पटना: बिहार की राजधानी पटना का एक ऐसा जगन्नाथ मंदिर जो सदियों से पटना के गंगा किनारे अदालत घाट पर मौजूद है. यहां हर साल गोवर्धन पूजा के दिन भगवान भगवान जगन्नाथ को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग चढ़ाया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है. सदियों पहले यहां कोई संत भारत दास आए थे और उन्होंने ही इस मंदिर की स्थापना गंगा के किनारे पर किया था.
काफी पुरानी है 56 भोग लगाने की परंपरा : सदियों से यह छप्पन भोग गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को चढ़ाने की प्रक्रिया चली आ रही है. इसी कड़ी में आज गोवर्धन पूजा के मौके पर दिनभर पूजा भजन किया गया संध्या में भगवान की आरती उतारी गई और भगवान को भोग लगाया गया. जगन्नाथ मंदिर के महंत मनोहर दास ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि यह जगन्नाथ मंदिर 350, 400 वर्ष पुराना है. कभी यहां पर जंगल हुआ करता था और आज आसपास में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बन गई, लेकिन आज भी इस मंदिर की महत्ता कम नहीं हुई है.
"पुरातत्व विभाग के तरफ से कई बार कर्मचारी अधिकारी यहां पर आए. उनके द्वारा बताया जाता है कि लगभग 400 वर्ष पुराना यह मंदिर है. इस मंदिर की परंपरा जो है वह सदियों से चली आ रही है उन्होंने कहा कि मैं 30 वर्षों से इस परंपरा को निभा रहा हूं. पूजा अर्चना करता हूं और गोवर्धन पूजा के मौके पर जो पहले आयोजन यहां पर होता था जिस तरह से भगवान को भोग लगाया जाता था ठीक उसी प्रकार आज भी पूजा अर्चना किया जाता है भोग लगाया जाता है और आसपास के लोगों को बुलाकर प्रसाद दिया जाता है."- मनोहर दास, महंत
गोवर्धन पर्वत उठाने पर भगवान कृष्ण को चढ़ा था 56 भोग : महंत ने कहा कि गोवर्धन पूजा से जुड़ी एक पौराणिक कथा है. भगवान श्री कृष्णा बच्चे थे . इंद्र को चढ़ाने के लिए उनके माताजी द्वारा छप्पन भोग बनाए गए थे और वह उसे जाकर बचपन में जूठा कर दिए थे. इसके बाद इंद्र क्रोधित होकर जल वर्षा करने लगे. इससे लोग व्याकुल हो गए. तब श्री कृष्ण भगवान ने अपनी लीला दिखाते हुए पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया. अपने कानी अंगुली पर कई दिनों तक उसे उठाए रखा. इसके इंद्र उन्हें पहचान गए और इंद्र ने कहा कि यह छप्पन भोग अब आप ही को चढ़ेगा. तब से यह परंपरा चली आ रही है.
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