पटनाः भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद (First President Rajendra Prasad) की जन्मस्थली जीरादेई और उनके स्मारकों की दुर्दशा पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई (Hearing In Patna High Court) हुई. सुनवाई के दौरान जज ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने वकीलों की एक तीन सदस्यीय टीम गठित की, जो मामले की जांच करेगी.
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पटना हाईकोर्ट में विकास कुमार की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. जहां कोर्ट को बताया गया कि जीरादेई गांव और वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर हैं. न तो वहां पहुंचने के लिए सड़क की हालत सही है, न ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों की स्थिति ठीक है.
वकील विकास कुमार ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण घर और स्मारकों की हालत जर्जर होती जा रही है. कोर्ट को बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे सम्बंधित स्मारकों की दुर्दशा भी स्पष्ट दिखती है. इस स्थिति में शीघ्र सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
चीफ जस्टिस संजय करोल ने तमाम बातों को सुनने के बाद वकीलों की एक तीन सदस्यीय टीम गठित की. ये टीम जीरादेई और वहां स्थित स्मारकों, पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित स्मारकों की स्थिति को देखकर कोर्ट को एक रिपोर्ट अगली सुनवाई में देगी. जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 3 जनवरी,2022 को होगी.
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बता दें कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 1884 को सिवान के पास जीरादेई गांव में हुआ था. वे बड़े ही मेधावी छात्र थे. उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल कर वकील बने. उसके बाद उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी नेता तौर पर अहम भूमिका निभाई. भारतीय संविधान का निर्माण कर रही संविधान सभा के वे अध्यक्ष भी रहे.
इसके बाद वो भारत के पहले राष्ट्रपति बने. इस पद पर उन्होंने मई, 1962 तक योगदान किया. बाद में राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने के बाद वे पटना के सदाकत आश्रम में रहे, जहां 28 फरवरी, 1963 को उनकी मृत्यु हो गई. ऐसे महान नेता के स्मृतियों और स्मारकों की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अनदेखी हो रही है. इस मामले के आलोक में दायर याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश जारी किए हैं.
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