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Bihar Budget 2023: सकल घरेलू उत्पाद में 2.33 लाख की अनुमानित छलांग, बजट का आकार भी बढ़ा - राजकोषीय घाटा

बजट का सिर्फ आकार ही नहीं बढ़ा बल्कि जीडीपी (GDP of Bihar) में भी 2.33 लाख करोड़ का अनुमानित उछाल आया है. देश में बिहार तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है. आर्थिक विकास के मामले में देश तीसरे पायदान पर है.

Gross Domestic Product
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Published : Feb 28, 2023, 7:28 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा में 2023-24 का बजट पेश किया जा चुका है. इस बार बजट का आकार काफी बड़ा है. 2.61 लाख करोड़ का नया बजट सदन के पटल पर पेश किया गया. जबकि पिछले साल ये बजट महज 2.31 लाख करोड़ रुपए का था. बजट में राजकोषीय घाटा को 3% के अंदर ही रखने की कोशिश की गई है. बात जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) 8.98 लाख करोड़ रुपए अनुमानित किया गया है.

ये भी पढ़ें- Bihar Budget 2023 : बिहार विधानसभा में 2.61 लाख करोड़ का बजट पेश, युवा-महिलाओं के लिए खुला पिटारा

बजट और अर्थव्यस्था का आकार बढ़ा: वित्त मंत्री विजय चौधरी ने अपना बजटीय भाषण पढ़ते हुए कहा था कि देश का विकास बिना बिहार के विकास के अपेक्षित नहीं है. इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. वित्त मंत्री ने कहा कि 2023-24 में बिहार का जीडीपी 8 लाख 98 हजार 228 करोड़ रुपए अनुमानित है. राजकोषीय घाटे को भी 3 प्रतिशत के अंदर ही समेटने की कोशिश की गई है. पिछले 10 साल की तुलना में बिहार की अर्थ व्यवस्था 3 गुना तेजी से बढ़ी है.

GDP में 2.33 लाख का अनुमानित उछाल: साल 2011-12 में बिहार का सकल घरेलू उत्पाद 2.47 लाख करोड़ रुपए था जो 2022-23 में बढ़कर 6.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया. इस बार बजट का आकार और जीडीपी में भी उछाल हुआ है. इस बार जीडीपी पिछले साल के बजट के मुताबिक 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपए ज्यादा अनुमानित की गई है.

देश में तीसरे नंबर पर बिहार: अर्थव्यवस्था के साइज के आधार पर बिहार का स्थान का 2018-19 16वें नंबर पर था. जबकि 2021-22 में 2 अंकों की छलांग लगाकर बिहार 14 वें नंबर पर चला गया. आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) के अनुमान में वैश्विक आधार पर 2021-22 में वैश्विक बढ़ोतरी 6 प्रतिशत रही. इसी काल खंड में देश की औसत आर्थिक बढ़ोतरी 8.7% रही. जबकि बिहार का विकास दर देश के विकास दर से 2 फीसदी ज्यादा रहा. यानी 10.98% तक बिहार का विकास दर पहुंच गया.

'जीएसटी लागू होने से क्षमता पर असर': आर्थिक विकास के मामले में बिहार साल 2021-22 में पूरे देश में तीसरे स्थान पर पहुंच गया. बिहार से आगे तीन राज्यों में आंध्र प्रदेश (11.4%) और राजस्थान (11%) ही हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू हो जाने के बाद राज्यों को टैक्स लगाने की क्षमता पर असर पड़ा है. सभी राज्यों की कैपिबिलिटी सीमित रह गई है. राज्यों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति भी नहीं मिल रही है. इसलिए बिहार ने अगले 4-5 साल इसे जारी रखने की भी मांग की हुई है.

पटना: बिहार विधानसभा में 2023-24 का बजट पेश किया जा चुका है. इस बार बजट का आकार काफी बड़ा है. 2.61 लाख करोड़ का नया बजट सदन के पटल पर पेश किया गया. जबकि पिछले साल ये बजट महज 2.31 लाख करोड़ रुपए का था. बजट में राजकोषीय घाटा को 3% के अंदर ही रखने की कोशिश की गई है. बात जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) 8.98 लाख करोड़ रुपए अनुमानित किया गया है.

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बजट और अर्थव्यस्था का आकार बढ़ा: वित्त मंत्री विजय चौधरी ने अपना बजटीय भाषण पढ़ते हुए कहा था कि देश का विकास बिना बिहार के विकास के अपेक्षित नहीं है. इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. वित्त मंत्री ने कहा कि 2023-24 में बिहार का जीडीपी 8 लाख 98 हजार 228 करोड़ रुपए अनुमानित है. राजकोषीय घाटे को भी 3 प्रतिशत के अंदर ही समेटने की कोशिश की गई है. पिछले 10 साल की तुलना में बिहार की अर्थ व्यवस्था 3 गुना तेजी से बढ़ी है.

GDP में 2.33 लाख का अनुमानित उछाल: साल 2011-12 में बिहार का सकल घरेलू उत्पाद 2.47 लाख करोड़ रुपए था जो 2022-23 में बढ़कर 6.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया. इस बार बजट का आकार और जीडीपी में भी उछाल हुआ है. इस बार जीडीपी पिछले साल के बजट के मुताबिक 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपए ज्यादा अनुमानित की गई है.

देश में तीसरे नंबर पर बिहार: अर्थव्यवस्था के साइज के आधार पर बिहार का स्थान का 2018-19 16वें नंबर पर था. जबकि 2021-22 में 2 अंकों की छलांग लगाकर बिहार 14 वें नंबर पर चला गया. आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) के अनुमान में वैश्विक आधार पर 2021-22 में वैश्विक बढ़ोतरी 6 प्रतिशत रही. इसी काल खंड में देश की औसत आर्थिक बढ़ोतरी 8.7% रही. जबकि बिहार का विकास दर देश के विकास दर से 2 फीसदी ज्यादा रहा. यानी 10.98% तक बिहार का विकास दर पहुंच गया.

'जीएसटी लागू होने से क्षमता पर असर': आर्थिक विकास के मामले में बिहार साल 2021-22 में पूरे देश में तीसरे स्थान पर पहुंच गया. बिहार से आगे तीन राज्यों में आंध्र प्रदेश (11.4%) और राजस्थान (11%) ही हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू हो जाने के बाद राज्यों को टैक्स लगाने की क्षमता पर असर पड़ा है. सभी राज्यों की कैपिबिलिटी सीमित रह गई है. राज्यों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति भी नहीं मिल रही है. इसलिए बिहार ने अगले 4-5 साल इसे जारी रखने की भी मांग की हुई है.

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