पटना: हिंदू धर्म में गंगा नदी हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. हिंदू धर्म में ग्रंथों में गंगा महत्व का विशेष वर्णन है. जीवनदायिनी गंगा में स्नान पुण्य सलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मुक्ति मिल जाती है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी मनाई जाती है. गंगा सप्तमी को लेकर आचार्य मनोज मिश्रा कहते हैं कि प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष में सप्तमी तिथि गंगा सप्तमी या गंगा दशहरा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन गंगा मैया ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर भगवान शिव के जटा में भी आई थी और सप्तमी तिथि को गंगा स्नान करने से पूजा-पाठ और दान करने से बड़ा ही लाभ मिलता है.
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गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान का विशेष महत्व: आचार्य मनोज मिश्रा कहते हैं कि 26 अप्रैल को सप्तमी तिथि 11:37 सुबह से लेकर 27 अप्रैल को 1:37 दोपहर तक रहेगी. इसलिए गंगा सप्तमी 27 अप्रैल को ही मनाया जाएगा. धूमधाम से गंगा सप्तमी के मौके पर पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि गंगा स्नान करने का जो शुभ मुहूर्त है, वह सुबह 4:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक का है. हालांकि ब्राह्मण का स्नान बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाता है. इस दिन स्नान ध्यान करने के बाद जरूरतमंदों को कपड़ा अनाज दान देना बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है. उन्होंने कहा कि गंगा सप्तमी का पर्व गंगा को समर्पित है. इस दिन को गंगा पूजन और गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मां गंगा धरती पर पुनः अवतरित हुई थी. ऐसे तो गंगा स्नान का अपना ही महत्व है, लेकिन सप्तमी तिथि को गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. स्नान करने से मनुष्य को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है.
"शास्त्रों के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन जो श्रद्धालु गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं. वह घर पर प्रातः के समय में ही सामान्य जल से भी गंगा जल मिलाकर मां गंगा को ध्यान करके स्नान कर सकते हैं. इससे उनको गंगा स्नान का लाभ मिलेगा. स्नान करने के बाद घर में गंगा मैया की तस्वीर शिव जी की तस्वीर फोटो लगाकर पूजा अर्चना करें. साथ ही साथ गंगा मैया को और भोलेनाथ को चंदन फूल अच्छा नवेद धूप और दीप से पूजा-अर्चना करें. पूजा अर्चना के बाद गौ माता का पूजा अर्चना कर भोजन कराएं, क्योंकि गौमाता में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है"- आचार्य मनोज मिश्रा