पटना: बिहार के बदलते राजनीतिक परिदृश्य पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने मंगलवार को अपने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है. राजधानी पटना में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आवास पर पार्टी की मीटिंग होगी. इस बैठक में पार्टी के विधायकों के अलावे कई बड़े नेता शामिल होंगे. इस बैठक में बिहार के सियासी हालात पर चर्चा होगी और पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी शामिल होंगे. दानिश रिजवान ने कहा कि हमलोगों को सीएम नीतीश कुमार पर पूरा भरोसा है.
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बिहार के बदलते राजनीतिक हलचल पर बात करते हुए हम महासचिव दानिश रिजवान ने कहा है कि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में जो सरकार है. उसमें लगातार बिहार का विकास हो रहा है और हमारी पार्टी शुरू से ही उनके नेतृत्व पर भरोसा कर उनके साथ है. उन्होंने आगे कहा कि कोई कुछ भी कहे लेकिन आज बिहार जहां भी है वो सीएम नीतीश कुमार के बदौलत है. वैसे तमाम मुद्दे पर भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन अपने विधायको से बात करेंगे. पार्टी के बैठक के बाद ही पार्टी अपने रणनीति को स्पष्ट कर पायेगी.
'वर्तमान के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अगुवाई में जो सरकार है उसमें लगातार बिहार का विकास हो रहा है और हमारी पार्टी शुरू से उनके नेतृत्व पर भरोसा कर उनका साथ दे रही है'.- दानिश रिजवान, हम प्रवक्ता
मिलने लगे जेडीयू में टूट के संकेतः नीतीश कुमार कोरोना से उबरकर बाहर आ चुके हैं. आते ही आरसीपी की अकूत संपत्ति इकट्ठा करने के मामले में पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. जिसके बाद आरसीपी ने भी बिना देरी किए पार्टी का प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ जेडीयू में टूट के संकेत भी मिलने लगे. उधर नीति आयोग की बैठक में सीएम ने नहीं जाकर जहां मैसेज पहुंचाना था, पहुंचा दिया. इन संकेतों पर बीजेपी समझती है तो बात बन जाएगी, नहीं तो आरजेडी सब कुछ समझे हुए बैठा है. खबर तो ये भी है कि आरजेडी ने अपने विधायकों को 12 अगस्त तक पटना ना छोड़ने की ताकीद की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी से भी संपर्क साधा है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. तमाम संकेतों से बीजेपी नेताओं के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.
कभी अच्छे नहीं रहे बीजेपी-जेडीयू के संबंधः दरअसल बिहार में 2020 में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही भाजपा और जेडीयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा. भले ही दोनों पार्टी के शीर्ष नेता इससे इंकार करते रहे. कई बार ऐसा हुआ कि नीतीश कुमार एनडीए के बड़े कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए तो, कभी बीजेपी नेताओं ने अपनी सरकार पर अंगुली उठाकर नीतीश को नीचा दिखाने की कोशिश की. हाल के दिनों में देखें तो 17 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 'हर घर तिरंगा' अभियान को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी, इसमें नीतीश कुमार नहीं शामिल हुए. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज में भी आमंत्रण के बावजूद नीतीश कुमार नहीं पहुंचे. 25 जुलाई को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी बिहार के सीएम को बुलाया गया था लेकिन वह नहीं पहुंचे. सबसे महत्वपूर्ण 7 अगस्त को पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में शामिल ना होकर नीतीश ने चर्चाओं का बजार गर्म कर दिया.
फिर आएंगे चाचा-भतीजा साथ? अब चर्चा नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के फिर से पाला बदलने की हो रही है. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर जदयू के कई मंत्रियों ने कहा है कि एनडीए में ऑल इज वेल है. इस बीच जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला भी ले लिया है. पहले विजय चौधरी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में हम लोग शामिल नहीं हो रहे हैं. उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी साफ कर दिया कि हम लोग शामिल नहीं होंगे. इसकी कोई जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री ने 2019 में ही फैसला ले लिया था और उस पर हम लोग कायम हैं. वहीं, नीतीश कुमार की बीजेपी नेताओं से दूरी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल नहीं होना और आरसीपी सिंह के बहाने ललन सिंह का बीजेपी पर सीधा अटैक कहानी कुछ और कह रही है. नीतीश कुमार पहले भी पाला बदल चुके हैं. इसीलिए बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के कारण फिर से कयास लगने लगे हैं कि बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन की सरकार गिर जाएगी.
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