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मोदी सरकार जनविरोधी, GST के फैसले पर करे पुनर्विचार: जीतनराम मांझी

केंद्र सरकार द्वारा खाने पीने की चीजों पर जीएसटी लगाये जाने के फैसले को लेकर हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी (Jitan Ram Manjhi on GST) है. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार जन विरोधी है. जीएसटी लगाया जाने के बाद लोगों की जेबें हल्की हो रही हैं. वहीं, उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग भी की.

हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी
हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी
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Published : Jul 23, 2022, 5:29 PM IST

पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी (HAM Supremo Jitan Ram Manjhi ) आज सासाराम के परिसदन में मीडिया कर्मियों से बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस तरह से खाने-पीने की, रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी लगाया गया है, इससे कहीं ना कहीं सभी की परेशानियां बढ़ गईं हैं.

ये भी पढ़ें- जीएसटी की नई दरें लागू, अनाज-दाल-आटे के पैक हुए महंगे



'जब जनता महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है तो ऐसे समय जरूरी खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर सरकार ने क्रूर मजाक किया है. मोदी सरकार के इस कदम से महंगाई और बढ़ेगी. केंद्र सरकार को एक बार पुनः इस फैसले पर विचार करना चाहिए'- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो

'रोजमर्रा के सामान पर GST लगाना जनविरोधी': मांझी ने कहा कि जबकि केंद्र सरकार ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वह देश में महंगाई व बेरोजगारी पर लगाम लगाएगी. लेकिन बढ़ती महंगाई के बावजूद भी रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी लगाना यह जनविरोधी कदम है. ऐसे में केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री मोदी को इस पर पुनः विचार करना चहिये. क्योंकि, सरकार के पास खुद के ऐसे संसाधन मौजूद हैं जिस आर्थिक समृद्धि की जा सकती है. ताकि लोगों को बढ़ती महंगाई व टैक्स से राहत मिल सके.

'बढ़ते टैक्स से जेबें खाली': हम सुप्रीमो ने आगे कहा कि अभी के संदर्भ में अगल-बगल के देशों में जो फाइनेंसियल क्राइसिस हुई है, उससे बचने के लिए जीएसटी लगाया गया है. पर देश के लोगों की बढ़ती महंगाई ने एक तो पहले से ही कमर तोड़ कर रख दिया है. ऊपर से यह बढ़ते टैक्स ने लोगों की जेबें खाली करके रख दी हैं. ऐसे में जाहिर है कि केंद्र के मोदी सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश पनप रहा है.


18 जुलाई से लागू है GST: केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार पहले से पैक तथा लेबल वाले उत्पादों की आपूर्ति पर जीएसटी लगेगा. उदाहरण के लिए, चावल, गेहूं जैसे अनाज, दालों और आटे पर पहले पांच प्रतिशत जीएसटी तब लगता था, जब ये किसी ब्रांड के होते थे. अब 18 जुलाई से जो भी सामान पैकेटबंद है और जिसपर लेबल लगा है, उन पर जीएसटी लागू है. इसके अलावा दही, लस्सी और मुरमुरे जैसी अन्य वस्तुएं यदि पहले से पैक और लेबल वाली होंगी, तो इनपर पांच फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. पांच प्रतिशत जीएसटी पहले से पैक उन्हीं वस्तुओं पर लगेगा जिनका वजन 25 किलोग्राम या इससे कम है. हालांकि, खुदरा व्यापारी 25 किलो पैक में सामान लाकर उसे खुले में बेचता है तो इसपर जीएसटी नहीं लगेगा.


पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी (HAM Supremo Jitan Ram Manjhi ) आज सासाराम के परिसदन में मीडिया कर्मियों से बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस तरह से खाने-पीने की, रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी लगाया गया है, इससे कहीं ना कहीं सभी की परेशानियां बढ़ गईं हैं.

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'जब जनता महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है तो ऐसे समय जरूरी खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर सरकार ने क्रूर मजाक किया है. मोदी सरकार के इस कदम से महंगाई और बढ़ेगी. केंद्र सरकार को एक बार पुनः इस फैसले पर विचार करना चाहिए'- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो

'रोजमर्रा के सामान पर GST लगाना जनविरोधी': मांझी ने कहा कि जबकि केंद्र सरकार ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वह देश में महंगाई व बेरोजगारी पर लगाम लगाएगी. लेकिन बढ़ती महंगाई के बावजूद भी रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी लगाना यह जनविरोधी कदम है. ऐसे में केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री मोदी को इस पर पुनः विचार करना चहिये. क्योंकि, सरकार के पास खुद के ऐसे संसाधन मौजूद हैं जिस आर्थिक समृद्धि की जा सकती है. ताकि लोगों को बढ़ती महंगाई व टैक्स से राहत मिल सके.

'बढ़ते टैक्स से जेबें खाली': हम सुप्रीमो ने आगे कहा कि अभी के संदर्भ में अगल-बगल के देशों में जो फाइनेंसियल क्राइसिस हुई है, उससे बचने के लिए जीएसटी लगाया गया है. पर देश के लोगों की बढ़ती महंगाई ने एक तो पहले से ही कमर तोड़ कर रख दिया है. ऊपर से यह बढ़ते टैक्स ने लोगों की जेबें खाली करके रख दी हैं. ऐसे में जाहिर है कि केंद्र के मोदी सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश पनप रहा है.


18 जुलाई से लागू है GST: केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार पहले से पैक तथा लेबल वाले उत्पादों की आपूर्ति पर जीएसटी लगेगा. उदाहरण के लिए, चावल, गेहूं जैसे अनाज, दालों और आटे पर पहले पांच प्रतिशत जीएसटी तब लगता था, जब ये किसी ब्रांड के होते थे. अब 18 जुलाई से जो भी सामान पैकेटबंद है और जिसपर लेबल लगा है, उन पर जीएसटी लागू है. इसके अलावा दही, लस्सी और मुरमुरे जैसी अन्य वस्तुएं यदि पहले से पैक और लेबल वाली होंगी, तो इनपर पांच फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. पांच प्रतिशत जीएसटी पहले से पैक उन्हीं वस्तुओं पर लगेगा जिनका वजन 25 किलोग्राम या इससे कम है. हालांकि, खुदरा व्यापारी 25 किलो पैक में सामान लाकर उसे खुले में बेचता है तो इसपर जीएसटी नहीं लगेगा.


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