पटनाः बिहार के पटना में श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का दूसरा दीक्षांत समारोह (Convocation ceremony at Patliputra University) मनाया गया. जहां राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 27 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से नवाजा. राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की खूबियों को गिनाते हुए नई शिक्षा नीति को देश की माटी से जोड़ने वाला शिक्षा नीति बताया. उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा की विडंबना है बिहार की शिक्षा व्यवस्था का कि यहां समय पर परीक्षाएं आयोजित कराना. विश्वविद्यालय इसे अपनी उपलब्धि में बताती है, जबकि यह उनका रूटीन काम है.
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नई शिक्षा नीति स्वावलंबी बनाएगीः जो पुरानी शिक्षा नीति थी वह गुलामी की मानसिकता से भरी पड़ी थी. यह नई शिक्षा नीति हमारी युवा पीढ़ी को स्वावलंबी बनाएगी. आज अच्छी शिक्षा लेने के बाद डिग्री लेकर युवा वर्ग नौकरी के लिए इधर-उधर भटकते हैं, लेकिन यह नई शिक्षा नीति रोजगार मांगने के बजाय रोजगार सृजन कर रोजगार देने का काम करेगी. युवा वर्ग को सेफ पोवर्टी की सोच से रिस्क प्रोस्पेरिटी की ओर बढ़ने की जरूरत है. युवाओं को सशक्त करने के लिए नई शिक्षा नीति लाई गई है. इंप्लीमेंटेशन के लिए इसलिए जोर दे रहे हैं, क्योंकि यह बिहार के ही युवाओं के हित में है.
समय बर्बाद नहीं होगाः डॉ कस्तूरी रंजन जैसे लोग 2 साल तक विचार-विमर्श किया. सभी राज्यों में जाकर अध्ययन किया और फिर नई शिक्षा नीति तैयार की. कुछ लोग कंफ्यूजन क्रिएट कर रहे हैं, लेकिन यह क्लियर है कि 3 साल में ही स्नातक की डिग्री मिल जाएगी. जो लोग आगे पढ़ना चाहते हैं वह 4 साल का कोर्स करेंगे. जो विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं वह 4 साल का कोर्स करेंगे,
अभी के समय 3 साल का ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को विदेशों में आगे पढ़ाई के लिए पहले 1 साल अलग से कोर्स करना पड़ता है. नई शिक्षा नीति में स्नातक पाठ्यक्रम में 1 साल पूरी कर पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट मिलेगा. दूसरे साल पढ़ाई छोड़ने पर डिप्लोमा मिलेगा और तीसरे साल डिग्री मिलेगी.
"यह बिहार की विडंबना है कि समय पर परीक्षा लेना विश्वविद्यालय अपनी उपलब्धि में गिनाते हैं. देश में ऐसा कहीं नहीं होता है. विश्वविद्यालय के कुलपति भी इसे अपनी उपलब्धि में इसलिए गिना रहे हैं, क्योंकि स्थिति और खराब है. गिने-चुने विश्वविद्यालय ही समय पर परीक्षा आयोजित करा रहे हैं. समय पर परीक्षा आयोजित कराना विश्वविद्यालय का दायित्व है. यह रूटीन काम है. यह कोई पीठ थपथपाने वाली उपलब्धि नहीं है." -राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार