पटना: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज है. ऐसे में उनकी जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाने की मांग की जा रही है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री और महिला चरखा समिति की अध्यक्ष प्रो. तारा सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मांग को अब तक पूरा नहीं किया है. उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को कई बार पत्र लिखा है. इसके बावजूद सरकार ने इस पर अब तक ध्यान नहीं दिया है.
केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से हैं दुखी
राज्य सरकार की बात की जाए तो प्रो. तारा सिन्हा ने बताया कि बिहार में नीतीश कुमार ने मेधा दिवस मनाने की शुरुआत 2017 में जरूर की थी. लेकिन वह बस खानापूर्ति की तरह होती रही है. ऐसे में वे केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से दुखी हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री तारा सिन्हा पिछले कई सालों से केंद्र सरकार को पत्र लिखती रही हैं कि राजेंद्र प्रसाद की जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाया जाए. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है.
सरकार के पास फिलहाल प्लान नहीं
केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से एक पत्र आया है जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि 2034 तक राजेंद्र प्रसाद को लेकर किसी तरह का प्लान केंद्र सरकार के पास नहीं है.
'केंद्र और राज्य सरकार ने नहीं दिया सम्मान'
प्रो. तारा सिन्हा ने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 12 साल तक राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद जब वे बिहार विद्यापीठ लौटे तो उसी खपरैल नुमा घर में रहने आए थे. ऐसे में उन्होंने अपने लिए कोई सुविधा नहीं मांगी. इसके बावजूद न तो केंद्र सरकार ने उन्हें कोई सम्मान दिया और न ही बिहार सरकार ऐसा कुछ कर रही है. उन्हें कई सालों तक कोई समाधि स्थल भी नहीं मिला. जो एक निराशजनक बात है.