पटना: विधानमंडल में शीतकालीन सत्र के पहले दिन आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों ने जेएनयू के मुद्दे पर विधानसभा के बाहर जमकर नारेबाजी की. विधानमंडल की कार्यवाही में शोक प्रस्ताव के दौरान वाम दल के सदस्य जेएनयू के मुद्दे को उठाना चाहे, तो शोक प्रस्ताव के बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने इसको लेकर नाराजगी जताई और कहा कि शोक प्रस्ताव के दौरान इस तरह से सदन में कुछ भी बोलना सही तरीका नहीं है.
संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने भी ईटीवी भारत से खास बातचीत में विपक्षी सदस्यों के रवैये पर कहा कि जब तक सदन के अंदर सदस्य सवाल नहीं उठाएंगे. उसका सरकार जवाब नहीं दे सकती है और विपक्ष या सत्तापक्ष के सदस्य नियम के तहत सवाल पूछेंगे तो सरकार जरूर उसका जवाब देगी. सीपीआईएमएल के सदस्य सुदामा प्रसाद शोक प्रस्ताव के दौरान बोलने पर भी संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का नियमन हुआ है और सभी सदस्य को आसन का सम्मान करना चाहिए.
सुशील मोदी मांगे मांफी
बता दें कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा अध्यक्ष का भाषण हुआ और फिर सुशील मोदी ने 2019-20 का द्वितीय अनुपूरक बजट सदन में चर्चा के लिए रखा. शोक प्रस्ताव के बाद सदन की कार्यवाही 25 नवंबर 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गई. बताते चलें कि सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा पोटिको के बाहर विपक्ष के सदस्यों ने जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. उन्होंने जेएनयू के मुद्दे पर भी सरकार के रवैये पर आश्चर्य जताया. आरजेडी और कांग्रेस के सदस्यों ने उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के ट्वीट पर सुशील मोदी को माफी मांगने को कहा.
अपराध और भ्रष्टाचार के उठेंगे मुद्दे
बता दें कि शीतकालीन सत्र 28 नवंबर तक चलेगा शुक्रवार को प्रश्नकाल नहीं हुआ है, लेकिन 25 नवंबर से प्रश्नकाल, शून्यकाल और ध्यानकर्षण भी होगा. विपक्ष के द्वारा राज्य में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार के मुद्दे के साथ बाढ़, सुखाड़ और किसान के मुद्दे उठाए जा सकते हैं.