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बिहार: सूख रहे बिचड़ों के लिए बारिश 'रामबाण', किसानों में जगी आस - Patna

'धान का कटोरा' माने जाने वाले रोहतास जिले के पिपरडीह गांव के राजेंद्र दूबे कहते हैं कि बारिश नहीं होने के कारण वह धान की उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन अब वो काफी खुश है.

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Published : Jul 9, 2019, 8:42 AM IST

पटनाः बिहार की राजधानी पटना समेत ज्यादातर इलाकों में पिछले 24 घंटों के दौरान हुई झमाझम बारिश से किसानों में एकबार फिर धान की फसल को लेकर उम्मीद जगी है. क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार, खेतों में लगे धान के बिचड़ों के लिए यह बारिश संजीवनी की तरह है. जो किसानों ने अभी तक बिचड़ा नहीं लगाया था, उन्होंने भी बारिश के बाद बिचड़े की तैयारी शुरू कर दी है.

बारिश नहीं होने से किसान थे चिंतित
धान की फसल के शुरुआती नक्षत्र आद्र्रा में न के बराबर हुई बारिश से किसान चिंतित थे. धान को लेकर आशा छोड़ चुके थे. 'धान का कटोरा' माने जाने वाले रोहतास जिले के पिपरडीह गांव के राजेंद्र दूबे कहते हैं कि बारिश नहीं होने के कारण वह धान की उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन अब उन्हें फिर से उम्मीद जगी है. वह कहते हैं, "करीब ढाई सप्ताह तक इंतजार के बाद बादल झूम कर बरसे तो खेतों की प्यास बुझी है. धान के बिचड़े और रोपे गए. पौधे झुलसकर पीले हो रहे थे, मगर अब हुई बारिश से पीले पड़ चुके बिचड़े और धान के पौधे अपने रंग में आ जाएंगे."

सीतामढ़ी के किसानों में खुशी
सीतामढ़ी के किसान रामसुंदर सिंह कहते हैं कि बारिश न होने के कारण जिले में शायद ही किसी गांव में धान का बिचड़ा खेत में गिराया गया हो. उनका कहना है कि इस बारिश से किसानों को केवल धान की ही फसल में नहीं, बल्कि अन्य फसलों में भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सोमवार को किसान बारिश के बाद अपने खेतों की ओर निकल रहे हैं.

पूरे बिहार में हो रही झमाझम बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, पिछले दो-चार दिनों में राज्य के करीब सभी क्षेत्रों में बारिश हुई है, लेकिन अभी भी बारिश की स्थिति कम है. राज्य में सात जुलाई तक 240.5 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक 150.4 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है. हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले दो-चार दिनों तक राज्य में बारिश होने की संभावना है.

  • मॉनसून मेहरबान: समस्तीपुर और मधुबनी में मूसलाधार बारिश, किसानों ने ली राहत की सांस
    https://t.co/s45lLxxumI

    — Etv Bihar (@etvbharatbihar) July 8, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कृषि वैज्ञानिक का क्या है कहना
सीतामढ़ी कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ़ रामेश्वर प्रसाद कहते हैं, "यह बारिश धान के लिए 'संजीवनी' और रामबाण है. यह बारिश खेत में लगे बिचड़े के लिए लाभकारी है, जो किसान खेत जोतकर धान की रोपनी की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए भी फायदेमंद है तथा जो किसान बिचड़ा लगाना चाह रहे हैं, उनके लिए भी यह रामबाण है."

बारिश के बाद खेती में जुटे किसान
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 65 से 67 प्रतिशत किसान धान का बिचड़ा खेत में गिरा चुके हैं. जो बारिश के कारण बिचड़ा नहीं गिराए थे, वे इस काम में जुट गए हैं. राज्य के 38 जिलों में से 14 जिलों की स्थिति ज्यादा खराब है, जहां अभी तक खेतों में बिचड़े नहीं गिराए गए हैं. पटना जिले में अभी एक प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो पाई है.

