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भूमि विवाद के निपटारे को लेकर सरकार गंभीर, लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसले

भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण के मूल्यांकन करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय एजेंसी नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च (NCAER) ने बिहार को इस बार पहला स्थान दिया है. राज्य में इस बार प्रगति 125% हुई है, दूसरा स्थान केरल को मिला है, जिसकी प्रगति 99% और 70% प्रगति के साथ त्रिपुरा तीसरे स्थान पर है.

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Published : Mar 14, 2021, 6:04 PM IST

पटना: जमीन विवाद बिहार के लिए सदियों पुराना मसला है. राज्य में आपराधिक घटनाओं में बड़ी संख्या में जमीन विवाद का मामला रहता है. हालांकि नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री ने बिहार में जमीन विवाद को कम करने के लिए कई तरह के निर्णय लिए हैं. आज भी थाना हो या अदालत सबसे अधिक मामले जमीन विवाद से ही जुड़े ही होते हैं. राज्य की सरकार के लिए जमीन विवाद को नियंत्रित या समाप्त करना एक बड़ी चुनौती है.

नीतीश कुमार ने थाना स्तर से लेकर बिहार सरकार के मुख्य सचिव स्तर तक जमीन विवाद निपटारे को लेकर समय-समय पर मॉनिटरिंग करने का शेड्यूल तय कर दिया है. पिछले एक वर्षों से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा भी जमीन से जुड़ी हुई समस्याओं के निष्पादन के लिए कई तरह के प्रयास किए गए हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण जमीन से जुड़ा हुआ दस्तावेज या जानकारी को विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें: औरंगाबाद: जमीन विवाद में लाठी-डंडे से पीट-पीटकर हत्या, 3 घायल

किए जा रहे कई प्रयास
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ऑनलाइन प्रक्रिया बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है. पिछले दिनों विभाग द्वारा राज्य में ऑनलाइन डीसीएलआर मॉड्यूल लागू किया है. इस मॉड्यूल को लागू करने से विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने में काफी मदद मिलेगी.
इस मॉडल के द्वारा राज्य में दाखिल खारिज संबंधी आदेशों का पालन अंचलाधिकारियों के लिए आवश्यक हो गया है.

वहीं अब अंचल अधिकारियों द्वारा भूमि विवाद में दिए गए फैसलों के खिलाफ डीसीएलआर कार्यालय में ऑनलाइन अपील की जा सकेगी.
विभाग द्वारा अपर समाहर्ताओं को जिला स्तर पर कार्यालयों का नियमित निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही कार्यालय के रिकॉर्ड के रखरखाव पर भी ध्यान देने को कहा गया है.

ये भी पढ़ें: कटिहार: जमीन विवाद में फायरिंग, घटनास्थल से 4 खोखा बरामद

जिलों के रैयतों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जहां भूमि सर्वेक्षण का काम किया जा रहा है.
(हेल्प लाइन नम्बर - 0612- 2280012). वाट्सएप नम्बर - 6299923536
इस नंबर पर लोग अपनी शिकायत और सुझाव दे सकते हैं.

भूमि विवाद निपटारे में ग्राम चौकीदारों की भी सहभागिता
राजस्व एवं सुधार विभाग ने अब निर्णय लिया है कि भूमि विवाद निपटारे में ग्राम चौकीदारों की भी सहभागिता ली जाएगी. अंचलाधिकारी(सीओ) और थाना अध्यक्ष के द्वारा प्रत्येक शनिवार को साझा बैठक में भूमि विवाद पर सुनवाई के दौरान ग्राम चौकीदारों द्वारा दी जाने वाली गोपनीय सूचनाएं अहम भूमिका निभाएगी.

ऑनलाइन म्यूटेशन, एलपीसी के साथ-साथ रजिस्टर-2 में सुधार करने वाले पोर्टल "परिमार्जन" जमाबंदी में सुधार के अलावा आरटीपीएस काउंटर के जरिए मिलने वाली सेवाओं की समय सीमा तय है.

ये भी पढ़ें: जमुई: जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच झड़प, तीन घायल

'पॉइंट ऑफ डिले नोटिफिकेशन' का कंसेप्ट
ऑनलाइन मोटेशन में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नकेल कसने के लिए "पॉइंट ऑफ डिले नोटिफिकेशन" का कंसेप्ट विभाग लाया है. इसमें हर एक कर्मी के लिए निर्धारित समय सीमा बीतने के बाद काम नहीं होने पर उसकी सूचना उच्च अधिकारियों तक पहुंचेगी. लंबित मामलों के लिए कंप्यूटर जनित अलर्ट जारी होगा और हर 1 महीने के आखिरी दिन पूरे राज्य के लंबित मोटेशन मामलों का आंकड़ा कंप्यूटर के डेटाबेस पर दिखने लगेगा.

विभाग ने सर जमीनी सेवाओं की प्रगति से संबंधित रिपोर्ट अंचल से साप्ताहिक स्तर पर मांगने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि इसमें संबंधित डाटा इंट्री नहीं करने वाले राजस्व कर्मी का वेतन रोका जाए. साथ ही मुख्यालय स्तर पर दो नवनियुक्त राजस्व पदाधिकारी जो कंप्यूटर के जानकार हैं. वह विभाग के नेटवर्क पर नजर बनाए रखेंगे.

ये भी पढ़ें: बिहार के मुंगेर में जमीन के विवाद में गोलियां चलीं, पिता-पुत्र समेत तीन की मौत

NCAER ने इस बार बिहार को दिया पहला स्थान
भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण के मूल्यांकन करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय एजेंसी नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च (NCAER) ने बिहार को इस बार पहला स्थान दिया है. राज्य में इस बार प्रगति 125% हुई है, दूसरा स्थान केरल को मिला है, जिसकी प्रगति 99% और 70% प्रगति के साथ त्रिपुरा तीसरे स्थान पर है.

विशाल की उपलब्धि ने राष्ट्रीय सूचना बिहार को 23वें स्थान से लाकर 8वें स्थान पर पहुंचा दिया है.

अपने प्रयासों के बावजूद भी ऐसे कई सवाल हैं जो जमीन खरीदने या बिक्री के समय जानना बेहद जरूरी है.

  • जमीन खरीदने के पहले कौन कार्य करना चाहिए?
  • जमीन खरीदने के तुरंत बाद क्या करें?
  • क्या निबंधन विभाग द्वारा रजिस्ट्री पर सरकार के इतिहासिक निर्णय में मूल उद्देश्य पर खरा नहीं उतरा?
  • झारखंड में दस्तावेज निबंधन के समय खतियान/ जमाबंदी/ एलपीसी /शुद्धि पत्र की प्रति संलग्न करना अनिवार्य.
  • बिना विक्रेता के नाम की जमाबंदी /अद्यतन लगान रसीद के जमीन नहीं बिकिनी चाहिए.
  • संपत्ति में बेटी की भी हिस्सा क्या वाकई जरूरी है?
  • राजस्व संबंधी मामलों में दलालों से सावधान रहना कितना जरूरी ?

    राजस्व भूमि सुधार विभाग द्वारा बड़ी संख्या में कर्मियों की बहाली की जा रही है.

1. डाटा एंट्री ऑपरेटर ग्रेड ए के लिए 3738 पदों पर होगी बहाली. इनका वेतन स्तर 25500 से 1100 तक होगा.

2. डाटा एंट्री ऑपरेटर ग्रेड सी के लिए 139 पदों पर बहाली होगी. इनका वेतन स्तर 35400 से 1,12400 तक होगा.

3. मुख्यालय स्तर पर 5 प्रोग्रामर की बहाली होगी. इनका वेतन स्तर 43600 से 1,51102 होगा.

4. मुख्यालय स्तर पर सिस्टम एनालिस्ट के 1 पद पर बहाली होगी. इनका वेतन स्तर 67700 से 208700 होगा.

इन पदों पर नियमित नियुक्ति होने के बाद 151 करोड़ रुपए प्रति वर्ष वेतन मद में खर्च होने का अनुमान है.

गौरतलब है कि बिहार में दशकों से जमीन विवाद को लेकर खून की होलियां खेली जाती रही है. तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक राज्य में विवाद पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा. हालांकि तमाम प्रयासों के क्या परिणाम होंगे यह तो वक्त ही तय करेगा.

