पटना: बिहार सरकार राज्य के नियोजित शिक्षकों का जल्द ही वेतन बढ़ाएगी. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को विधान परिषद में तृतीय अनुपूरक बजट पर सरकार के जवाब पर चर्चा के दौरान यह ऐलान किया. बता दें कि बिहार में 17 फरवरी से नियोजित शिक्षक हड़ताल पर हैं.
उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को विधान परिषद में तृतीय अनुपूरक बजट पर सरकार के जवाब पर चर्चा के दौरान सदन को बताया कि, नियोजित शिक्षकों को लेकर सरकार संवेदनशील है. जल्द नियोजित शिक्षकों का वेतन बढ़ा दिया जाएगा. लेकिन, सरकार समान काम के बदले समान वेतनमान नहीं दे सकती है.
नियोजित शिक्षकों पर पक्ष-विपक्ष में तकरार
बता दें कि बिहार विधानसभा में मंगलवार को आरजेडी के सदस्यों ने नीतीश और मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आरजेडी सदस्यों ने नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से बिहार में शिक्षण कार्य ठप होने का आरोप लगया. साथ ही सरकार की ओर से हड़ताल समाप्त नहीं कराने पर चिंता जाहिर करते हुए शिक्षा और शिक्षक विरोधी होने का भी आरोप लगाया. आरजेडी के सदस्य राजेन्द्र राम और ललित यादव ने सरकार पर 55 से अधिक घोटालों को लेकर निशाना साधा कहा कि अब इनका जाना तय है.
हड़ताली शिक्षकों पर सख्ती जारी
17 फरवरी से जारी नियोजित शिक्षकों के हड़ताल को लेकर अब तक सरकार ने वार्ता की कोई पहल नहीं की है. एक तरफ नियोजित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं तो दूसरी तरफ सरकार हर दिन बड़ी संख्या में हड़ताली शिक्षकों पर निलंबन और प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई कर रही है. वहीं, शिक्षक संघ के नेता भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. शिक्षक नेता और विधान पार्षद केदारनाथ पांडे ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि जितनी जल्दी हो सके वह शिक्षक संघ से वार्ता करके हड़ताल खत्म करने की पहल करे.
शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा की दो टूक
इधर, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं. शिक्षकों को अपना रुख नरम करना ही होगा. शिक्षा मंत्री की बातों से यह साफ है कि सरकार फिलहाल शिक्षकों की मांगों के आगे झुकने को तैयार नहीं है.
क्या है नियोजित शिक्षकों की मांग
बिहार में साल 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनने के बाद वहां नियोजित शिक्षकों की भर्ती शुरू हुई थी. ऐसे शिक्षकों की संख्या बिहार में करीब 4 लाख तक पहुंच चुकी है. ऐसे में आइये जानते है कि क्या है नियोजित शिक्षकों क मांग.
- राज्य के नियोजित शिक्षक राज्य सरकार से नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षक की तरह वेतनमान.
- नियमित शिक्षक की तरह सेवा शर्त.
- राज्य कर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि बिहार में नियोजित शिक्षकों की मांग को लेकर नीतीश सरकार ने साल 2015 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अप्रैल महीने में एक कमेठी का गठन किया था जिसे नियोजित शिक्षकों के वेतनमान से लेकर तमाम दूसरी मांगों और समस्याओं पर सरकार को अपनी रिपोर्ट देना था. इस कमेटी का अध्यक्ष बिहार सरकार के मुख्य सचिव को बनाया गया था. इस कमेटी में विकास आयुक्त, वित्त और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, प्रधान अपर महाधिवक्ता को सदस्य बनाया गया था. पांच साल बीत जाने के बाद भी यह कमेटी अब तक नियोजित शिक्षकों की समस्याओं को न तो सुलझा पाई है और न ही सरकार को कोई सुझाव दिया है.
क्या है बिहार सरकार की दलील?
बिहार सरकार की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर कर कहा गया था कि नियोजित शिक्षक पंचायती राज निकायों के कर्मी हैं और बिहार सरकार के कर्मचारी नहीं हैं, ऐसे में इन्हें सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन नहीं दी जा सकती.
बिहार सरकार की दलील थी कि राज्य में लगभग चार लाख नियोजित शिक्षक हैं. अगर शिक्षकों के पक्ष में फैसला आता है तो उनका वेतन करीब 35-40 हजार हो जाएगा. इस आदेश से उस पर करीब 9,500 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा.
सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि नियोजित शिक्षकों को सामान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता. कोर्ट को पहले सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने कहा था कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को केवल 20 प्रतिशत वेतन वृद्धि दे सकती है.
केंद्र सरकार ने बिहार सरकार की दलील को सही ठहराया है और कहा है कि अगर शिक्षकों की बात मानी गई तो अन्य राज्यों से भी ये मांग उठेगी.