33 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य
राज्य में इस साल 3.30 लाख हेक्टेयर में बिचड़ा डालने तथा 33 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. कृषि विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि बारिश नहीं होने के कारण छोटी सिंचाई योजनाओं में भी पानी नहीं है. नहर और जलाशय सूखे पड़े हैं. इस कारण भी किसानों के सामने सिंचाई की समस्या उत्पन्न हुई है.

पटनाः बिहार की राजधानी पटना समेत ज्यादातर इलाकों में पिछले 24 घंटों के दौरान हुई झमाझम बारिश से किसानों में एकबार फिर धान की फसल को लेकर उम्मीद जगी है. क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार, खेतों में लगे धान के बिचड़ों के लिए यह बारिश संजीवनी की तरह है. जो किसानों ने अभी तक बिचड़ा नहीं लगाया था, उन्होंने भी बारिश के बाद बिचड़े की तैयारी शुरू कर दी है.

बारिश नहीं होने से किसान थे चिंतित
धान की फसल के शुरुआती नक्षत्र आद्र्रा में न के बराबर हुई बारिश से किसान चिंतित थे. धान को लेकर आशा छोड़ चुके थे. 'धान का कटोरा' माने जाने वाले रोहतास जिले के पिपरडीह गांव के राजेंद्र दूबे कहते हैं कि बारिश नहीं होने के कारण वह धान की उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन अब उन्हें फिर से उम्मीद जगी है. वह कहते हैं, "करीब ढाई सप्ताह तक इंतजार के बाद बादल झूम कर बरसे तो खेतों की प्यास बुझी है. धान के बिचड़े और रोपे गए. पौधे झुलसकर पीले हो रहे थे, मगर अब हुई बारिश से पीले पड़ चुके बिचड़े और धान के पौधे अपने रंग में आ जाएंगे."

सीतामढ़ी के किसानों में खुशी
सीतामढ़ी के किसान रामसुंदर सिंह कहते हैं कि बारिश न होने के कारण जिले में शायद ही किसी गांव में धान का बिचड़ा खेत में गिराया गया हो. उनका कहना है कि इस बारिश से किसानों को केवल धान की ही फसल में नहीं, बल्कि अन्य फसलों में भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सोमवार को किसान बारिश के बाद अपने खेतों की ओर निकल रहे हैं.

पूरे बिहार में हो रही झमाझम बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, पिछले दो-चार दिनों में राज्य के करीब सभी क्षेत्रों में बारिश हुई है, लेकिन अभी भी बारिश की स्थिति कम है. राज्य में सात जुलाई तक 240.5 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक 150.4 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है. हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले दो-चार दिनों तक राज्य में बारिश होने की संभावना है.

  • मॉनसून मेहरबान: समस्तीपुर और मधुबनी में मूसलाधार बारिश, किसानों ने ली राहत की सांस
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    — Etv Bihar (@etvbharatbihar) July 8, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कृषि वैज्ञानिक का क्या है कहना
सीतामढ़ी कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ़ रामेश्वर प्रसाद कहते हैं, "यह बारिश धान के लिए 'संजीवनी' और रामबाण है. यह बारिश खेत में लगे बिचड़े के लिए लाभकारी है, जो किसान खेत जोतकर धान की रोपनी की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए भी फायदेमंद है तथा जो किसान बिचड़ा लगाना चाह रहे हैं, उनके लिए भी यह रामबाण है."

बारिश के बाद खेती में जुटे किसान
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 65 से 67 प्रतिशत किसान धान का बिचड़ा खेत में गिरा चुके हैं. जो बारिश के कारण बिचड़ा नहीं गिराए थे, वे इस काम में जुट गए हैं. राज्य के 38 जिलों में से 14 जिलों की स्थिति ज्यादा खराब है, जहां अभी तक खेतों में बिचड़े नहीं गिराए गए हैं. पटना जिले में अभी एक प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो पाई है.

33 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य
राज्य में इस साल 3.30 लाख हेक्टेयर में बिचड़ा डालने तथा 33 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. कृषि विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि बारिश नहीं होने के कारण छोटी सिंचाई योजनाओं में भी पानी नहीं है. नहर और जलाशय सूखे पड़े हैं. इस कारण भी किसानों के सामने सिंचाई की समस्या उत्पन्न हुई है.

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