पटना: 114.97 करोड़ की लागत से सिमरिया धाम स्थल पर सीढ़ी घाट का निर्माण और सौंदर्यीकरण किया जाएगा. सीएम नीतीश कुमार आज शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होंगे. जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि गंगा को सबसे पवित्र और पुण्यदायिनी नदी माना जाता है. 30 मई मां गंगा का अवतरण दिवस गंगा दशहरा है. कहा जाता है कि भगीरथ ऋषि द्वारा वर्षों की तपस्या के बाद आज ही के दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं. उत्तरवाहिनी गंगा तट पर अवस्थित प्राचीन सिमरिया गंगा धाम के कायाकल्प के शुभारंभ के लिए गंगा दशहरा से बेहतर दिन क्या हो सकता था? ऐसे तो क्या कार्यक्रम पहले होना था लेकिन मुख्यमंत्री की विपक्षी एकजुटता मुहिम को लेकर बिहार से बाहर दौरे के कारण रद्द हो गया था और आज जाकर यह कार्यक्रम हो रहा है.
सिमरिया धाम स्थल के सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास: संजय कुमार झा ने जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार योजना के तहत सिमरिया धाम में सीढ़ी घाट के निर्माण और रीवर फ्रंट के विकास के साथ-साथ और संपूर्ण कल्पवास मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाओं का निर्माण कराया जाएगा. योजना में सिमरिया धाम में राजेन्द्र सेतु और निर्माणाधीन सिक्स-लेन पुल के बीच में गंगा के बायें तट का आवश्यकतानुसार उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं शीट पाइलिंग करते हुए नदी भाग में लगभग 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट का निर्माण, स्नान घाट के निकट चेंजिंग रूम का निर्माण, स्नान घाट के समानांतर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था, गंगा आरती के लिए विनिर्दिष्ट स्थल का निर्माण, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप का निर्माण, शेडेड कैनोपी, वाच टावर, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था एवं लैंडस्केपिंग, शौचालय परिसर, धर्मशाला, पार्क, पाथ-वे, पार्किंग एवं प्रकाशीय व्यवस्था का निर्माण आदि शामिल है. इसके अलावा छह लेन सेतु से दक्षिण में स्थित मुक्तिधाम को भी बेहतर बनाया जाएगा.
सिमरिया घाट का पौराणिक महत्व: मंत्री संजय झा ने कहा कि सिमरिया धाम में प्राचीन काल से ही हर साल कार्तिक मास में कल्पवास मेला लगता है, जिसमें बिहार ही नहीं, कुछ अन्य राज्यों तथा नेपाल तक से श्रद्धालु आते हैं. इनमें महिला श्रद्धालुओं और साधु-संतों की अच्छी संख्या होती है. वे एक माह यहां गंगा तट पर पर्णकुटी बना कर रहते हैं, प्रतिदिन गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं और सांसारिक मोह-माया को छोड़ कर दिनभर भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं. मान्यता है कि सिमरिया में कार्तिक मास में कल्पवास करने से घर-परिवार में सुख-शांति-समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
सिमरिया को राजकीय मेला का दर्जा: मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सिमरिया कल्पवास मेले को करीब डेढ़ दशक पहले राजकीय मेला का दर्जा दिया गया था. उसके बाद यहां वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और 2017 में महाकुंभ का आयोजन हो चुका है. इस तरह के आयोजन से इस स्थल व्यापक प्रसिद्धि मिली. इसके अलावा यहां स्नान, मुंडन और धार्मिक अनुष्ठान के लिए विभिन्न जिलों से सालोभर श्रद्धालु आते रहते हैं लेकिन, जरूरी सुविधा नहीं होने के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं और कल्पवासियों को कई तरह की असुविधाओं का सामना करना पड़ता था.
18 महीने में कार्य पूरा करने का लक्ष्य: संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री की इच्छा थी कि सिमरिया धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जाए. मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही जल संसाधन विभाग ने सिमरिया में सीढ़ी घाट के निर्माण, सौंदर्यीकरण एवं अन्य विकासात्मक कार्यों का एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया. सीएम ने नवंबर 2022 में सिमरिया धाम में लगे कल्पवास मेले में भ्रमण कर यहां मौजूद श्रद्धालुओं और साधु-संतों का फीडबैक लिया था. साथ ही जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार कॉन्सेप्ट प्लान की समीक्षा कर डिटेल योजना (DPR) बनाने के निर्देश दिये थे. इसके लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार 114.97 करोड़ रुपये की योजना को 22 मार्च 2023 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली. योजना की टेंडर प्रक्रिया वगैरह पूरी हो चुकी है. योजना को कार्यारंभ से 18 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है.
कनेक्टिविटी की दिक्कत नहीं होगी: मंत्री ने आगे कहा कि सिमरिया धाम मिथिला का प्रवेश द्वार भी है. इसे मिथिला के लोग 'गेटवे ऑफ मिथिला' की तरह मानते रहे हैं. यह स्थल रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. प्रस्तावित स्थल के दक्षिण में सिक्स-लेन पुल और हाईवे का निर्माण हो रहा है, जो पटना और खगड़िया को जोड़ेगा. दो बड़ा रेलवे स्टेशन बरौनी और मोकामा यहां से ज्यादा दूर नहीं है, यानी यहां कनेक्टिविटी का कोई इश्यू नहीं है.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिमरिया धाम को हर की पौड़ी (हरिद्वार) से भी सुंदर बनाने का निर्देश दिया है. सिमरिया धाम का विकास और सौंदर्यीकरण होने पर यहां धार्मिक पर्यटन का तेजी से विकास होगा, दूर-दूर से श्रद्धालु आएंगे, धर्मशाला में ठहरेंगे. मिथिला और बिहार के विभिन्न जिलों से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तो वृद्धि होगी ही और उन्हें यहां आकर गर्व महसूस होगा. इससे आसपास के इलाके में होटल और परिवहन सहित कई तरह के कारोबार और रोजगार के अवसर पैदा होंगे"- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग