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शिक्षकों का वेतन बढ़ाने की घोषणा कर भूले CM नीतीश, कहा था- 1 अप्रैल से होगी 15 फीसदी वृद्धि

15 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी मैदान में घोषणा की थी कि शिक्षकों को 1 अप्रैल से 15% वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा. एक साल बाद भी सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर पाई. शिक्षकों की वेतन विसंगति भी दूर करने की घोषणा हुई थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ. पढ़ें पूरी खबर...

Nitish Kumar
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
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Published : Aug 25, 2021, 8:25 PM IST

पटना: बिहार के लाखों शिक्षकों से किया गया वादा सरकार ने पूरा नहीं किया है. पिछले वर्ष 15 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पटना के गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में घोषणा की थी कि शिक्षकों को 1 अप्रैल से 15% वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा. इस वर्ष 15 अगस्त को एक बार फिर नीतीश ने नई घोषणा कर दी, लेकिन अपना पुराना वादा पूरा करना भूल गए.

यह भी पढ़ें- नीतीश कैबिनेट की बैठक में 14 एजेंडों पर लगी मुहर, ये रही पूरी जानकारी

पिछले साल सरकार ने शिक्षकों का वेतन एक अप्रैल से 15% बढ़ाने का आश्वासन दिया था. उनके लिए सेवा शर्त तय की गई थी. कई वादे किए गए थे, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होते ही सरकार अपने वादे भूल गई. शिक्षा विभाग के विभागीय संकल्प संख्या 1157 दिनांक 20 सितंबर 2020 द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन में 1 अप्रैल 2021 से 15% वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था.

देखें वीडियो

बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि अप्रैल महीने में सरकार शिक्षकों की सैलरी के लिए एक नया सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करेगी. इसके जरिए ना सिर्फ वेतन वृद्धि लागू होगी बल्कि शिक्षकों की तमाम वेतन विसंगतियों को दूर किया जाएगा. यह घोषणा हुए भी अब कई महीने हो गए हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य आशीष कुमार सिंह ने कहा, 'मूल रूप से नियोजित माध्यमिक शिक्षक, उच्च माध्यमिक शिक्षक और लाइब्रेरियन की वेतन विसंगति दूर करते हुए 15% वृद्धि करने और पे मैट्रिक्स की मांग हो रही है.'

"वरीय शिक्षकों को प्रतिवर्ष वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं कर 3 वर्ष में एक बार वेतन वृद्धि करने के फैसले पर भी शिक्षकों का असंतोष है. वरीय शिक्षकों को 2 वर्ष तक ग्रेड पे से वंचित करने से उनका वेतन जूनियर टीचर से भी कम हो जाएगा. शिक्षक मांग कर रहे हैं कि राज्य कर्मियों की तरह ही उनका वेतन स्ट्रक्चर कर दिया जाए तो विसंगति भी दूर होगी और उसके बाद 15% वेतन वृद्धि से तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी."- आशीष कुमार सिंह, सदस्य, माध्यमिक शिक्षक संघ

"यह बड़ी विडंबना है कि एक तरफ मुख्यमंत्री खुद स्वतंत्रता दिवस के दिन गांधी मैदान से घोषणा करते हैं, लेकिन अगले साल तक उनकी कोई घोषणा सरकार पूरा नहीं करती. पिछले साल लंबे इंतजार के बाद सरकार ने शिक्षकों के सेवा शर्त की घोषणा की, लेकिन सेवा शर्त के किसी भी प्रावधान को लागू करने में सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है."- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ

इधर माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों ने कहा कि वेतन वृद्धि ही नहीं बल्कि वेतन से संबंधित अन्य समस्याएं भी हमने शिक्षा मंत्री से मिलकर उनके सामने रखी थी. शिक्षा मंत्री ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन वे भी इसे पूरा करना भूल गए. एक तरफ पिछले साल का किया वादा सरकार ने पूरा नहीं किया. दूसरी तरफ इस साल 15 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक नई घोषणा कर दी कि प्रधानाध्यापक पद के लिए परीक्षा ली जाएगी. ऐसे में शिक्षक परेशान हैं और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब मुख्यमंत्री खुद अपनी घोषणा को लागू नहीं करवा पा रहे तो फिर किस मंत्री और किस विभाग से उम्मीद करें.

