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जयंती विशेष : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के लिए पौत्री ने मांगा ये सम्मान

केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से एक पत्र आया है जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि 2034 तक राजेंद्र प्रसाद को लेकर किसी तरह का प्लान केंद्र सरकार के पास नहीं है.

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Published : Dec 3, 2019, 10:23 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 10:35 AM IST

birth anniversary of dr rajendra prasad
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाने की मांग

पटना: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज है. ऐसे में उनकी जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाने की मांग की जा रही है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री और महिला चरखा समिति की अध्यक्ष प्रो. तारा सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मांग को अब तक पूरा नहीं किया है. उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को कई बार पत्र लिखा है. इसके बावजूद सरकार ने इस पर अब तक ध्यान नहीं दिया है.

केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से हैं दुखी
राज्य सरकार की बात की जाए तो प्रो. तारा सिन्हा ने बताया कि बिहार में नीतीश कुमार ने मेधा दिवस मनाने की शुरुआत 2017 में जरूर की थी. लेकिन वह बस खानापूर्ति की तरह होती रही है. ऐसे में वे केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से दुखी हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री तारा सिन्हा पिछले कई सालों से केंद्र सरकार को पत्र लिखती रही हैं कि राजेंद्र प्रसाद की जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाया जाए. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है.

प्रो. तारा सिन्हा से ईटीवी भारत की खास बातचीत

सरकार के पास फिलहाल प्लान नहीं
केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से एक पत्र आया है जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि 2034 तक राजेंद्र प्रसाद को लेकर किसी तरह का प्लान केंद्र सरकार के पास नहीं है.

birth anniversary of dr rajendra prasad
केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से जारी पत्र

'केंद्र और राज्य सरकार ने नहीं दिया सम्मान'
प्रो. तारा सिन्हा ने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 12 साल तक राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद जब वे बिहार विद्यापीठ लौटे तो उसी खपरैल नुमा घर में रहने आए थे. ऐसे में उन्होंने अपने लिए कोई सुविधा नहीं मांगी. इसके बावजूद न तो केंद्र सरकार ने उन्हें कोई सम्मान दिया और न ही बिहार सरकार ऐसा कुछ कर रही है. उन्हें कई सालों तक कोई समाधि स्थल भी नहीं मिला. जो एक निराशजनक बात है.

पटना: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज है. ऐसे में उनकी जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाने की मांग की जा रही है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री और महिला चरखा समिति की अध्यक्ष प्रो. तारा सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मांग को अब तक पूरा नहीं किया है. उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को कई बार पत्र लिखा है. इसके बावजूद सरकार ने इस पर अब तक ध्यान नहीं दिया है.

केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से हैं दुखी
राज्य सरकार की बात की जाए तो प्रो. तारा सिन्हा ने बताया कि बिहार में नीतीश कुमार ने मेधा दिवस मनाने की शुरुआत 2017 में जरूर की थी. लेकिन वह बस खानापूर्ति की तरह होती रही है. ऐसे में वे केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से दुखी हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री तारा सिन्हा पिछले कई सालों से केंद्र सरकार को पत्र लिखती रही हैं कि राजेंद्र प्रसाद की जयंती को मेधा दिवस के रूप में मनाया जाए. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है.

प्रो. तारा सिन्हा से ईटीवी भारत की खास बातचीत

सरकार के पास फिलहाल प्लान नहीं
केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से एक पत्र आया है जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि 2034 तक राजेंद्र प्रसाद को लेकर किसी तरह का प्लान केंद्र सरकार के पास नहीं है.

birth anniversary of dr rajendra prasad
केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से जारी पत्र

'केंद्र और राज्य सरकार ने नहीं दिया सम्मान'
प्रो. तारा सिन्हा ने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 12 साल तक राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद जब वे बिहार विद्यापीठ लौटे तो उसी खपरैल नुमा घर में रहने आए थे. ऐसे में उन्होंने अपने लिए कोई सुविधा नहीं मांगी. इसके बावजूद न तो केंद्र सरकार ने उन्हें कोई सम्मान दिया और न ही बिहार सरकार ऐसा कुछ कर रही है. उन्हें कई सालों तक कोई समाधि स्थल भी नहीं मिला. जो एक निराशजनक बात है.

Intro:पटना-- देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती 3 दिसंबर को है और कई कार्यक्रम आयोजित होंगे लेकिन उनकी जयंती मेधा दिवस के रूप में मनाने की मांग अब तक केंद्र सरकार ने पूरी नहीं की है राजेंद्र प्रसाद की पोती तारा सिन्हा और कई संस्थानों की तरफ से लगातार केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया बावजूद केंद्र सरकार ने इस मांग को अब तक अनसुना किया है बिहार में नीतीश कुमार ने मेधा दिवस मनाने की शुरूआत 2017 में जरूर की लेकिन वह भी खानापूर्ति ही होता रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा से देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की पोती दुखी है।


Body:डॉ राजेंद्र प्रसाद की पोती तारा सिन्हा पिछले कई सालों से केंद्र सरकार को पत्र लिखती रही हैं कि राजेंद्र बाबू की जयंती मेधा दिवस के रूप में मनाई जाए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी तारा सिन्हा पत्र लिखती रही है लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुआ है हाल में केंद्रीय कला संस्कृति विभाग की तरफ से एक पत्र आया है जिसमें साफ-साफ कहा गया है 2034 तक राजेंद्र बाबू को लेकर किसी तरह का प्लान केंद्र सरकार के पास नहीं है केंद्र सरकार के रवैए से राजेंद्र प्रसाद की पोती तारा सिन्हा काफी दुखी हैं। तारा सिन्हा ने खास बातचीत में कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में 12 साल तक राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद भी जब बिहार विद्यापीठ लौटे तो उसी खपरैल नुमा घर में ही रहने आए जहां से गए थे उन्होंने अपने लिए कोई सुविधा नहीं मांगी थी उसके बावजूद न तो केंद्र सरकार ने कोई सम्मान दिया बिहार सरकार की तरफ से लंबे आंदोलन के बाद 2017 से जरूर मेधा दिवस मनाया जा रहा है लेकिन वह भी खानापूर्ति हो रही है। यहां तक कि राजेंद्र बाबू के लिए कई सालों तक कोई समाधि स्थल भी नहीं था बाद में जो समाधि स्थल बनाया गया, उसका भी रखरखाव ठीक से नहीं होता है।


Conclusion:राजेंद्र बाबू की जयंती पर ऐसे तो कई कार्यक्रम होते हैं उनके समाधि स्थल पर ही कार्यक्रम होंगे जिसमें मुख्यमंत्री और राज्यपाल श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं लेकिन राजेंद्र बाबू की पोती और कई संगठनों की ओर से मेधा दिवस के रूप में उनकी जयंती बनाने की मांग अभी तक आधी अधूरी है।
अविनाश, पटना।
Last Updated : Dec 3, 2019, 10:35 AM IST
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