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जब सीएम बांट रहे थे नियुक्ति पत्र, अतिथि शिक्षक लगा रहे थे गुहार - डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

पटना के गांधी मैदान में जिस समय पुलिसकर्मियों को सार्वजनिक रूप से नियुक्ति पत्र दिया (Appointment letter given to policemen) गया. उसी वक्त गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय के पास अपनी नियुक्ति को लेकर अतिथि शिक्षक मांगों को पूरी करने के लिए प्रदर्शन करते दिखे. आगे पढ़ें पूरी खबर...

जब सीएम बांट रहे थे नियुक्ति पत्र अतिथि शिक्षक लगा रहे थे गुहार
जब सीएम बांट रहे थे नियुक्ति पत्र अतिथि शिक्षक लगा रहे थे गुहार
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Published : Nov 16, 2022, 5:28 PM IST

Updated : Nov 16, 2022, 7:15 PM IST

पटना: बुधवार को जब सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar), डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और मंत्रिमंडल के अन्य वरिष्ठ मंत्री गांधी मैदान में पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे, उसी वक्त गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय के पास अपनी नियुक्ति को लेकर अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को पूरी करने के लिए प्रदर्शन कर गुहार (Guest teachers protested for appointment near Gandhi Maidan) लगा रहे थे. इस मौके पर माले विधायक संदीप सौरभ भी उपस्थित थे.

ये भी पढ़ें: बिहार में 20 हजार रिटायर्ड जमादार, दरोगा और इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसकर्मियों की होगी संविदा पर बहाली !

पालीगंज विधायक संदीप सौरभ का बयान



बहाली में पारदर्शिता लाने की मांग: अपनी मांग पूरी करने की बात कह रहे राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने अपने समायोजन की बात कही साथ ही उन्होंने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जा रही बहाली में भी पारदर्शिता लाने की मांग की. इन प्रदर्शन कारियों का कहना था कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले 25 से 30 साल में सिर्फ तीन से चार बार ही शैक्षणिक पदों पर बहाली हेतु विज्ञापन निकला है और इन्हें पूरा होने में काफी लंबा वक्त भी लगा है. सन् 2014 में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक पद के लिए निकली बहाली अभी तक पूर्ण नहीं हो पायी है और बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा सन् 2020 में विज्ञापित बहाली अपारदर्शी तरीके से पिछले तीन साल से चल रही है.

अतिथि शिक्षकों की नौकरी पर लटक रही तलवार: इस बीच में पठन-पाठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में यूजीसी से मानदंडों के आधार पर अतिथि शिक्षकों की बहाली हुई और अब उनकी नौकरी पर भी तलवार लटक रही है. इधर बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा जो नियुक्ति की प्रक्रिया अपनायी गई है वह भी काफी अपारदर्शी है. शोधपत्र एवं शैक्षणिक अनुभव के अंक देने में आयोग मनमाना रवैया अपना रहा है. जबकि इसी बीच बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर इत्यादि द्वारा अतिथि शिक्षकों की बहाली में पारदर्शी प्रक्रिया अपनायी गई.


अपारदर्शी बहाली के कारण अतिथि शिक्षकों का खतरे में भविष्य : इनका यह भी कहना था कि जब अभ्यर्थियों ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से भी इसी तरह की पारदर्शिता की मांग की तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी. इस अपारदर्शी बहाली के कारण कई अतिथि शिक्षकों और योग्य अभ्यर्थियों को भी योग्यता के सारे मानदंड पूरे करने के बावजूद साक्षात्कार की प्रक्रिया से ही बाहर हो जाना पड़ा. ऐसी स्थिति में इन अतिथि शिक्षकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. इन अतिथि शिक्षकों ने बदहाल होती उच्च शिक्षा व्यवस्था को खासकर कोरोना काल में एक सहारा देने का कार्य किया था.

UGC के मानदंडों पर अतिथि शिक्षकों को समायोजित करे सरकार: इन्होंने अनुरोध किया कि सरकार यूजीसी के मानदंडों पर नियुक्त बिहार के विश्वविद्यालयों में कार्यरत सभी अतिथि शिक्षकों को समायोजित करे और तत्काल यह घोषणा करे कि किसी भी कार्यरत अतिथि शिक्षक को हटाया नहीं जाएगा और जिन्हें हटाया गया है उन्हें अविलंब सेवा बहाल किया जाए. इसके अलावा इनकी मांगों में पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णियों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को कुलसचिव द्वारा जारी किये गए अनुभव प्रमाण-पत्र पर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) अविलंब शिक्षण अनुभव का अंक प्रदान करने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जा रही बहाली पर अविलंब रोक लगाकर उसे पारदर्शी बनाने के लिए सभी अभ्यर्थियों की मददवार API अंक जारी करके की जाए.

प्रदर्शन में माले विधायक संदीप सौरभ भी रहे उपस्थित: इस मौके पर अतिथि शिक्षकों का साथ देने मौके पर आए पालीगंज के भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि पूरे बिहार में जो अतिथि शिक्षक पढ़ाते हैं उनकी नियुक्ति सरकार ने यूजीसी के तमाम निर्देशों के अनुरूप किया. पिछले सात सालों से यह लोग विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंदर पढ़ा रहे हैं. सारी जिम्मेदारियों को संभाल रहे है. पूरे बिहार की विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की जो संख्या है यूजीसी ने जो पैमाना तय किया है उसके अनुरूप नहीं है. पहले से जो गेस्ट टीचर पढ़ा रहे हैं. वह सारे नियमावली को पूरा करते हुए ही आए हैं. इनके पास वह तमाम डिग्रियां हैं जो सरकार बहाली के वक्त मांगती है. सरकार इनको सीधे-सीधे समायोजित करें. रिटायरमेंट की उम्र की फिक्स की जाए. सैलरी भी सिक्स की जाए. जब परमानेंट शिक्षक लाएंगे और ऐसे में इनको हटा दिया जाएगा, यह शिक्षक कहां जाएंगे? इन्होंने विश्वविद्यालय में लंबे वक्त तक सेवा दी है.


"हमने यह दिन चुना या सीएम ने यह दिन चुन लिया, यह कोई नहीं जानता है. हमने यह वक्त एक हफ्ता पहले ही चुना था. एक सप्ताह पहले सीएम के कार्यक्रम की घोषणा नहीं हुई थी. कल जब लोगों को पता चला तो हम लोग आज शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं." :- संदीप सौरभ, विधायक, पालीगंज

ये भी पढ़ें:CM नीतीश ने 10 हजार पुलिसकर्मियों को सौंपा नियुक्ति पत्र, कहा- बिहार में कानून का राज

पटना: बुधवार को जब सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar), डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और मंत्रिमंडल के अन्य वरिष्ठ मंत्री गांधी मैदान में पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे, उसी वक्त गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय के पास अपनी नियुक्ति को लेकर अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को पूरी करने के लिए प्रदर्शन कर गुहार (Guest teachers protested for appointment near Gandhi Maidan) लगा रहे थे. इस मौके पर माले विधायक संदीप सौरभ भी उपस्थित थे.

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पालीगंज विधायक संदीप सौरभ का बयान



बहाली में पारदर्शिता लाने की मांग: अपनी मांग पूरी करने की बात कह रहे राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने अपने समायोजन की बात कही साथ ही उन्होंने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जा रही बहाली में भी पारदर्शिता लाने की मांग की. इन प्रदर्शन कारियों का कहना था कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले 25 से 30 साल में सिर्फ तीन से चार बार ही शैक्षणिक पदों पर बहाली हेतु विज्ञापन निकला है और इन्हें पूरा होने में काफी लंबा वक्त भी लगा है. सन् 2014 में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक पद के लिए निकली बहाली अभी तक पूर्ण नहीं हो पायी है और बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा सन् 2020 में विज्ञापित बहाली अपारदर्शी तरीके से पिछले तीन साल से चल रही है.

