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राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर कार्यशाला का आयोजन, राज्यपाल ने दिए कई अहम सुझाव

शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि नए भारत का निर्माण हो रहा है. इसमें शिक्षा का बड़ा हाथ है. शिक्षा के कारण ही आज हम दलित और इसके कारण ही पहले जगतगुरु कहलाते थे.

राज्यपाल लालजी टंडन
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Published : Jul 18, 2019, 5:02 PM IST

पटना: राजधानी पटना के एम्स सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसका आयोजन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद ने सयुंक्त रूप से किया. कार्यशाला का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया.

14 राज्य के शिक्षाविदों ने लिया भाग
इस कार्यशाला में 14 राज्यों के विश्वविद्यालयों से आये शिक्षाविदों ने भाग लिया. कार्यशाला में नई शिक्षा नीति पर गंभीरता से विचार विमर्श हुआ. महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए एक समिति बनाई गई थी. समिति ने एमएचआरडी मंत्रालय को नई शिक्षा नीति का प्रारूप सौंप दिया है. हालांकि मंत्रालय इसमें सुधार की संभावना पर सभी स्टेक होल्डर से राय जानना चाहती है.

patna
कार्यशाला में भाग लेते राज्यपाल

1986 में बनी थी पहली शिक्षा नीति
कुलपति ने बताया कि गहनता से विचार विमर्श कर नई शिक्षा नीति के प्रारूप में शामिल करने की कोशिश होगी. उन्होंने बताया कि 1986 में पहली शिक्षा नीति बनी थी. इसके बाद अब नई शिक्षा नीति बनी है. इसमें नयी चीजों को जोड़ने पर गहनता से विचार किया जा रहा है. सभी शिक्षाविदों की राय जानने के बाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना प्रतिवेदन मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपेंगा.

नई शिक्षा नीति प्रारूप पर राज्पाल की सलाह

हर पहलू पर गहनता से हो चर्चा
इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला. शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि नए भारत का निर्माण हो रहा है. इसमें शिक्षा का बड़ा हाथ है. शिक्षा के कारण ही आज हम दलित और इसके कारण ही पहले जगतगुरु कहलाते थे. राज्यपाल ने आधुनिक तकनीक और प्राचीन सूत्र को मिलाकर चलने की सलाह दी. राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति के हर पहलू पर गहनता से चर्चा करने पर जोर दिया.

पटना: राजधानी पटना के एम्स सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसका आयोजन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद ने सयुंक्त रूप से किया. कार्यशाला का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया.

14 राज्य के शिक्षाविदों ने लिया भाग
इस कार्यशाला में 14 राज्यों के विश्वविद्यालयों से आये शिक्षाविदों ने भाग लिया. कार्यशाला में नई शिक्षा नीति पर गंभीरता से विचार विमर्श हुआ. महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए एक समिति बनाई गई थी. समिति ने एमएचआरडी मंत्रालय को नई शिक्षा नीति का प्रारूप सौंप दिया है. हालांकि मंत्रालय इसमें सुधार की संभावना पर सभी स्टेक होल्डर से राय जानना चाहती है.

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कार्यशाला में भाग लेते राज्यपाल

1986 में बनी थी पहली शिक्षा नीति
कुलपति ने बताया कि गहनता से विचार विमर्श कर नई शिक्षा नीति के प्रारूप में शामिल करने की कोशिश होगी. उन्होंने बताया कि 1986 में पहली शिक्षा नीति बनी थी. इसके बाद अब नई शिक्षा नीति बनी है. इसमें नयी चीजों को जोड़ने पर गहनता से विचार किया जा रहा है. सभी शिक्षाविदों की राय जानने के बाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना प्रतिवेदन मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपेंगा.

नई शिक्षा नीति प्रारूप पर राज्पाल की सलाह

हर पहलू पर गहनता से हो चर्चा
इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला. शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि नए भारत का निर्माण हो रहा है. इसमें शिक्षा का बड़ा हाथ है. शिक्षा के कारण ही आज हम दलित और इसके कारण ही पहले जगतगुरु कहलाते थे. राज्यपाल ने आधुनिक तकनीक और प्राचीन सूत्र को मिलाकर चलने की सलाह दी. राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति के हर पहलू पर गहनता से चर्चा करने पर जोर दिया.

