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'मां' सुषमा के निधन की खबर सुन नहीं थम रहे 'हिंदुस्तान की बेटी' के आंसू

सुषमा स्वराज की मदद से पाकिस्तान से आयी गीता उनके ना रहने की खबर से सदमे में है. इंदौर में मूक बधिर बच्चों के छात्रावास में रह रही गीता कुछ व्यक्त नहीं कर पा रही, उसके दुभाषिये ने बताया कि गीता सुषमा को मां समान मानती थी.

geeta pays tribute to sushma returned from pakistan in 2015 sushma swaraj
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Published : Aug 7, 2019, 4:13 PM IST

इंदौरा/पटना: पाकिस्तान से करीब चार साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता ने इशारों में कहा कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के गुजर जाने से उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि उसकी खैरियत के बारे में वह 'एक मां की तरह' हमेशा चिंता करती थीं.

गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण ही वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी. इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था 'मूक-बधिर संगठन' के आवासीय परिसर भेज दिया गया था. तब से वह मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इसी परिसर में रहकर पढ़ाई कर रही है.

geeta pays tribute to sushma returned from pakistan in 2015 sushma swaraj
सुषमा स्वराज को मानती थी मां

नहीं थम रहे गीता के आंसू...

परिसर के छात्रावास के वॉर्डन संदीप पंडित ने बताया, 'स्वराज के निधन की खबर गीता को बुधवार सुबह दी गई. वह तब से बेहद दुखी है और रोए जा रही है. हम उसे ढांढ़स बंधा रहे हैं.' पंडित के मुताबिक गीता ने इशारों में कहा कि स्वराज के निधन के बाद उसे ऐसा लग रहा है कि उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि वह उसके कुशल-क्षेम के बारे में एक मां की तरह हमेशा चिंता करती थीं.

गीता हुई नि:शब्द

हर छोटी-बड़ी समस्या सुनतीं थीं सुषमा
छात्रावास के वॉर्डन ने बताया, 'गमजदा गीता ने इशारों की जुबान में कहा कि उसकी छोटी-बड़ी समस्याओं के बारे में स्वराज उससे सीधे बात करती थीं. वर्ष 2015 में गीता की स्वदेश वापसी के बाद उसकी दिल्ली और इंदौर में स्वराज से कई बार मुलाकात भी हो चुकी है.'

सुषमा करतीं थीं वीडियो कॉल...
पंडित ने बताया, 'स्वराज वीडियो कॉलिंग के जरिए भी गीता से समय-समय पर मुखातिब होती थीं और उसकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में पूछती थीं.' अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं, लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है. उसके माता-पिता की खोज का अभियान जारी है.

geeta pays tribute to sushma returned from pakistan in 2015 sushma swaraj
इशारों में भवनाएं व्यक्त करती गीता

गीता ने खोयी मां...
गीता से स्वराज का गहरा भावनात्मक लगाव था. तत्कालीन विदेश मंत्री ने गत 20 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान गीता को 'हिंदुस्तान की बेटी' बताते हुए कहा था, 'भारत में गीता के परिवारवाले मिलें या न मिलें, वह दोबारा पाकिस्तान कभी नहीं भेजी जायेगी. उसकी देखभाल भारत सरकार ही करेगी.'

geeta pays tribute to sushma returned from pakistan in 2015 sushma swaraj
अलविदा सुषमा स्वराज

गीता की भारत वापसी...
गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी. भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थ संगठन 'ईदी फाउंडेशन' के आश्रय स्थल में रही थी.

इंदौरा/पटना: पाकिस्तान से करीब चार साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता ने इशारों में कहा कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के गुजर जाने से उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि उसकी खैरियत के बारे में वह 'एक मां की तरह' हमेशा चिंता करती थीं.

गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण ही वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी. इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था 'मूक-बधिर संगठन' के आवासीय परिसर भेज दिया गया था. तब से वह मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इसी परिसर में रहकर पढ़ाई कर रही है.

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सुषमा स्वराज को मानती थी मां

नहीं थम रहे गीता के आंसू...

परिसर के छात्रावास के वॉर्डन संदीप पंडित ने बताया, 'स्वराज के निधन की खबर गीता को बुधवार सुबह दी गई. वह तब से बेहद दुखी है और रोए जा रही है. हम उसे ढांढ़स बंधा रहे हैं.' पंडित के मुताबिक गीता ने इशारों में कहा कि स्वराज के निधन के बाद उसे ऐसा लग रहा है कि उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि वह उसके कुशल-क्षेम के बारे में एक मां की तरह हमेशा चिंता करती थीं.

