पटनाः स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार की भूमिका अहम रही है. यहां के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. पटना के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी बच्चन प्रसाद सिंह उन आंदोलन को याद कर काफी भावुक हो गए. बच्चन प्रसाद सिंह 100 की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन आज भी अंग्रेजों के खिलाफ उनका खून खौलता है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अंग्रेजों का क्रूर चेहरा को दर्शाया.
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स्कूल की पढ़ाई छोड़ लड़ाई में कूदेः बच्चन प्रसाद सिंह ने बताया कि जिस समय 1942 में अंग्रेज के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' चल रहा था, उस समय वे हाईस्कूल में पढ़ाई कर रहे थे. देशभक्ति को आजाद कराने का जज्बा लिए स्कूल की पढ़ई छोड़कर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े थे, लेकिन उनकों अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. करीब 2 साल तक उन्होंने विभिन्न जेल में सजा काटी.
2 साल तक जेल में रहेः बच्चन प्रसाद सिंह को साल 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सम्मानित भी कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि 1942 का भारत और आज के भारत में जमीन और आसमान का फर्क आ गया है. उस समय देश में कुछ भी नहीं था. आज देश में काफी तरक्की हुई है. उन्होंने कहा कि जब वे आंदोलन के समय 2 साल जेल में रहे. पहले जहानाबाद फिर गया और वहां से पटना के फुलवारी शरीफ जेल में रहे.
अंग्रेजों से नहीं मांगी माफी तो मिली सजाः उन्होंने कहा कि जब वे जेल में थे तो अंग्रेज अधिकारियों ने उन लोगों को कहा था कि माफी मांग लो, तुम्हें छोड़ दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके. जिस कारण उन्हें बेरहमी से पीटा गया था. माफी नहीं मांगने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया था. अंग्रेजों के सामने अडिग रहे. कहा कि 'जो करना है कर लीजिए, लेकिन माफी नहीं मांगेंगे'.
"हाईस्कूल में थे, जब आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे. उस समय अंग्रेजों के खिलाफ नारा लगाने पर गिरफ्तार कर लिया गया था. अंग्रेजों ने कहा था कि माफी मांग लो छोड़ देंगे, लेकिन मैंने माफी नहीं मांगी, जिस कारण जेल में डाल दिया गया. 2 साल तक जेल में रहे थे. निकलने के बाद फिर आंदोलन में कूद पड़े. " -बच्चन प्रसाद सिंह, स्वतंत्रता सेनानी
'आजादी से एक दिन पहले देश बंट गया': बच्चन प्रसाद ने कहा कि 1942 में देश में कुछ भी नहीं था. सड़कें नहीं थी. यातायात के लिए कुछ ही रूटों पर ट्रेन की सुविधा थी. आज हर गांव तक जाने के लिए सड़क है, अस्पताल से लेकर सैन्य क्षमता भी देश में बेहतर हुई है. 1942 में जब वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे थे, उस समय अखंड भारत की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन हुई थी. दुर्भाग्यपूर्ण था कि आजादी मिलने से 1 दिन पहले भारत दो टुकड़ों में बंट गया. यह विभाजन बहुत ही दुखदाई था. उस समय देश सशक्त भी नहीं था और राजनेताओं ने निर्णय लिया और देश दो हिस्सों में बांटा. लेकिन उसके बाद से अब तक देश में काफी विकास हुआ है.
'जब तक जिएंगे, देश के विकास में योगदान करेंगे': ब्रिटिश हुकूमत में लोगों का सांस लेना भी दूभर होता था. ब्रिटिश अधिकारियों के जुल्म के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं था. आज स्वतंत्र भारत में संविधान हर व्यक्ति की स्वतंत्रता और सम्मान की गारंटी देता है. उन्होंने बताया कि वह 100 वर्ष 6 महीने के हो चुके हैं. अपना सारा जीवन प्रदेश और देश के विकास कार्यों में खपा दिया. जमीन सरकार को दान देकर स्कूल और अस्पताल बनवाए. कहा कि जब तक जिएंगे देश के विकास में योगदान करेंगे.