पटना: जदयू पार्टी कार्यालय में सोमवार को मिलन समारोह का आयोजन किया गया. 'हम' के सारण व सीतामढ़ी जिले के कई महत्वपूर्ण चेहरों ने जदयू का दामन थामा. सदस्यता ग्रहण करने वालों में मुख्य रूप से सुनील भुईया, कृष्णा भुईया, रंजीत राम, रामदेव दांगर, किनदेव दांगर शामिल हैं. इस अवसर पर बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सदा, पूर्व मंत्री सह अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सन्तोष निराला, मुख्यालय प्रभारी चन्दन कुमार सिंह एवं वासुदेव कुशवाहा ने नए सदस्यों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई.
इसे भी पढ़ेंः Bihar Politics: 'अमित शाह ने चप्पल उतरवाया..' बोले रत्नेश सदा- 'मांझी के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात कुछ भी नहीं'
भाजपा पर भेदभाव के आरोपः कार्यक्रम के सम्बोधन में बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सदा ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के लोगों को मुसहर, भुईया समाज से इतनी घृणा है कि उनके नेता अमित शाह ने जीतन राम मांझी को चप्पल उतरवाने के बाद अपने कमरे में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं. रत्नेश सदा ने सवाल किया कि जीतन राम मांझी और उनके परिजन बताएं कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी चप्पल खोलकर मिलने जाते थे? जीतन राम मांझी ने समाज को नीचा दिखाने का काम किया है. इसके लिए उन्हें समाज से माफी मांगनी चाहिए.
"हम मुसहर समाज के लोग माता सबरी के वंशज हैं, जिनका जूठा बैर भी प्रभु राम ने स्वीकार किया था. भाजपा के लोग आज उसी मुसहर समाज को अपमानित कर सनातनी होने का झूठा ढोंग रच रहे हैं. सनातन धर्म जाति व मजहब के आधार पर भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता"- रत्नेश सदा, मंत्री, एससी एसटी कल्याण विभाग
नीतीश ने मुसहर समाज को सम्मान दियाः रत्नेश सदा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू से ही मुसहर समाज को आदर और सम्मान देने का काम किया है. आप सबों को स्मरण होगा कि उन्होंने पर्वत पुरुष दशरथ मांझी जी को अपनी कुर्सी पर बैठाने का काम किया था. उनके नाम से आज कई योजनाएं भी बिहार में चल रही है. नीतीश कुमार ने मुसहर-भुईंया समाज के बेटे को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी. हमारे नेता दलित, महादलित और पिछड़ा समाज के सबसे बड़े हिमायती हैं.
महादलित टोले में झंडोत्तोलनः एससी एसटी कल्याण विभाग के मंत्री ने कहा कि 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वजारोहन टोलों में महादलित समाज के वरिष्ठ व्यक्ति से करवाते हैं. उनके समक्ष सरकार के आलाधिकारी से लेकर विधायक, सांसद एवं मंत्री उपस्थिति रहते हैं. दलितों के लिए इससे बड़ा सम्मान क्या हो सकता है. लेकिन एक व्यक्ति को अपने परिवार के पुत्र, समधन के अलावा किसी और की चिंता नहीं है.