गीता हुई नि:शब्द

हर छोटी-बड़ी समस्या सुनतीं थीं सुषमा
छात्रावास के वॉर्डन ने बताया, 'गमजदा गीता ने इशारों की जुबान में कहा कि उसकी छोटी-बड़ी समस्याओं के बारे में स्वराज उससे सीधे बात करती थीं. वर्ष 2015 में गीता की स्वदेश वापसी के बाद उसकी दिल्ली और इंदौर में स्वराज से कई बार मुलाकात भी हो चुकी है.'

सुषमा करतीं थीं वीडियो कॉल...
पंडित ने बताया, 'स्वराज वीडियो कॉलिंग के जरिए भी गीता से समय-समय पर मुखातिब होती थीं और उसकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में पूछती थीं.' अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं, लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है. उसके माता-पिता की खोज का अभियान जारी है.

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इशारों में भवनाएं व्यक्त करती गीता

गीता ने खोयी मां...
गीता से स्वराज का गहरा भावनात्मक लगाव था. तत्कालीन विदेश मंत्री ने गत 20 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान गीता को 'हिंदुस्तान की बेटी' बताते हुए कहा था, 'भारत में गीता के परिवारवाले मिलें या न मिलें, वह दोबारा पाकिस्तान कभी नहीं भेजी जायेगी. उसकी देखभाल भारत सरकार ही करेगी.'

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अलविदा सुषमा स्वराज

गीता की भारत वापसी...
गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी. भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थ संगठन 'ईदी फाउंडेशन' के आश्रय स्थल में रही थी.

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सुषमा स्वराज की मदद से पाकिस्तान से आयी गीता उनके ना रहने की खबर से सदमे में है. इंदौर में मूक बधिर बच्चों के छात्रावास में रह रही गीता कुछ व्यक्त नहीं कर पा रही, उसके दुभाषिये ने बताया कि गीता सुषमा को मां समान मानती थी.

'मां' सुषमा के निधन की खबर सुन नहीं थम रहे 'हिंदुस्तान की बेटी' के आंसू



इंदौरा: पाकिस्तान से करीब चार साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता ने इशारों में कहा कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के गुजर जाने से उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि उसकी खैरियत के बारे में वह 'एक मां की तरह' हमेशा चिंता करती थीं.

गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण ही वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी. इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था 'मूक-बधिर संगठन' के आवासीय परिसर भेज दिया गया था. तब से वह मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इसी परिसर में रहकर पढ़ाई कर रही है.

परिसर के छात्रावास के वॉर्डन संदीप पंडित ने बताया, 'स्वराज के निधन की खबर गीता को बुधवार सुबह दी गई. वह तब से बेहद दुखी है और रोए जा रही है. हम उसे ढांढ़स बंधा रहे हैं.' पंडित के मुताबिक गीता ने इशारों में कहा कि स्वराज के निधन के बाद उसे ऐसा लग रहा है कि उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि वह उसके कुशल-क्षेम के बारे में एक मां की तरह हमेशा चिंता करती थीं.

छात्रावास के वॉर्डन ने बताया, 'गमजदा गीता ने इशारों की जुबान में कहा कि उसकी छोटी-बड़ी समस्याओं के बारे में स्वराज उससे सीधे बात करती थीं. वर्ष 2015 में गीता की स्वदेश वापसी के बाद उसकी दिल्ली और इंदौर में स्वराज से कई बार मुलाकात भी हो चुकी है.'

पंडित ने बताया, 'स्वराज वीडियो कॉलिंग के जरिए भी गीता से समय-समय पर मुखातिब होती थीं और उसकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में पूछती थीं.' अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं, लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है. उसके माता-पिता की खोज का अभियान जारी है.

गीता से स्वराज का गहरा भावनात्मक लगाव था. तत्कालीन विदेश मंत्री ने गत 20 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान गीता को 'हिंदुस्तान की बेटी' बताते हुए कहा था, 'भारत में गीता के परिवारवाले मिलें या न मिलें, वह दोबारा पाकिस्तान कभी नहीं भेजी जायेगी। उसकी देखभाल भारत सरकार ही करेगी.'

गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी। भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थ संगठन 'ईदी फाउंडेशन' के आश्रय स्थल में रही थी.




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