ये भी पढ़ें: जमीन विवाद को लेकर जमकर मारपीट, एक ही परिवार के 6 लोग घायल

पटना: जमीन विवाद बिहार के लिए सदियों पुराना मसला है. राज्य में आपराधिक घटनाओं में बड़ी संख्या में जमीन विवाद का मामला रहता है. हालांकि नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री ने बिहार में जमीन विवाद को कम करने के लिए कई तरह के निर्णय लिए हैं. आज भी थाना हो या अदालत सबसे अधिक मामले जमीन विवाद से ही जुड़े ही होते हैं. राज्य की सरकार के लिए जमीन विवाद को नियंत्रित या समाप्त करना एक बड़ी चुनौती है.

नीतीश कुमार ने थाना स्तर से लेकर बिहार सरकार के मुख्य सचिव स्तर तक जमीन विवाद निपटारे को लेकर समय-समय पर मॉनिटरिंग करने का शेड्यूल तय कर दिया है. पिछले एक वर्षों से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा भी जमीन से जुड़ी हुई समस्याओं के निष्पादन के लिए कई तरह के प्रयास किए गए हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण जमीन से जुड़ा हुआ दस्तावेज या जानकारी को विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें: औरंगाबाद: जमीन विवाद में लाठी-डंडे से पीट-पीटकर हत्या, 3 घायल

किए जा रहे कई प्रयास
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ऑनलाइन प्रक्रिया बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है. पिछले दिनों विभाग द्वारा राज्य में ऑनलाइन डीसीएलआर मॉड्यूल लागू किया है. इस मॉड्यूल को लागू करने से विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने में काफी मदद मिलेगी.
इस मॉडल के द्वारा राज्य में दाखिल खारिज संबंधी आदेशों का पालन अंचलाधिकारियों के लिए आवश्यक हो गया है.

वहीं अब अंचल अधिकारियों द्वारा भूमि विवाद में दिए गए फैसलों के खिलाफ डीसीएलआर कार्यालय में ऑनलाइन अपील की जा सकेगी.
विभाग द्वारा अपर समाहर्ताओं को जिला स्तर पर कार्यालयों का नियमित निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही कार्यालय के रिकॉर्ड के रखरखाव पर भी ध्यान देने को कहा गया है.

ये भी पढ़ें: कटिहार: जमीन विवाद में फायरिंग, घटनास्थल से 4 खोखा बरामद

जिलों के रैयतों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जहां भूमि सर्वेक्षण का काम किया जा रहा है.
(हेल्प लाइन नम्बर - 0612- 2280012). वाट्सएप नम्बर - 6299923536
इस नंबर पर लोग अपनी शिकायत और सुझाव दे सकते हैं.

भूमि विवाद निपटारे में ग्राम चौकीदारों की भी सहभागिता
राजस्व एवं सुधार विभाग ने अब निर्णय लिया है कि भूमि विवाद निपटारे में ग्राम चौकीदारों की भी सहभागिता ली जाएगी. अंचलाधिकारी(सीओ) और थाना अध्यक्ष के द्वारा प्रत्येक शनिवार को साझा बैठक में भूमि विवाद पर सुनवाई के दौरान ग्राम चौकीदारों द्वारा दी जाने वाली गोपनीय सूचनाएं अहम भूमिका निभाएगी.

ऑनलाइन म्यूटेशन, एलपीसी के साथ-साथ रजिस्टर-2 में सुधार करने वाले पोर्टल "परिमार्जन" जमाबंदी में सुधार के अलावा आरटीपीएस काउंटर के जरिए मिलने वाली सेवाओं की समय सीमा तय है.

