पटना: बिहार की राजधानी पटना में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक और अभ्यर्थियों की जगह स्कॉलर (Patna Scholar Gang) सेटिंग कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस की विशेष टीम (Patna Police Special Team) ने पटना के कंकड़बाग इलाके से चार शातिरों गिरफ्तार किया है. ये सभी शातिर स्कॉलर के माध्यम से सेटिंग कर अभ्यर्थियों को सफलता की गारंटी देते थे. सूत्रों की मानें तो इनमें कंकड़बाग निवासी रूपेश, दानापुर निवासी सौरव समेत दो अन्य शामिल हैं. गिरोह के एक सदस्य बिजेंद्र के मोबाइल का लोकेशन कोलकाता में मिला है. उसकी गिरफ्तारी के लिए पटना पुलिस की विशेष सेल की टीम कोलकाता पहुंच गई है.
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गिरोह के सभी सदस्य बिहार के सबसे बड़े सरगना अतुल वत्स गिरोह के हैं. पुलिस ने अब तक उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है. एसएसपी डॉ. मानवजीत सिंह ढिल्लों के मुताबिक स्कॉलर सेटिंग से जुड़े मामलों में कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. इनके माध्यम से मुख्य सरगना तक पहुंचने की कवायद जारी है.
पुलिस सूत्रों की मानें तो वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस को नवंबर 2021 में रिंग रोड सारनाथ से गिरफ्तार पटना के पाटलिपुत्र टेलीफोन एक्सचेंज के पास रहने वाले नीलेश उर्फ पीके के पास से मिले मोबाइल नंबर से बीते दिनों कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं. इसके बाद यूपी पुलिस की सूचना पर पटना पुलिस की टीम ने कंकड़बाग इलाके से रुपेश को हिरासत में लिया.
बताया जा रहा है कि रुपेश किसी परीक्षा में पेपर लीक और अभ्यर्थियों के बदले स्कॉलर बिठाने की सेटिंग में लगा हुआ था. रूपेश से पूछताछ के बाद उसकी निशानदेही पर दानापुर से सौरव समेत दो शातिरों को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद बिजेंद्र के कोलकाता में होने की जानकारी मिली. अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र कोलकाता के एक प्रिंटिंग प्रेस में छपते हैं.
सूत्र बताते हैं कि सौरव के पास से पुलिस ने कार्यालय की कंप्यूटर सिस्टम की सीपीयू जब्त की है. यह आम सीपीयू नहीं है बल्कि इसमें जर्मन डिवाइस लगी है. जिसकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये है. इसमें लगा हार्ड डिस्क विदेशी है. जानकारी के अनुसार यह हार्ड डिस्क सॉफ्टवेयर हैक करने की डिवाइस है. इससे आनलाइन परीक्षाओं में सेटिंग की जाती है. इसकी मदद से ही ऑनलाइन परीक्षा केंद्र का सर्वर शातिरों द्वारा हैक कर लिया जाता है फिर इसके संपर्क वाले अभ्यर्थियों को कंप्यूटर स्क्रीन लैपटॉप पर दिखने लगते हैं.
ऑनलाइन परीक्षा में ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन होते हैं जिनके साथ ऑप्शन भी रहता है. इनसे जुड़े अभ्यर्थी भले ही किसी भी आप्शन पर क्लिक करें, लेकिन जवाब वही सेलेक्ट होता है जो सर्वर पर बैठा शातिर चुनता है. यही कारण है कि सौरव को गिरोह के सदस्य ‘मास्टर’ के नाम से पुकारते हैं. पुलिस टीम अभी पूरी यंत्र रचना को समझने में जुटी है. संभावना है कि पुलिस आज इस मामले का खुलासा कर सकती है.
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