पटना: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू (JDU) लगातार जातीय जनगणना (Caste Census) के मुद्दे को उठा रही है. साथ ही केंद्र सरकार से जातीय जनगणना करवाने की मांग भी कर रही है. आज भी विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी (Gulam Rasool Balyawi) ने इसको लेकर साफ-साफ कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) सभी जाति और वर्ग के विकास पर ध्यान देते हैं. यही कारण है कि हमारी पार्टी इसको लेकर केंद्र से बार-बार आग्रह करती है.
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गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि जातीय जनगणना होने से सभी धर्म के लोगों की जनसंख्या का सही से आकलन हो सकेगा. इससे पता चलेगा कि किस जाति और धर्म के लोगों की कितनी आबादी है. उनकी आर्थिक स्थिति कैसी है और किस जाति या धर्म के लोगों की आबादी बढ़ने का अनुपात क्या है. उन्हें सरकारी योजना का लाभ कितना मिल पा रहा है, ये भी पता चल पाएगा.
जेडीयू नेता ने साफ-साफ कहा कि हम लोग चाहते है कि सभी वर्ग के लोगों का समुचित विकास हो, यही कारण है कि जातीय जनगणना को लेकर हमारी मांगें जारी है. उन्होंने कहा की नीतीश कुमार राज्य के सभी क्षेत्र और सभी वर्ग के लोगों को समान रूप से देखते हैं और समान रूप से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
गुलाम रसूल बलियावी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर जातीय जनगणना हो जाए तो स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी और इससे सरकार को विकास के कार्य करने में भी सुविधा होगी.
"जातीय आधारित जनगणना होने से बड़ा फायदा होगा कि शैक्षणिक, राजनीतिक और आर्थिक रुप से जो समाज बिल्कुल अंतिम पायदान पर है, उनको आगे आने का मौका मिलेगा और उसी से लेखा-जोखा तैयार होना है"- गुलाम रसूल बलियावी, विधान पार्षद, जेडीयू
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वहीं, जब उनसे सवाल किया गया कि केंद्र अगर बात नहीं मानती है तो क्या आपकी सरकार बिहार में अपने खर्चे से बिहार में जातीय जनगणना करवाएगी. इस पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. जब सरकार कोई निर्णय लेगी तो बताया जाएगा, फिलहाल हम लोग दोबारा से प्रस्ताव केंद्र के पास भेज रहे हैं.
आपको बताएं कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया है. सरकार ने कहा है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है. इसपर नीतीश कुमार ने सवाल खड़ा किया है. नीतीश ने शनिवार को ट्वीट कर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, "हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधानमंडल ने दिनांक 18.02.19 और पुनः बिहार विधानसभा ने दिनांक 27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केन्द्र सरकार को भेजा गया था. केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए."