पटनाः एनआईओएस डीएलएड शिक्षकों का मामला राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है. एक तरफ जहां केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने बयान दिया है कि वह इन शिक्षकों पर पटना हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. वहीं, दूसरी तरफ बिहार सरकार अब भी इन शिक्षकों की डिग्री को लेकर संशय में है. इन सबके बीच एनआईओएस के पूर्व चेयरमैन ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बिहार सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
एनआईओएस के पूर्व चेयरमैन सीबी शर्मा ने ट्विटर कर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि एनआईओएस शिक्षकों की डिग्री को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री के बयान के बाद अब कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए.
सरकार को है एनसीटीई के जवाब का इंतजार
सूत्रों के मुताबिक बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ l.p.a. में जा रही है. बिहार सरकार को एनसीटीई के लिखित जवाब का इंतजार है, जो उन्हें अब तक नहीं मिला है. बिहार सरकार के अधिकारी केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री के बयान को भी महत्व नहीं दे रहे हैं. उनका कहना है कि हमें लिखित आदेश का इंतजार है.
सीबी शर्मा ने खड़े किए गंभीर सवाल
बिहार सरकार के इस रवैये पर सीबी शर्मा ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यह जरूर मोदी सरकार के फैसले को लेकर राजनीति हो रही है. बिहार के लाखों शिक्षक इस राजनीति के शिकार हो रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार से अपील भी की है कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री के बयान को संज्ञान में लेते हुए एनआईओएस डीएलएड शिक्षकों को नियोजन में मौका देना चाहिए.
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'सरकार की नीयत साफ नहीं'
उधर, एनआईओएस डीएलएड संघ के नेता पप्पू कुमार ने कहा कि बिहार सरकार की बहाली लेने की नीयत साफ नहीं है, इसलिए एनसीटीई का हवाला देकर सरकार ने शिक्षक नियोजन प्रक्रिया पर रोक लगा दिया है. अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस डिग्री को मान्य ठहराया है, उसके बावजूद भी बिहार सरकार की तरफ से एक भी स्टेटमेंट एनआईओएस के बारे में नहीं आया है. ये बहुत दुखद है. पप्पू कुमार ने ये भी कहा कि बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट और त्रिपुरा हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रही है, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.