Intro:भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति पर सभी स्टेक होल्डर से उनकी राय मांगी गई थी लिहाजा अपनी राय देने से पहले बिहार के मोतीहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय ने इस नई शिक्षा नीति प्रारूप पर एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में 14 राज्यो से 28 विश्वविद्यालयों के कुलपति और वरिष्ठ शिक्षाविदों को बुलाया गया । कार्यशाला का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया।


Body:पटना के एम्स सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर आयोजित कार्यशाला का आयोजन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद ने सयुंक्त रूप से किया जिसमें पूरे देश भर के 14 राज्यों के विश्विविद्यालयो के शिक्षाविदों के साथ नई शिक्षा नीति पर गंभीरता से विचार विमर्श किया गया। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए एक समिति बनाई गई थी और उस समिति से 31 मई को नई शिक्षा नीति का प्रारूप भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा है। अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ये चाहता है कि इस नीति में और क्या सुधार हो सकता इसके लिए सभी स्टेक होल्डर अपनी अपनी राय दे। कुलपति संजीव शर्मा ने बताया कि हम भी एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और हम अपनी राय देने से पहले चाहते है कि इस नीति पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जाय इसलिए पटना में एक कार्यशाला के माध्यम से देश के तमाम शिक्षा विद इसपर गहनता से विचार विमर्श कर रहे है ताकि ये समझा जा सके कि नई शिक्षा नीति के प्रारूप में क्या क्या शामिल किया गया है और यदि इस नीति को राष्ट्रीय कहा जा रहा है तो इसमें राष्ट्रीय क्या है। उन्होंने कहा कि 1986 में पहली शिक्षा नीति बनी थी अब इतने सालों बाद नई शिक्षा नीति बनी है तो उसमें और क्या क्या जोड़ा जा सकता है इस पर विशेष रूप से चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि चर्चा और तमाम शिक्षाविदों की राय जानने के बाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना प्रतिवेदन मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से शिक्षा के तमाम आयामो को काफी फायदा पहुंचेगा।


Conclusion:इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने नई शिक्षा नीति कैसी होनी चाहिए और इसपर किस तरह की चर्चा होनी चाहिए इसपर प्रकाश डाला। कार्यशाला में आये देश भर के शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज नए भारत का निर्माण हो रहा है । हमारे पुरातन भारत का पुनर्जन्म नए भारत कर रूप में हो रहा है और इसमें शिक्षा का बहुत बड़ा हाँथ हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता हमारे जीवन मे है पर लोग उसे धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता में ढूंढते है। राज्यपाल ने अपने संबोधन में आगे कहा कि यदि हम पहले जगतगुरु कहलाते थे तो वो शिक्षा के कारण और आज दलित कहे जाते है तो वो भी शिक्षा के कारण ही। इस सारी चीजों पर विशेष चर्चा हर स्तर पर गंभीरता से होनी चाहिए तभी सही मायनों में नई शिक्षा नीति बन पाएगी और नई शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण में बहुत मददगार भी साबित होगी। उन्होंने कहा कि यदि आप आज नई शिक्षा नीति पर चर्चा करने बैठे है तो ये जरूरी है कि आधुनिक तकनीक और प्राचीन सूत्र को मिलाकर चले। उन्होंने कहा कि बच्चा पैदा होता है तो उसको उसकी प्राथमिक शिक्षा घर मे ही मिलती है,इसलिए शिक्षा की संपूर्णता संस्कारों में है,ये सारी चीजे मौलिक है और भारत इसमें बहुत धनी है लिहाजा नई शिक्षा नीति में हर पहलू पर चर्चा होनी चाहिए।
बाइट - प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा - कुलपति - महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार
बाइट - लालजी टंडन - राज्यपाल - बिहार
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