पटनाः आयुष मंत्रालय के तहत तमाम राज्यों में स्वर्ण प्राशन टीकाकरण अभियान को युद्ध स्तर से चलाया जा रहा है. यह स्वर्णप्राशन की दो बूंद आपके बच्चों की जिंदगी बदल देगी. स्वर्णप्राशन दवा केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता ही नहीं बल्कि चमकी बुखार को भी भगाने में मददगार है.
स्वर्ण प्राशन टीकाकरण अभियान
आयुष मंत्रालय के तहत तमाम राज्यों में स्वर्ण प्राशन टीकाकरण अभियान को युद्ध स्तर से चलाया जा रहा है. यह आयुर्वेदिक टीका है जो बच्चों के शरीर में होने वाले कई तरह की बीमारियों से लड़ने का रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. राजधानी पटना स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में बच्चों को यह टीका दिलाया जा रहा है. इनका प्रयोग न केवल मंदबुद्धि बच्चों बल्कि माता के गर्भ के अंदर अपरिपक्व शिशु के विकास के लिए भी किया जा रहा है. यानी अनेक माताएं जिनके शिशु का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है और वे शिशु को जन्म नहीं दे पाती हैं उनके लिए भी यह ड्रॉप लाभदायक साबित हो रहा है.
क्या है स्वर्ण प्राशन ड्रॉप
शहद और घी में स्वर्ण भस्म को मिलाकर यह ड्रॉप तैयार की गई है. साथ ही इसमें कुछ टॉनिक मिलाए गए हैं. जो मेधा शक्ति को बढ़ाते हैं. शोध के अनुसार मस्तिष्क और आंखों के विकास में स्वर्ण प्राशन का विशेष महत्व है. आधुनिक शोध रिसर्च के अनुसार घी में विद्यमान डीएच और ओमेगा 3 फैटी एसिड लपिंग ब्रेन और रेटिनल शिशु के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है. साथ ही शहद और घी शरीर में रोगों से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज की प्रक्रिया को प्रेरित करता है.
स्वर्ण प्राशन टीका
स्वर्ण प्राशन टीका बच्चों के बौद्धिक विकास और विभिन्न रोगों से लड़ने का एक अनूठा तरीका है. जिसे बच्चों के बौद्धिक शक्ति को बढ़ावा देने में मदद करता है और सामान्य विकारों से लड़ने के लिए शरीर में विशिष्ट प्रतिरक्षा पैदा करता है. यह विशेष रूप से चमकी बुखार जैसे ग्रसित विशेष बच्चों के लिए भी उपयोगी है. स्वर्ण प्राशन की खुराक जन्म से 2 साल तक के बच्चों को 2 बूंदें, 2 साल से 16 साल तक के बच्चों को 5 या 6 बूंदे दी जाती है.
सुवर्णप्राशन के लाभ
- शारीरिक शक्ति बढ़ जाती है.
- सीखने की शक्ति विश्लेषण शक्ति और स्मृति तेज हो जाती है.
- बच्चे को विभिन्न प्रकार की एलर्जी से बचाता है.