पटना: बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त नियमावली का इंतजार है. सालों से वह बस इसी आस में हैं कि कब सरकार उनके हित में फैसला लेगी. लेकिन, नियोजित शिक्षक कमेटी अभी भी अस्तित्व में है. सरकार को उस कमेटी की अनुशंसा का इंतजार है.
जब विधान परिषद में मौजूद सदस्य शिक्षा मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए तब सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री विजेन्द्र यादव अचानक उठे और उन्होंने यह कहा कि हमने कहा था क्या कि 'समान काम, समान वेतन' के लिए सुप्रीम कोर्ट जाओ. शिक्षकों का कहना है कि वरिष्ठ मंत्री के इस वक्तव्य से साफ हो गया कि सरकार क्यों नियोजित शिक्षकों के सेवा सेवक नियमावली को लटका कर रखना चाहती है.
'शिक्षक सुरक्षित नहीं होंगे तो बिहार का भविष्य सुरक्षित नहीं होगा'
सरकार नियोजित शिक्षकों के उस फैसले से नाराज हैं जिसमें उन्होंने 'समान काम, समान वेतन' लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया. इस बात को बिहार विधान परिषद के सदस्य और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडे में स्वीकार करते हैं. केदारनाथ पांडे ने कहा कि बिना नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त लागू किए हुए सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बिहार के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कैसे कर सकती है? बिना सेवा शर्त के शिक्षक कैसे काम करेंगे, कैसे उनकी उन्नति होगी, कैसे उनका ट्रांसफर होगा और कैसे उन्हें सुविधाएं मिलेगी?
जेडीयू नेता ने किया शिक्षकों का समर्थन
जानकारों का भी कहना है कि जब शिक्षकों का भविष्य ही सुरक्षित नहीं होगा तो किस तरह वे बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगे. वहीं, जदयू नेता दिलीप चौधरी ने भी कहा कि सरकार को सेवा शर्त नियमावली लागू करनी पड़ेगी क्योंकि यह शिक्षकों का हक है.