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ये रहा बापू का वो आश्रम, जहां हुई थी शांति वार्ता, आज बन गया खंडहर - Gandhi Ashram in poor condition

ग्रामीणों की माने तो सरकारी उदासीनता के कारण बापू की बची खुची यादे खत्म होने पर है. कई बार स्थानीय विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से इस आश्रम को स्कूल और लाईब्रेरी बना कर बापू के धरोहर को संरक्षित करने की गुहार लगा चुके है. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.

Gandhi Ashram in poor condition d
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Published : Aug 30, 2020, 5:36 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 2:27 PM IST

पटना: मसौढ़ी स्थित गांधी आश्रम इन दिनों बदहाली के आलम में है. सरकारी उदासीनता के कारण आश्रम खंडहर में तब्दील हो गया है. यहां के स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार बापू के धरोहर को सहेज नहीं सके.

Gandhi Ashram
खंडहर में तब्दील गांधी आश्रम

1948 में जब देश आजाद हुआ था, तो बिहार के कई हिस्सों में भीषण दंगे हुए. जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई. इस दंगे से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बहुत दुखी हुए और इस दंगे को शांत कराने के लिए एक टीम बनाकर बिनोवा भावे के साथ पटना पहुंचे और सदाकत आश्रम मे रूके. इसके बाद मसौढ़ी के नौरंगाबाद पहुंचे. जहां तकरीबन डेढ़ महीने तक इस पूरे इलाके में भ्रमण कर लोगों से शांति वार्ता की.

मसौढ़ी से शशि की रिपोर्ट

बता दें कि मसौढी के तकरीबन दस गांव ऐसे थे, जहां भीषण रक्तपात हुआ था. उसी समय नौरंगाबाद मे एक आश्रम बनाकर गांधी लोगों को बुनियादी शिक्षा दिया करते थे. लोगों के मन को बदलने के लिए उन्हे शिक्षित करने लगे और दरी, चादर, सुत, कतली आदी की शिक्षा प्रदान करने लगे. इस पूरे इलाके में सुबह-शाम 'रघुपति राघव राजा राम' के भजन गुंजायमान होते रहते थे. उस आश्रम मे गांधी के साथ 32 लोग रहते थे. आज के वर्तमान हालात मे सभी लोग नहीं है. बस एक छोटन पासवान अभी जिंदा है. छोटन पासवान से ईटीवी भारत संवाददाता ने बात की.

Gandhi Ashram
खंडहर में तब्दील गांधी आश्रम

'आश्रम असमाजिक तत्वों का अड्डा बना आश्रम'
ग्रामीणों की मानें, तो सरकारी उदासीनता के कारण बापू की बची खुची यादे खत्म होने पर है. कई बार स्थानीय विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से इस आश्रम को स्कूल बनाकर बापू के धरोहर को संरक्षित करने की गुहार लगा चुके है. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. बताया जाता है कि तकरीबन सात एकड़ में फैला हुआ यह आश्रम असमाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है. नक्सल इलाका होने के कारण यह आश्रम जंगल जैसा हो चुका है.

पटना: मसौढ़ी स्थित गांधी आश्रम इन दिनों बदहाली के आलम में है. सरकारी उदासीनता के कारण आश्रम खंडहर में तब्दील हो गया है. यहां के स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार बापू के धरोहर को सहेज नहीं सके.

Gandhi Ashram
खंडहर में तब्दील गांधी आश्रम

1948 में जब देश आजाद हुआ था, तो बिहार के कई हिस्सों में भीषण दंगे हुए. जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई. इस दंगे से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बहुत दुखी हुए और इस दंगे को शांत कराने के लिए एक टीम बनाकर बिनोवा भावे के साथ पटना पहुंचे और सदाकत आश्रम मे रूके. इसके बाद मसौढ़ी के नौरंगाबाद पहुंचे. जहां तकरीबन डेढ़ महीने तक इस पूरे इलाके में भ्रमण कर लोगों से शांति वार्ता की.

मसौढ़ी से शशि की रिपोर्ट

बता दें कि मसौढी के तकरीबन दस गांव ऐसे थे, जहां भीषण रक्तपात हुआ था. उसी समय नौरंगाबाद मे एक आश्रम बनाकर गांधी लोगों को बुनियादी शिक्षा दिया करते थे. लोगों के मन को बदलने के लिए उन्हे शिक्षित करने लगे और दरी, चादर, सुत, कतली आदी की शिक्षा प्रदान करने लगे. इस पूरे इलाके में सुबह-शाम 'रघुपति राघव राजा राम' के भजन गुंजायमान होते रहते थे. उस आश्रम मे गांधी के साथ 32 लोग रहते थे. आज के वर्तमान हालात मे सभी लोग नहीं है. बस एक छोटन पासवान अभी जिंदा है. छोटन पासवान से ईटीवी भारत संवाददाता ने बात की.

Gandhi Ashram
खंडहर में तब्दील गांधी आश्रम

'आश्रम असमाजिक तत्वों का अड्डा बना आश्रम'
ग्रामीणों की मानें, तो सरकारी उदासीनता के कारण बापू की बची खुची यादे खत्म होने पर है. कई बार स्थानीय विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से इस आश्रम को स्कूल बनाकर बापू के धरोहर को संरक्षित करने की गुहार लगा चुके है. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. बताया जाता है कि तकरीबन सात एकड़ में फैला हुआ यह आश्रम असमाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है. नक्सल इलाका होने के कारण यह आश्रम जंगल जैसा हो चुका है.

Last Updated : Sep 19, 2020, 2:27 PM IST
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