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पटना: हास्य कवि सम्मेलन में झूम उठे श्रोता, दिग्गज कवियों और गीतकारों ने बांधा समा

कवि सम्मेलन में उज्जैन से दिनेश दिग्गज, मशहूर गीतकार संतोष आनंद, मशहूर शायर हाशिम फिरोजाबादी, दिल्ली की युवा कवित्री पद्मिनी शर्मा, पैरोडी गीतों के माध्यम से कविता रखने वाले मुंबई के दिलीप शर्मा और धरोहर के अध्यक्ष सूरज सिन्हा मंच पर मौजूद रहे.

पटना में हास्य कवि सम्मेलन
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Published : Nov 24, 2019, 8:51 AM IST

Updated : Nov 24, 2019, 11:13 AM IST

पटना: राजधानी के वीर चंद्र पटेल पथ पर स्थित रवींद्र भवन में सामाजिक संस्था धरोहर की ओर से अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में हजारों की तादाद में श्रोता पहुंचे और पूरा ऑडिटोरियम खचाखच भरा रहा. दर्शकों ने कवियों की प्रस्तुति को जमकर सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया.

कवि सम्मेलन में मंच का संचालन हास्य कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने किया. इसके अलावा उन्होंने कार्यक्रम में अपने हास्य-व्यंग्य की प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रखा. इस हास्य कवि सम्मेलन में उज्जैन से दिनेश दिग्गज, मशहूर गीतकार संतोष आनंद, मशहूर शायर हाशिम फिरोजाबादी, दिल्ली की युवा कवियत्री पद्मिनी शर्मा, पैरोडी गीतों के माध्यम से अपनी कविता को रखने वाले मुंबई के दिलीप शर्मा और धरोहर के अध्यक्ष सूरज सिन्हा मौजूद रहे.

hasya kavi sammelan organised in patna
कवि सम्मेलन में मंच का संचालन करते हास्य कवि डॉ. सुरेश अवस्थी

पद्मिनी शर्मा ने पेश किये हास्य गीत
कवि सम्मेलन की शुरुआत पद्मिनी शर्मा ने वंदे शारदे सरस्वती गाकर किया. पद्मिनी शर्मा ने बुजुर्गों पर तंज कसते हुए एक हास्य गीत पेश किया. जिसमें 'बीते दिनों की याद में शर्माए हैं दादा, एक बार पूरे जोश में फिर आए हैं बाबा, जबसे है जलोटा के साथ देखी हसीना, एक हारमोनियम खरीद लाए हैं बाबा' सुन पूरा सभागार ठहाका लगाने पर मजबूर हो गया. इसके अलावा उन्होंने अपने श्रृंगार गीत गाये.

दिग्गज कवियों और गीतकारों ने प्रस्तुति कर श्रोताओं को खूब झुमाया

पैरोडी गीतों के माध्यम से सुनाया व्यंग
मुंबई से आए दिलीप शर्मा ने अपनी पैरोडी गीतों के माध्यम से हास्य व्यंग के कई गीत सुनाए. उन्होंने अपनी कविता के जरिए श्रोताओं को बताया कि हास्य कवि अगर श्रृंगार पर कविता लिखता है तो कैसे लिखता है. जिस पर उन्होंने छंद पेश किया.

महाराष्ट्र के सियासी उठापटक पर सुनाई गई कविता
वहीं, उज्जैन से आए हास्य कवि दिनेश दिग्गज की कविताओं पर जमकर ठहाके लगे. उन्होंने महाराष्ट्र में चले सियासी उठापटक पर भी कविता सुनाई. जिसके बाद पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा. इसके साथ ही लोगों ने अपनी तालियों के जरिए उनकी कविता को सम्मान दिया.

पटना: राजधानी के वीर चंद्र पटेल पथ पर स्थित रवींद्र भवन में सामाजिक संस्था धरोहर की ओर से अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में हजारों की तादाद में श्रोता पहुंचे और पूरा ऑडिटोरियम खचाखच भरा रहा. दर्शकों ने कवियों की प्रस्तुति को जमकर सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया.

कवि सम्मेलन में मंच का संचालन हास्य कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने किया. इसके अलावा उन्होंने कार्यक्रम में अपने हास्य-व्यंग्य की प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रखा. इस हास्य कवि सम्मेलन में उज्जैन से दिनेश दिग्गज, मशहूर गीतकार संतोष आनंद, मशहूर शायर हाशिम फिरोजाबादी, दिल्ली की युवा कवियत्री पद्मिनी शर्मा, पैरोडी गीतों के माध्यम से अपनी कविता को रखने वाले मुंबई के दिलीप शर्मा और धरोहर के अध्यक्ष सूरज सिन्हा मौजूद रहे.

hasya kavi sammelan organised in patna
कवि सम्मेलन में मंच का संचालन करते हास्य कवि डॉ. सुरेश अवस्थी

पद्मिनी शर्मा ने पेश किये हास्य गीत
कवि सम्मेलन की शुरुआत पद्मिनी शर्मा ने वंदे शारदे सरस्वती गाकर किया. पद्मिनी शर्मा ने बुजुर्गों पर तंज कसते हुए एक हास्य गीत पेश किया. जिसमें 'बीते दिनों की याद में शर्माए हैं दादा, एक बार पूरे जोश में फिर आए हैं बाबा, जबसे है जलोटा के साथ देखी हसीना, एक हारमोनियम खरीद लाए हैं बाबा' सुन पूरा सभागार ठहाका लगाने पर मजबूर हो गया. इसके अलावा उन्होंने अपने श्रृंगार गीत गाये.

दिग्गज कवियों और गीतकारों ने प्रस्तुति कर श्रोताओं को खूब झुमाया

पैरोडी गीतों के माध्यम से सुनाया व्यंग
मुंबई से आए दिलीप शर्मा ने अपनी पैरोडी गीतों के माध्यम से हास्य व्यंग के कई गीत सुनाए. उन्होंने अपनी कविता के जरिए श्रोताओं को बताया कि हास्य कवि अगर श्रृंगार पर कविता लिखता है तो कैसे लिखता है. जिस पर उन्होंने छंद पेश किया.

महाराष्ट्र के सियासी उठापटक पर सुनाई गई कविता
वहीं, उज्जैन से आए हास्य कवि दिनेश दिग्गज की कविताओं पर जमकर ठहाके लगे. उन्होंने महाराष्ट्र में चले सियासी उठापटक पर भी कविता सुनाई. जिसके बाद पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा. इसके साथ ही लोगों ने अपनी तालियों के जरिए उनकी कविता को सम्मान दिया.

Intro:राजधानी पटना के वीर चंद्र पटेल पथ में स्थित रवींद्र भवन में सामाजिक संस्था धरोहर की ओर से अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में हजारों की तादाद में श्रोता पहुंचे और पूरा ऑडिटोरियम खचाखच भरा रहा. दर्शकों ने कवियों की प्रस्तुति को जमकर सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया. इस कवि सम्मेलन में मंच का संचालन हास्य कवि डॉ सुरेश अवस्थी ने किया और पूरे कार्यक्रम वह अपने हास्य-व्यंग्य की प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रहे.


Body:धरोहर की ओर से आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में उज्जैन से दिनेश दिग्गज, मशहूर गीतकार संतोष आनंद, मशहूर शायर हाशिम फिरोजाबादी, दिल्ली की युवा कवित्री पद्मिनी शर्मा, पैरोडी गीतों के माध्यम से कविता रखने वाले मुंबई के दिलीप शर्मा और धरोहर के अध्यक्ष सूरज सिन्हा मंच पर मौजूद रहे. कवि सम्मेलन की शुरुआत पद्मिनी शर्मा ने वंदे शारदे सरस्वती गाकर किया. पद्मिनी शर्मा ने बुजुर्गों पर तंज कसते हुए हास्य गीत सुनाया 'बीते दिनों की याद में शर्माए है दादा, एक बार पूरे जोश में फिर आए हैं बाबा, जबसे है जलोटा के साथ देखी हसीना, एक हारमोनियम खरीद लाए हैं बाबा' जिसे सुनने के बाद पूरा सभागार ठहाका लगाने लगा. पद्मिनी शर्मा ने अपने श्रृंगार गीत गाए "उम्मीदों के सितारों को मैं पलकों पर बुला लूंगी, किसी दिन चांद को चुपके से अपने घर बुला लूंगी" जिसे सुनकर पूरा सभागार रोमांचित हो उठा.


Conclusion:मुंबई से आए दिलीप शर्मा ने अपनी पैरोडी गीतों के माध्यम से हास्य व्यंग के कई गीत गाए. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए गाया की दे दी हमें बर्बादी बिना खडग बिना ढाल सोनिया जी के सपूत तूने कर दिया कमाल जिसे सुनने के बाद श्रोता अपनी हंसी नहीं रोक पाए और पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा. दिलीप शर्मा ने कविता सुनाते हुए बताया कि हास्य कवि अगर श्रृंगार पर कविता लिखता है तो कैसे लिखता है. उन्होंने एक छंद सुनाया- परी लिखूं तो तू उड़ जाएगी, सुंदर लिखूं तो तू अकड़ जाएगी, फूल लिखूं तो तू सिकुड़ जाएगी, उपमा क्यों दूं... तू हो मेरी जो एक दिन मेरे माथे मढ़ी जाएगी.


उज्जैन से आए हास्य कवि दिनेश दिग्गज की कविताओं पर जमकर ठहाके लगे. उन्होंने सुनाया सुनाया की अंधों को मोटर कार देने की जरूरत क्या थी, डाकुओं को पूरा बाजार देने की जरूरत क्या थी, जब मालूम था चूना लगा कर भाग जाएगा तो विजय मालिया को इतना उधार देने की जरूरत क्या थी.. इसके बाद पूरे हॉल ने जमकर तालियों से स्वागत किया. दिनेश दिग्गज ने महाराष्ट्र में आज के चले सियासी उठापटक पर भी नई कविता सुनाई. उन्होंने सुनाया कि इस तरह से सपने बुनने की जरूरत क्या थी, कुर्सी के लिए ही-मैन बनने की जरूरत क्या थी, और जब बेल्ट का इंतजाम नहीं हुआ था भाईसाहब तो फिर पैंट पहनने की जरूरत ही क्या थी.... जिसके बाद पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा और काफी देर लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कविता का सम्मान दिया.


Last Updated : Nov 24, 2019, 11:13 AM IST
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