पटना: कोरोना काल में आम हो या खास सभी काफी परेशान रहे. खासकर अगर बात करें व्यवसायियों की तो उन्हें भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. हालांकि बिहार सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कई गाइडलाइन जारी किए हैं और थोड़ी रियायत भी दी गई है. लेकिन बिहार के स्वर्ण व्यवसायियों की सबसे बड़ी समस्या हॉल मार्किंग कानून बन रहा था. दरअसल 1 जून से गोल्ड ज्वेलरी पर हॉल मार्किंग अनिवार्य होना था और हॉल मार्किंग कानून भी लागू होनी थी.
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अवधि बढ़ाने की मांग
व्यवसायियों ने सरकार से लगातार मांग की थी कि इस कानून को फिलहाल 31 मई 2022 तक बढ़ाया जाए. हालांकि सरकार ने 1 वर्ष के लिए अवधि का विस्तार नहीं किया है. लेकिन इसे 15 दिनों के लिए बनाया गया है. यानी अब हॉल मार्किंग कानून 16 जून से लागू होगा. ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन के बिहार संयोजक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि सरकार ने इसे फिलहाल 16 जून तक के लिए बढ़ाया है. लेकिन हमें उम्मीद है कि इसे और आगे बढ़ाया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने देशभर के ज्वेलर्स के साथ कुल 42 लोगों की एक कमेटी बनाई है. जिसमें ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक पंकज अरोड़ा को भी इसमें शामिल किया गया है. यह कमेटी रोज सभी मामलों को लेकर बैठक करेगी और आगे की रणनीति बनाएगी.
"हमें पूरा विश्वास है कि सरकार द्वारा कानून लागू करने की तिथि को फिर से आगे बढ़ाया जाएगा. क्योंकि अभी ना ही सरकार पूरी तरीके से तैयार है और ना ही हम व्यवसायी. इस कानून में कई ऐसे सख्त नियम भी हैं, जिसके तहत स्वर्ण व्यवसायियों को सीधे जेल भेजने का प्रावधान है. इस पर भी संशोधन के लिए हमने मांग की है"- अशोक कुमार वर्मा, बिहार संयोजक
11 जगहों पर हॉल मार्किंग सेंटर
बता दें कि 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट गोल्ड की हॉल मार्क ज्वेलरी बेचने की अनुमति है. इससे ग्राहक को मानक के हिसाब से सोना मिलता है. इसलिए इस कानून को 16 जून से अनिवार्य किया जाएगा. हालांकि अशोक वर्मा ने बताया कि बिहार के 38 जिलों में केवल 10 से 11 जगहों पर हॉल मार्किंग सेंटर बना हुआ है. एक सेंटर खोलने में करीब 80 लाख से एक करोड़ रुपए खर्च होते हैं.
62 करोड़ से अधिक का नुकसान
अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि सरकार खुद अधिक से अधिक सेंटर खोले या फिर उसके लिए कुछ ऐसे प्रावधान लाए. ताकि जो छोटे व्यवसाई हैं, वह आसानी से कार्य कर सकें हर जिले के ज्वेलर्स हॉल मार्किंग अपने जिले में ही करा सकें. उन्होंने बताया कि अगर यह कानून लागू हुआ तो बिहार के व्यवसायियों को 62 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा और पटना के व्यवसायियों को 12 करोड़ का. इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार इस पर अच्छे गाइडलाइंस जारी करेगी और तिथि को बढ़ाएगी.