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बिहार में Black Fungus के बाद अब 'White Fungus' ने बढ़ाई टेंशन, जानिए शरीर पर कैसे करता है अटैक

पटना के आईजीआईएमएस और एम्स समेत कई अस्पतालों में ब्लैक फंगस बीमारी का इलाज चल रहा है. इसी बीच पीएमसीएच में व्हाइट फंगस के 4 मरीज मिलने के बाद हड़कंप मच गया. आखिर ये व्हाइट फंगस क्या है और किस हद तक व्हाइट फंगस कोविड मरीजों को प्रभावित कर सकता है. देखिए ये रिपोर्ट.

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Published : May 20, 2021, 3:47 PM IST

Updated : May 20, 2021, 4:22 PM IST

पटना
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पटना: कोरोना महामारी का दंश झेल रहे मरीजों को ब्लैक फंगस ने जबरदस्त परेशान कर रखा है. अभी ब्लैक फंगस की कहानी पूरी नहीं हुई थी कि व्हाइट फंगस के मरीज मिलने से हड़कंप मच गया. पटना में व्हाइट फंगस के 4 मरीज मिले हैं और पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने इसकी पुष्टि की है.

ये भी पढ़ें- सीतामढ़ी: जिले में मिला पहला ब्लैक फंगस का मामला, डॉक्टरों ने पीड़ित व्यक्ति को किया पटना रेफर

''मेरे पास चार ऐसे मरीज आए जो व्हाइट फंगस के शिकार थे. उनमें कोरोना के जैसे लक्षण थे, लेकिन जब उन मरीजों का आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया गया तो वे कोविड निगेटिव पाए गए. हालांकि, उनका फेफड़े संक्रमित थे. जांच के बाद जब उन्हें एंटीफंगल दवा दी गई तो वह ठीक हो गए.''- डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीएमसीएच

डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीएमसीएच
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीएमसीएच

क्या कहते हैं माइक्रोबायोलॉजिस्ट?
माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. एस एन सिंह की माने तो व्हाइट फंगस बीमारी से पीड़ित 4 मरीजों में से एक डॉक्टर भी थे. उन्हें कोरोना के लक्षण को देखते हुए एक निजी अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया और व्हाइट फंगस इंफेक्शन को देखते हुए, उन्हें एंटी फंगस दवा दी गई. एंटीफंगस दवा देते ही उनका ऑक्सीजन लेवल बढ़कर 95 हो गया.

क्या कहते हैं मेडिकल एक्सपर्ट?
व्हाइट फंगस बीमारी के बारे में हमने मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. दिवाकर तेजस्वी से बात की. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि ब्लैक फंगस जितना ज्यादा खतरनाक है, उसके उलट व्हाइट फंगस ज्यादा खतरनाक नहीं है. डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि यह बीमारी कोई नई नहीं है और इसमें एंटीफंगस दवा देने पर तुरंत असर होता है और यह ठीक हो जाता है.

डॉ.दिवाकर तेजस्वी, मेडिकल एक्सपर्ट
डॉ.दिवाकर तेजस्वी, मेडिकल एक्सपर्ट

"व्हाइट फंगस शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है. इसके पहले एचआईवी पेशेंट्स में भी व्हाइट फंगस की समस्या देखी गई है. 'लो इम्यूनिटी' वाले व्यक्तियों को यह फंगस संक्रमित करता है.''- डॉ.दिवाकर तेजस्वी, मेडिकल एक्सपर्ट

ये भी पढ़ें- पटना के IGIMS में ब्लैक फंगस के मरीजों का किया जाएगा 'विशेष' इलाज

कोरोना है या व्हाइट फंगस...कैसे पहचाने?
व्हाइट फंगस से फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण हाई-रेजलूशन कम्यूटेड टोमाग्राफी (एचआरसीटी) स्कैन में कोरोना जैसे ही दिखते हैं. इसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और आरटी पीसीआर (RT- PCR) यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट निगेटिव होता है. एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण (धब्बे हो) दिखने पर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और फंगस के लिए बलगम का कल्चर कराना चाहिए. कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनके फेफड़ों को यह संक्रमित कर सकता है.

'लो इम्यूनिटी' वाले लोग सावधान
व्हाइट फंगस फेफड़ों के अलावा त्वचा, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, इंटेस्टाइन, किडनी और ब्रेन को भी संक्रमित कर सकता है. एक्सपर्ट की बातों से ये स्पष्ट है कि व्हाइट फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. आमतौर पर जिन मरीजों की इम्यूनिटी कम होती है, उनके शरीर के अंगों पर इस बीमारी का असर हो सकता है, लेकिन सामान्य एंटीफंगल दवाओं से इस बीमारी का उपचार हो सकता है.

अब व्हाइट फंगस की दस्तक

कैसे करें व्हाइट फंगस से बचाव?
जो मरीज ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर हैं, उनके ऑक्सीजन या वेंटिलेटर उपकरण विशेषकर ट्यूब आदि जीवाणु मुक्त होने चाहिए. ऑक्सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर में स्ट्रेलाइज वाटर का प्रयोग करना चाहिए, जो ऑक्सीजन मरीज के फेफड़े में जाए वह फंगस से मुक्त हो. जिन मरीजों का रैपिड एंटीजन और आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव हो और जिनके एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण हो, उनका रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराना चाहिए. बलगम के फंगस कल्चर की जांच भी कराना चाहिए.

