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इस साल कालाजार से मुक्त हो जाएगा बिहार, स्वास्थ्य विभाग कर रहा है अच्छा काम: मंगल पांडेय - बिहार से कालाजार

बिहार में कालाजार बीमारी (Kala Azar disease in Bihar) को लेकर स्वास्थ्य विभाग अभियान चला रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य के दो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को कालाजार मुक्त करना शेष रह गया है. पढ़ें पूरी खबर..

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय
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Published : Apr 10, 2022, 5:56 PM IST

पटना: बिहार से कालाजार का उन्मूलन साल 2022 तक करने का लक्ष्य है. इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग राज्य के 32 जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड दवा का छिड़काव कर रही है. यह जानकारी बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने दी. उन्होंने बताया कि कालाजार उन्मूलन को लेकर विभाग का कार्य काफी सराहनीय रहा है. कई स्तर पर किए जा रहे अथक प्रयासों का नतीजा है कि बिहार कालाजार उन्मूलन के काफी नजदीक है.

यह भी पढ़ें: कालाजार से बचाव के लिए किया जा रहा दवाओं का छिड़काव

दो स्वास्थ्य केन्द्रों पर उन्मूलन शेष: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में अब मात्र 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शेष रह गए हैं, जहां से कालाजार का उन्मूलन होना है. जिनमें सारण जिला अंतर्गत इसुवापुर और सिवान जिला अंतर्गत गोरियाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है. इसको लेकर विभाग एक प्रभावी रणनीति पर कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि कालाजार प्रसार को समाप्त करने के लिए कालाजार के संभावित मरीजों की खोज और समय पर उपचार कराना बेहद महत्वपूर्ण है. इसे ध्यान में रखते हुए अति प्राथमिकता वाले चिह्नित गांवों में संभावित मरीजों की खोज कालाजार ब्लाक कोऑर्डिनेटर (केबीसी), कालाजार टेक्निकल सुपरवाइजर (केटीएस), की इन्फॉर्मर (केआई) और आशा कार्यकर्ताओं ने किया.

60 दिनों तक दवा छिड़काव का कार्य: उन्होंने कहा कि राज्य के 32 जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड दवा का छिड़काव करने का लक्ष्य है. सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड दवा का छिड़काव से बालू मक्खी के प्रभाव को कम करने में सफलता मिलेगी. 5 अप्रैल से चार जिलों में दवा छिड़काव का कार्य शुरू किया गया है. शेष जिलों में दवा का छिड़काव कराया जाना है. यह अभियान कुल 60 कार्य दिवसों का चलेगा. दवा छिड़काव को बेहतर रूप से क्रियान्वित करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर कालाजार नियंत्रण कक्ष स्थापित होंगे. राज्य स्तर पर मुख्य मलेरिया कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. विभाग कालाजार सहित कई अन्य गंभीर रोगों के नियंत्रण के लिए गंभीर है.

कालाजार के लक्षण: कालाजार रोग लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है. इसका चक्र मनुष्य और बालू मक्खी पर निर्भर करता है. यह परजीवी मनुष्य तथा बालू मक्खी में ही जीवित रहता है. दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने लगता है. ऐसा होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है. सदर अस्पताल में इसका समुचित इलाज संभव है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी इसका समुचित इलाज मिलता है. कालाजार की मक्खी नमी और अंधेरे स्थानों पर ज्यादा पनपती है.

यह भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

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पटना: बिहार से कालाजार का उन्मूलन साल 2022 तक करने का लक्ष्य है. इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग राज्य के 32 जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड दवा का छिड़काव कर रही है. यह जानकारी बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने दी. उन्होंने बताया कि कालाजार उन्मूलन को लेकर विभाग का कार्य काफी सराहनीय रहा है. कई स्तर पर किए जा रहे अथक प्रयासों का नतीजा है कि बिहार कालाजार उन्मूलन के काफी नजदीक है.

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दो स्वास्थ्य केन्द्रों पर उन्मूलन शेष: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में अब मात्र 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शेष रह गए हैं, जहां से कालाजार का उन्मूलन होना है. जिनमें सारण जिला अंतर्गत इसुवापुर और सिवान जिला अंतर्गत गोरियाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है. इसको लेकर विभाग एक प्रभावी रणनीति पर कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि कालाजार प्रसार को समाप्त करने के लिए कालाजार के संभावित मरीजों की खोज और समय पर उपचार कराना बेहद महत्वपूर्ण है. इसे ध्यान में रखते हुए अति प्राथमिकता वाले चिह्नित गांवों में संभावित मरीजों की खोज कालाजार ब्लाक कोऑर्डिनेटर (केबीसी), कालाजार टेक्निकल सुपरवाइजर (केटीएस), की इन्फॉर्मर (केआई) और आशा कार्यकर्ताओं ने किया.

60 दिनों तक दवा छिड़काव का कार्य: उन्होंने कहा कि राज्य के 32 जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड दवा का छिड़काव करने का लक्ष्य है. सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड दवा का छिड़काव से बालू मक्खी के प्रभाव को कम करने में सफलता मिलेगी. 5 अप्रैल से चार जिलों में दवा छिड़काव का कार्य शुरू किया गया है. शेष जिलों में दवा का छिड़काव कराया जाना है. यह अभियान कुल 60 कार्य दिवसों का चलेगा. दवा छिड़काव को बेहतर रूप से क्रियान्वित करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर कालाजार नियंत्रण कक्ष स्थापित होंगे. राज्य स्तर पर मुख्य मलेरिया कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. विभाग कालाजार सहित कई अन्य गंभीर रोगों के नियंत्रण के लिए गंभीर है.

कालाजार के लक्षण: कालाजार रोग लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है. इसका चक्र मनुष्य और बालू मक्खी पर निर्भर करता है. यह परजीवी मनुष्य तथा बालू मक्खी में ही जीवित रहता है. दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने लगता है. ऐसा होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है. सदर अस्पताल में इसका समुचित इलाज संभव है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी इसका समुचित इलाज मिलता है. कालाजार की मक्खी नमी और अंधेरे स्थानों पर ज्यादा पनपती है.

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