिट्यूट्स में न तो स्तरीय अध्यापन होता है और न ही योग्य शिक्षक होते है. इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई का स्तर भी सही नहीं है. कोचिंग के नाम पर ये कोचिंग इंस्टिट्यूट अभिभावकओं और छात्रों से मनमाना फीस वसूलते हैं.

एक या दो रूम के कमरे में संचालित होती है कोचिंग: अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में न तो कोई पाठ्यक्रम होता है और न ही ये पाठ्यक्रम पूरा करने की जिम्मेदारी लेते है. अधिकांश कोचिंग इंस्टिट्यूट एक या दो रूम के कमरे में संचालित किये जाते हैं. छात्र और छात्राओं के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती. उन्होंने बताया कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में न तो शुद्ध पेय जल की व्यवस्था है और न शौचालयों की. विशेषकर छात्राओं के लिए इन सुविधाओं का अभाव होता है.

निबंधन मिलने के बाद कोचिंग खोलने की मिले अनुमति: उन्होंने कहा कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट को नियमानुसार और निबंधन होने के बाद ही इन्हें खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए. साथ ही इन पर राज्य सरकार को अपनी निगरानी रखनी होगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पीके वर्मा ने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

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