अतिथि शिक्षकों की नौकरी पर लटक रही तलवार: इस बीच में पठन-पाठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में यूजीसी से मानदंडों के आधार पर अतिथि शिक्षकों की बहाली हुई और अब उनकी नौकरी पर भी तलवार लटक रही है. इधर बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा जो नियुक्ति की प्रक्रिया अपनायी गई है वह भी काफी अपारदर्शी है. शोधपत्र एवं शैक्षणिक अनुभव के अंक देने में आयोग मनमाना रवैया अपना रहा है. जबकि इसी बीच बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर इत्यादि द्वारा अतिथि शिक्षकों की बहाली में पारदर्शी प्रक्रिया अपनायी गई.


अपारदर्शी बहाली के कारण अतिथि शिक्षकों का खतरे में भविष्य : इनका यह भी कहना था कि जब अभ्यर्थियों ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से भी इसी तरह की पारदर्शिता की मांग की तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी. इस अपारदर्शी बहाली के कारण कई अतिथि शिक्षकों और योग्य अभ्यर्थियों को भी योग्यता के सारे मानदंड पूरे करने के बावजूद साक्षात्कार की प्रक्रिया से ही बाहर हो जाना पड़ा. ऐसी स्थिति में इन अतिथि शिक्षकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. इन अतिथि शिक्षकों ने बदहाल होती उच्च शिक्षा व्यवस्था को खासकर कोरोना काल में एक सहारा देने का कार्य किया था.

UGC के मानदंडों पर अतिथि शिक्षकों को समायोजित करे सरकार: इन्होंने अनुरोध किया कि सरकार यूजीसी के मानदंडों पर नियुक्त बिहार के विश्वविद्यालयों में कार्यरत सभी अतिथि शिक्षकों को समायोजित करे और तत्काल यह घोषणा करे कि किसी भी कार्यरत अतिथि शिक्षक को हटाया नहीं जाएगा और जिन्हें हटाया गया है उन्हें अविलंब सेवा बहाल किया जाए. इसके अलावा इनकी मांगों में पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णियों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को कुलसचिव द्वारा जारी किये गए अनुभव प्रमाण-पत्र पर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) अविलंब शिक्षण अनुभव का अंक प्रदान करने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जा रही बहाली पर अविलंब रोक लगाकर उसे पारदर्शी बनाने के लिए सभी अभ्यर्थियों की मददवार API अंक जारी करके की जाए.

प्रदर्शन में माले विधायक संदीप सौरभ भी रहे उपस्थित: इस मौके पर अतिथि शिक्षकों का साथ देने मौके पर आए पालीगंज के भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि पूरे बिहार में जो अतिथि शिक्षक पढ़ाते हैं उनकी नियुक्ति सरकार ने यूजीसी के तमाम निर्देशों के अनुरूप किया. पिछले सात सालों से यह लोग विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंदर पढ़ा रहे हैं. सारी जिम्मेदारियों को संभाल रहे है. पूरे बिहार की विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की जो संख्या है यूजीसी ने जो पैमाना तय किया है उसके अनुरूप नहीं है. पहले से जो गेस्ट टीचर पढ़ा रहे हैं. वह सारे नियमावली को पूरा करते हुए ही आए हैं. इनके पास वह तमाम डिग्रियां हैं जो सरकार बहाली के वक्त मांगती है. सरकार इनको सीधे-सीधे समायोजित करें. रिटायरमेंट की उम्र की फिक्स की जाए. सैलरी भी सिक्स की जाए. जब परमानेंट शिक्षक लाएंगे और ऐसे में इनको हटा दिया जाएगा, यह शिक्षक कहां जाएंगे? इन्होंने विश्वविद्यालय में लंबे वक्त तक सेवा दी है.


"हमने यह दिन चुना या सीएम ने यह दिन चुन लिया, यह कोई नहीं जानता है. हमने यह वक्त एक हफ्ता पहले ही चुना था. एक सप्ताह पहले सीएम के कार्यक्रम की घोषणा नहीं हुई थी. कल जब लोगों को पता चला तो हम लोग आज शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं." :- संदीप सौरभ, विधायक, पालीगंज

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Last Updated : Nov 16, 2022, 7:15 PM IST
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