यह भी पढ़ें- बोले उपेंद्र कुशवाहा- जातीय जनगणना जरूरी, पिछड़ों को योजनाओं का लाभ दिलाने में होगी मददगार

पटना: बिहार के लाखों शिक्षकों से किया गया वादा सरकार ने पूरा नहीं किया है. पिछले वर्ष 15 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पटना के गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में घोषणा की थी कि शिक्षकों को 1 अप्रैल से 15% वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा. इस वर्ष 15 अगस्त को एक बार फिर नीतीश ने नई घोषणा कर दी, लेकिन अपना पुराना वादा पूरा करना भूल गए.

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पिछले साल सरकार ने शिक्षकों का वेतन एक अप्रैल से 15% बढ़ाने का आश्वासन दिया था. उनके लिए सेवा शर्त तय की गई थी. कई वादे किए गए थे, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होते ही सरकार अपने वादे भूल गई. शिक्षा विभाग के विभागीय संकल्प संख्या 1157 दिनांक 20 सितंबर 2020 द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन में 1 अप्रैल 2021 से 15% वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था.

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बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि अप्रैल महीने में सरकार शिक्षकों की सैलरी के लिए एक नया सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करेगी. इसके जरिए ना सिर्फ वेतन वृद्धि लागू होगी बल्कि शिक्षकों की तमाम वेतन विसंगतियों को दूर किया जाएगा. यह घोषणा हुए भी अब कई महीने हो गए हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य आशीष कुमार सिंह ने कहा, 'मूल रूप से नियोजित माध्यमिक शिक्षक, उच्च माध्यमिक शिक्षक और लाइब्रेरियन की वेतन विसंगति दूर करते हुए 15% वृद्धि करने और पे मैट्रिक्स की मांग हो रही है.'

"वरीय शिक्षकों को प्रतिवर्ष वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं कर 3 वर्ष में एक बार वेतन वृद्धि करने के फैसले पर भी शिक्षकों का असंतोष है. वरीय शिक्षकों को 2 वर्ष तक ग्रेड पे से वंचित करने से उनका वेतन जूनियर टीचर से भी कम हो जाएगा. शिक्षक मांग कर रहे हैं कि राज्य कर्मियों की तरह ही उनका वेतन स्ट्रक्चर कर दिया जाए तो विसंगति भी दूर होगी और उसके बाद 15% वेतन वृद्धि से तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी."- आशीष कुमार सिंह, सदस्य, माध्यमिक शिक्षक संघ

"यह बड़ी विडंबना है कि एक तरफ मुख्यमंत्री खुद स्वतंत्रता दिवस के दिन गांधी मैदान से घोषणा करते हैं, लेकिन अगले साल तक उनकी कोई घोषणा सरकार पूरा नहीं करती. पिछले साल लंबे इंतजार के बाद सरकार ने शिक्षकों के सेवा शर्त की घोषणा की, लेकिन सेवा शर्त के किसी भी प्रावधान को लागू करने में सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है."- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ

इधर माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों ने कहा कि वेतन वृद्धि ही नहीं बल्कि वेतन से संबंधित अन्य समस्याएं भी हमने शिक्षा मंत्री से मिलकर उनके सामने रखी थी. शिक्षा मंत्री ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन वे भी इसे पूरा करना भूल गए. एक तरफ पिछले साल का किया वादा सरकार ने पूरा नहीं किया. दूसरी तरफ इस साल 15 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक नई घोषणा कर दी कि प्रधानाध्यापक पद के लिए परीक्षा ली जाएगी. ऐसे में शिक्षक परेशान हैं और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब मुख्यमंत्री खुद अपनी घोषणा को लागू नहीं करवा पा रहे तो फिर किस मंत्री और किस विभाग से उम्मीद करें.

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