ETV Bharat / state

गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन, पीएम-सीएम सहित कई हस्तियों ने जताया शोक - Folk singer mridula sinha

गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन हो गया. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. मृदुला बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली थीं.

मृदुला सिन्हा
मृदुला सिन्हा
author img

By

Published : Nov 18, 2020, 4:43 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 5:28 PM IST

पटना: गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन हो गया. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. मृदुला बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली थीं.

मृदुला सिन्हा शुरू से जनसंघ से जुड़ी रही हैं. भाजपा की प्रभावी नेता थीं. उनका जन्म 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर में हुआ था. वो लोक आस्था के महापर्व पर अक्सर लिखती रहीं हैं.

छठ पर्व पर लिखती रहीं हैं लेख
मृदुला सिन्हा एक सफल राजनीतिज्ञ के अलावा लोक परंपराओं के बारे में भी लिखती रही हैं. लोक आस्था के महापर्व छठ महापर्व पर जब लिखती थीं, तो लगता था जैसे-गांव की मिट्‌टी की सोंधी सुगंध बिखर गई हो. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.

'श्रीमती मृदुला सिन्हा जी को जनता की सेवा के लिए उनके प्रयासों के लिए याद किया जाएगा. वो एक कुशल लेखिका भी थीं, जिन्होंने साहित्य के साथ-साथ संस्कृति की दुनिया में भी व्यापक योगदान दिया. उनके निधन से दुखी उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं ' - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

  • Smt. Mridula Sinha Ji will be remembered for her efforts towards public service. She was also a proficient writer, making extensive contributions to the world of literature as well as culture. Anguished by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/EmYWcFEb5g

    — Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मृदुला सिन्हा के बारे में

  • मृदुला सिन्हा का जन्म 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर के छपरा गांव में हुआ था. वे एक सुविख्यात हिंदी लेखिका थीं.
  • मृदुला भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति की सदस्य रहीं हैं.
  • लेखक के तौर पर वो पांचवां स्तम्भ के नाम से एक सामाजिक पत्रिका की संपादक थीं.
  • भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में उन्हें केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था.
  • किताब के आधार पर बनी कहानी
  • मृदुला की एक किताब 'एक थी रानी ऐसी भी' की पृष्ठभूमि पर आधारित राजमाता विजया राजे सिन्धिया को लेकर एक फिल्म बनाई जा चुकी है.

राजनीति में ऐसे रखे कदम

  • मनोविज्ञान में एमए करने के बाद उन्होंने बीएड किया. वो मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में प्रवक्ता भी रहीं हैं.
  • कुछ समय तक मोतीहारी के एक विद्यालय में प्रिंसिपल भी रहीं.
  • उन्होंने हिन्दी साहित्य की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया.

उनके पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा, जो विवाह के वक्त किसी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता हुआ करते थे, जब बिहार सरकार में मन्त्री हो गये तो मृदुला जी ने भी साहित्य के साथ-साथ राजनीति की सेवा शुरू कर दी. आज तक यह सिलसिला लगातार जारी रहा.

मृदुला सिन्हा की रचनाएं
मृदुला सिन्हा की लिखे लेख राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी), नई देवयानी (उपन्यास), ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास), घरवास (उपन्यास), यायावरी आंखों से (लेखों का संग्रह), देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह), सीता पुनि बोलीं (उपन्यास), बिहार की लोककथायें -एक (कहानी संग्रह), बिहार की लोककथायें -दो (कहानी संग्रह), ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह), मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श), विकास का विश्‍वास (लेखों का संग्रह), साक्षात्‍कार(कहानी संग्रह, अतिशय, स्पर्श की तासीर, क ख ग, मानवी के नाते, पुराण के बच्चे, विकास का विश्वास, एक दिए की दीवाली आदि हैं.

पटना: गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन हो गया. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. मृदुला बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली थीं.

मृदुला सिन्हा शुरू से जनसंघ से जुड़ी रही हैं. भाजपा की प्रभावी नेता थीं. उनका जन्म 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर में हुआ था. वो लोक आस्था के महापर्व पर अक्सर लिखती रहीं हैं.

छठ पर्व पर लिखती रहीं हैं लेख
मृदुला सिन्हा एक सफल राजनीतिज्ञ के अलावा लोक परंपराओं के बारे में भी लिखती रही हैं. लोक आस्था के महापर्व छठ महापर्व पर जब लिखती थीं, तो लगता था जैसे-गांव की मिट्‌टी की सोंधी सुगंध बिखर गई हो. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.

'श्रीमती मृदुला सिन्हा जी को जनता की सेवा के लिए उनके प्रयासों के लिए याद किया जाएगा. वो एक कुशल लेखिका भी थीं, जिन्होंने साहित्य के साथ-साथ संस्कृति की दुनिया में भी व्यापक योगदान दिया. उनके निधन से दुखी उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं ' - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

  • Smt. Mridula Sinha Ji will be remembered for her efforts towards public service. She was also a proficient writer, making extensive contributions to the world of literature as well as culture. Anguished by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/EmYWcFEb5g

    — Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मृदुला सिन्हा के बारे में

  • मृदुला सिन्हा का जन्म 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर के छपरा गांव में हुआ था. वे एक सुविख्यात हिंदी लेखिका थीं.
  • मृदुला भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति की सदस्य रहीं हैं.
  • लेखक के तौर पर वो पांचवां स्तम्भ के नाम से एक सामाजिक पत्रिका की संपादक थीं.
  • भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में उन्हें केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था.
  • किताब के आधार पर बनी कहानी
  • मृदुला की एक किताब 'एक थी रानी ऐसी भी' की पृष्ठभूमि पर आधारित राजमाता विजया राजे सिन्धिया को लेकर एक फिल्म बनाई जा चुकी है.

राजनीति में ऐसे रखे कदम

  • मनोविज्ञान में एमए करने के बाद उन्होंने बीएड किया. वो मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में प्रवक्ता भी रहीं हैं.
  • कुछ समय तक मोतीहारी के एक विद्यालय में प्रिंसिपल भी रहीं.
  • उन्होंने हिन्दी साहित्य की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया.

उनके पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा, जो विवाह के वक्त किसी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता हुआ करते थे, जब बिहार सरकार में मन्त्री हो गये तो मृदुला जी ने भी साहित्य के साथ-साथ राजनीति की सेवा शुरू कर दी. आज तक यह सिलसिला लगातार जारी रहा.

मृदुला सिन्हा की रचनाएं
मृदुला सिन्हा की लिखे लेख राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी), नई देवयानी (उपन्यास), ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास), घरवास (उपन्यास), यायावरी आंखों से (लेखों का संग्रह), देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह), सीता पुनि बोलीं (उपन्यास), बिहार की लोककथायें -एक (कहानी संग्रह), बिहार की लोककथायें -दो (कहानी संग्रह), ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह), मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श), विकास का विश्‍वास (लेखों का संग्रह), साक्षात्‍कार(कहानी संग्रह, अतिशय, स्पर्श की तासीर, क ख ग, मानवी के नाते, पुराण के बच्चे, विकास का विश्वास, एक दिए की दीवाली आदि हैं.

Last Updated : Nov 18, 2020, 5:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.