ये भी पढ़ें- पटना के IGIMS में 'ब्लैक फंगस' के लिए 30 बेड का वार्ड तैयार

ये भी पढे़ं- डॉक्टरों की एक गलती और मरीजों पर 'ब्लैक फंगस' का खतरा, जानिए क्या कहते हैं सिविल सर्जन

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ये भी पढे़ं- 'ब्लैक फंगस' क्या है, कैसे पहचानें? एक्सपर्ट से जानिए हर सवाल का जवाब

पटना: कोरोना महामारी का दंश झेल रहे मरीजों को ब्लैक फंगस ने जबरदस्त परेशान कर रखा है. अभी ब्लैक फंगस की कहानी पूरी नहीं हुई थी कि व्हाइट फंगस के मरीज मिलने से हड़कंप मच गया. पटना में व्हाइट फंगस के 4 मरीज मिले हैं और पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने इसकी पुष्टि की है.

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''मेरे पास चार ऐसे मरीज आए जो व्हाइट फंगस के शिकार थे. उनमें कोरोना के जैसे लक्षण थे, लेकिन जब उन मरीजों का आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया गया तो वे कोविड निगेटिव पाए गए. हालांकि, उनका फेफड़े संक्रमित थे. जांच के बाद जब उन्हें एंटीफंगल दवा दी गई तो वह ठीक हो गए.''- डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीएमसीएच

डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीएमसीएच
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीएमसीएच

क्या कहते हैं माइक्रोबायोलॉजिस्ट?
माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. एस एन सिंह की माने तो व्हाइट फंगस बीमारी से पीड़ित 4 मरीजों में से एक डॉक्टर भी थे. उन्हें कोरोना के लक्षण को देखते हुए एक निजी अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया और व्हाइट फंगस इंफेक्शन को देखते हुए, उन्हें एंटी फंगस दवा दी गई. एंटीफंगस दवा देते ही उनका ऑक्सीजन लेवल बढ़कर 95 हो गया.

क्या कहते हैं मेडिकल एक्सपर्ट?
व्हाइट फंगस बीमारी के बारे में हमने मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. दिवाकर तेजस्वी से बात की. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि ब्लैक फंगस जितना ज्यादा खतरनाक है, उसके उलट व्हाइट फंगस ज्यादा खतरनाक नहीं है. डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि यह बीमारी कोई नई नहीं है और इसमें एंटीफंगस दवा देने पर तुरंत असर होता है और यह ठीक हो जाता है.

डॉ.दिवाकर तेजस्वी, मेडिकल एक्सपर्ट
डॉ.दिवाकर तेजस्वी, मेडिकल एक्सपर्ट

"व्हाइट फंगस शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है. इसके पहले एचआईवी पेशेंट्स में भी व्हाइट फंगस की समस्या देखी गई है. 'लो इम्यूनिटी' वाले व्यक्तियों को यह फंगस संक्रमित करता है.''- डॉ.दिवाकर तेजस्वी, मेडिकल एक्सपर्ट

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कोरोना है या व्हाइट फंगस...कैसे पहचाने?
व्हाइट फंगस से फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण हाई-रेजलूशन कम्यूटेड टोमाग्राफी (एचआरसीटी) स्कैन में कोरोना जैसे ही दिखते हैं. इसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और आरटी पीसीआर (RT- PCR) यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट निगेटिव होता है. एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण (धब्बे हो) दिखने पर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और फंगस के लिए बलगम का कल्चर कराना चाहिए. कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनके फेफड़ों को यह संक्रमित कर सकता है.

'लो इम्यूनिटी' वाले लोग सावधान
व्हाइट फंगस फेफड़ों के अलावा त्वचा, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, इंटेस्टाइन, किडनी और ब्रेन को भी संक्रमित कर सकता है. एक्सपर्ट की बातों से ये स्पष्ट है कि व्हाइट फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. आमतौर पर जिन मरीजों की इम्यूनिटी कम होती है, उनके शरीर के अंगों पर इस बीमारी का असर हो सकता है, लेकिन सामान्य एंटीफंगल दवाओं से इस बीमारी का उपचार हो सकता है.

अब व्हाइट फंगस की दस्तक

कैसे करें व्हाइट फंगस से बचाव?
जो मरीज ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर हैं, उनके ऑक्सीजन या वेंटिलेटर उपकरण विशेषकर ट्यूब आदि जीवाणु मुक्त होने चाहिए. ऑक्सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर में स्ट्रेलाइज वाटर का प्रयोग करना चाहिए, जो ऑक्सीजन मरीज के फेफड़े में जाए वह फंगस से मुक्त हो. जिन मरीजों का रैपिड एंटीजन और आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव हो और जिनके एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण हो, उनका रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराना चाहिए. बलगम के फंगस कल्चर की जांच भी कराना चाहिए.

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Last Updated : May 20, 2021, 4:22 PM IST
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