ये भी पढ़ें: जमुई: जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच झड़प, तीन घायल

'पॉइंट ऑफ डिले नोटिफिकेशन' का कंसेप्ट
ऑनलाइन मोटेशन में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नकेल कसने के लिए "पॉइंट ऑफ डिले नोटिफिकेशन" का कंसेप्ट विभाग लाया है. इसमें हर एक कर्मी के लिए निर्धारित समय सीमा बीतने के बाद काम नहीं होने पर उसकी सूचना उच्च अधिकारियों तक पहुंचेगी. लंबित मामलों के लिए कंप्यूटर जनित अलर्ट जारी होगा और हर 1 महीने के आखिरी दिन पूरे राज्य के लंबित मोटेशन मामलों का आंकड़ा कंप्यूटर के डेटाबेस पर दिखने लगेगा.

विभाग ने सर जमीनी सेवाओं की प्रगति से संबंधित रिपोर्ट अंचल से साप्ताहिक स्तर पर मांगने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि इसमें संबंधित डाटा इंट्री नहीं करने वाले राजस्व कर्मी का वेतन रोका जाए. साथ ही मुख्यालय स्तर पर दो नवनियुक्त राजस्व पदाधिकारी जो कंप्यूटर के जानकार हैं. वह विभाग के नेटवर्क पर नजर बनाए रखेंगे.

ये भी पढ़ें: बिहार के मुंगेर में जमीन के विवाद में गोलियां चलीं, पिता-पुत्र समेत तीन की मौत

NCAER ने इस बार बिहार को दिया पहला स्थान
भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण के मूल्यांकन करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय एजेंसी नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च (NCAER) ने बिहार को इस बार पहला स्थान दिया है. राज्य में इस बार प्रगति 125% हुई है, दूसरा स्थान केरल को मिला है, जिसकी प्रगति 99% और 70% प्रगति के साथ त्रिपुरा तीसरे स्थान पर है.

विशाल की उपलब्धि ने राष्ट्रीय सूचना बिहार को 23वें स्थान से लाकर 8वें स्थान पर पहुंचा दिया है.

अपने प्रयासों के बावजूद भी ऐसे कई सवाल हैं जो जमीन खरीदने या बिक्री के समय जानना बेहद जरूरी है.

  • जमीन खरीदने के पहले कौन कार्य करना चाहिए?
  • जमीन खरीदने के तुरंत बाद क्या करें?
  • क्या निबंधन विभाग द्वारा रजिस्ट्री पर सरकार के इतिहासिक निर्णय में मूल उद्देश्य पर खरा नहीं उतरा?
  • झारखंड में दस्तावेज निबंधन के समय खतियान/ जमाबंदी/ एलपीसी /शुद्धि पत्र की प्रति संलग्न करना अनिवार्य.
  • बिना विक्रेता के नाम की जमाबंदी /अद्यतन लगान रसीद के जमीन नहीं बिकिनी चाहिए.
  • संपत्ति में बेटी की भी हिस्सा क्या वाकई जरूरी है?
  • राजस्व संबंधी मामलों में दलालों से सावधान रहना कितना जरूरी ?

    राजस्व भूमि सुधार विभाग द्वारा बड़ी संख्या में कर्मियों की बहाली की जा रही है.

1. डाटा एंट्री ऑपरेटर ग्रेड ए के लिए 3738 पदों पर होगी बहाली. इनका वेतन स्तर 25500 से 1100 तक होगा.

2. डाटा एंट्री ऑपरेटर ग्रेड सी के लिए 139 पदों पर बहाली होगी. इनका वेतन स्तर 35400 से 1,12400 तक होगा.

3. मुख्यालय स्तर पर 5 प्रोग्रामर की बहाली होगी. इनका वेतन स्तर 43600 से 1,51102 होगा.

4. मुख्यालय स्तर पर सिस्टम एनालिस्ट के 1 पद पर बहाली होगी. इनका वेतन स्तर 67700 से 208700 होगा.

इन पदों पर नियमित नियुक्ति होने के बाद 151 करोड़ रुपए प्रति वर्ष वेतन मद में खर्च होने का अनुमान है.

गौरतलब है कि बिहार में दशकों से जमीन विवाद को लेकर खून की होलियां खेली जाती रही है. तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक राज्य में विवाद पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा. हालांकि तमाम प्रयासों के क्या परिणाम होंगे यह तो वक्त ही तय करेगा.

ये भी पढ़ें: जमीन विवाद को लेकर जमकर मारपीट, एक ही परिवार के 6 लोग घायल

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