पटना: बिहार में चौथे कृषि रोडमैप को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 1 अप्रैल से कृषि रोड मैप लागू (Agriculture Roadmap Implementation) होगा और उससे पहले मुख्यमंत्री बापू सभागार में 4000 से अधिक किसानों से 21 फरवरी को फीडबैक लेंगे. पिछले तीन कृषि रोड मैप लागू करने से पहले भी मुख्यमंत्री ने कृषि समागम के माध्यम से किसानों से फीडबैक लिया था. चौथे कृषि रोडमैप के लिए अब तक कई बड़े फैसले लिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कृषि वैज्ञानिक मंगला राय को अपना कृषि सलाहकार कल नियुक्त किया है और उन्हीं के देखरेख में कृषि रोडमैप तैयार हो रहा है. चौथे कृषि रोड मैप से किसानों की आय बढ़ाने के साथ कृषि को लाभकारी बनाने में मील का पत्थर साबित होगा, साथ ही हर भारतीय की थाली में बिहारी व्यंजन पहुंचाने की भी कोशिश होगी.
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लगातार चल रहा है काम: चौथे कृषि रोड मैप का काम अब अंतिम दौर में है, कृषि विभाग के अधिकारी और वैज्ञानिक पिछले कई महीने से इस पर काम कर रहे हैं. जिलों में भी बैठक हुई है और मुख्यमंत्री के स्तर पर भी बैठक कर कृषि रोडमैप की रूपरेखा तय की गई है. चौथे कृषि रोड मैप में गया में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की तैयारी है. जहां मिट्टी और जल संरक्षण पर अनुसंधान होगा क्योंकि गया दक्षिण बिहार के 17 जिलों का मुख्य केंद्र है और इन इलाकों में पानी की कमी रहती है. तो इसे ध्यान में रखकर यहां रिसर्च किया जाएगा और ट्रेनिंग दी जाएगी. किसानों को आधुनिक ट्रेनिंग देने की व्यवस्था भी होगी और मिट्टी जांच की स्थिति बेहतर हो उस पर भी फोकस होगा. कृषि के क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने पर भी चौथे कृषि रोड में जोर देने की तैयारी है और इसके लिए कृषि को उद्योग से भी जोड़ा जाएगा. फूड प्रोसेसिंग पर इस बार ज्यादा फोकस होगा.
कृषि रोड मैप में इन बातों पर होगा फोकस: मौसम के अनुकूल कृषि के साथ तिलहन दलहन का उत्पादन बढ़े, इस पर भी चौथे कृषि रोड मैप में प्रयास होगा. अब तक तीन कृषि रोड मैप में धान, गेहूं और मक्का में बिहार में उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है. नए बीज का प्रयोग भी बढ़ा है, हरियाली पट्टी भी बढ़कर 15% हो गई है. अनाज भंडारण क्षमता 3 गुना बढ़ी है. मछली, दूध और अंडा उत्पादन पहले से काफी बढ़ा है. चौथे कृषि रोड मैप को लेकर कई फैसले लिए गए हैं. पिछले महीने ही कृषि वैज्ञानिक मंगला राय को मुख्यमंत्री ने अपना कृषि सलाहकार नियुक्त किया है. कृषि रोड मैप को लेकर उच्च स्तरीय बैठक भी की थी और अब 21 फरवरी को 4000 से अधिक किसानों को बापू सभागार में बुलाया गया है. मुख्यमंत्री की मौजूदगी में पूरे दिन किसान समागम में किसानों से फीडबैक सरकार लेगी. पहले के तीन कृषि रोड लागू होने से पहले भी किसानों से फीडबैक किसान समागम करके लिया जाता रहा है. किसान के सुझाव को कृषि रोड मैप में जगह दी जाएगी.
क्या कहते हैं कृषि विभाग के वैज्ञानिक: कृषि विभाग के अधिकारी और वैज्ञानिक अनिल झा का कहना है कि 2008 में कृषि रोड मैप लागू हुआ था और तीन कृषि रोड मैप में कृषि के क्षेत्र में बिहार में काफी बदलाव आया है. चाहे चावल हो गेहूं और मक्का हो इसके उत्पादन और प्रति हेक्टेयर उपज में काफी बदलाव हुआ है और इसके कारण 2012 के बाद पांच कृषि कर्मण पुरस्कार भी बिहार को मिला है. कृषि में तकनीक का भी प्रयोग काफी होने लगा है और आज स्थिति यह है कि किसान से 35 लाख मेट्रिक टन धान सरकार अधिप्राप्ति कर रही है. जिस तरह से बदलाव मौसम में होने लगे हैं उसको लेकर किसान को किस तरह से तैयार किया जाए इस पर तो फोकस होगा ही साथ ही दलहन और तिलहन पर भी जोर देने की कोशिश है क्योंकि बड़े पैमाने पर तिलहन का आयात करना पड़ता है. 21 फरवरी को किसान समागम हो रहा है इस पर अनील झा का कहना है कि पहले भी 2012 में 2017 में फीडबैक लिया गया और किसानों के सुझाव के आधार पर बदलाव भी किए गए तो किसानों के सुझाव महत्वपूर्ण हैं.
"2008 में कृषि रोड मैप लागू हुआ था और तीन कृषि रोड मैप में कृषि के क्षेत्र में बिहार में काफी बदलाव आया है. चाहे चावल हो गेहूं और मक्का हो इसके उत्पादन और प्रति हेक्टेयर उपज में काफी बदलाव हुआ है और इसके कारण 2012 के बाद पांच कृषि कर्मण पुरस्कार भी बिहार को मिला है. कृषि में तकनीक का भी प्रयोग काफी होने लगा है और आज स्थिति यह है कि किसान से 35 लाख मेट्रिक टन धान सरकार अधिप्राप्ति कर रही है. जिस तरह से बदलाव मौसम में होने लगे हैं उसको लेकर किसान को किस तरह से तैयार किया जाए इस पर तो फोकस होगा ही साथ ही दलहन और तिलहन पर भी जोर देने की कोशिश है क्योंकि बड़े पैमाने पर तिलहन का आयात करना पड़ता है."- अनिल झा, कृषि वैज्ञानिक
किसानों की आय बढ़ाने पर पूरा जोर: कुल मिलाकर देखें तो चौथे कृषि रोड मैप में बिहार सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने पर पूरा जोर देने की कोशिश होगी. 2025 तक हर खेत तक पानी पहुंचाने पर काम हो रहा है इससे कृषि के क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद लगाई जा रही है कृषि के साथ पशुपालन मत्स्य पालन और अन्य कृषि से जुड़े हुए क्षेत्र पर और बेहतर ढंग से काम करने की तैयारी है. फूड प्रोसेसिंग को लेकर भी बड़े स्तर पर काम करने की तैयारी चौथे कृषि रोडमैप के माध्यम से होगी. तीसरा कृषि रोडमैप 2022 में ही समाप्त हो गया था लेकिन सरकार ने 1 साल के लिए बढ़ा दिया है और चौथे कृषि रोडमैप की तैयारी कई महीनों से चल रही है अब किसान समागन के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा.