ETV Bharat / state

Shobha Ahotkar vs IPS Vikas Vaibhav: 'गालीबाज को सम्मान और रिकॉर्ड करने वाले को मिले सजा,' जानें किसने की ऐसी मांग

उड़िसा कैडर के पूर्व डीजीपी अरुण कुमार उपाध्याय ने डीजी शोभा अहोतकर पर कार्रवाई ना करने पर नाराजगी जतायी है. उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट करते हुए कहा है कि सरकारी मीटिंग में गाली देने वाले आईएएस अधिकारी केके पाठक को भी सम्मानित कर उनकी गाली को रिकॉर्ड करने वाले को दण्डित किया जाए.

Shobha Ahotkar vs IPS Vikas Vaibhav
Shobha Ahotkar vs IPS Vikas Vaibhav
author img

By

Published : Feb 13, 2023, 1:08 PM IST

पटना: बिहार के सीनियर आईपीएस और आईएएस अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ को दिए गए गाली गलौज का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. मध निषेध विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक के बाद गिरी रक्षा वाहिनी और फायर सर्विस की डीजी शोभा अहोतकर के द्वारा प्रयोग की गई गाली शब्द को लेकर लगातार मामला तूल पकड़ता जा रहा है.

पढ़ें- IAS KK Pathak: भरी मीटिंग में अफसरों को दी गाली! बिहार के दबंग सचिव का VIDEO वायरल

उड़ीसा के पूर्व डीजीपी का बड़ा बयान :केके पाठक मामले में जहां जांच की जिम्मेवारी आर्थिक अपराध इकाई को दी गई है. वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि शोभा अहोतकर के द्वारा आईपीएस विकास वैभव के द्वारा की गई ट्वीट को लेकर सोमवार को स्पष्टीकरण दिया जा सकता है. मामला को तूल पकड़ते देखकर 1976 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी और उड़ीसा के पूर्व डीजीपी अरुण कुमार उपाध्याय जो पटना के रहनेवाले हैं, नाराजगी जतायी है. इस प्रकरण पर अपने फेसबुक पर लिखते है कि गाली देना राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बन्धित नहीं है. अतः उसका रिकॉर्डिंग करना Official Secrets Act, section 3 में नहीं आता है.

'सार्वजनिक सरकारी मीटिंग में गाली देना अपराध': अपने पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा है कि सार्वजनिक सरकारी मीटिंग में गाली तथा धमकी देना भारतीय दण्ड विधान संहिता (Indian Penal Code) धारा ३५२/५०४ के अधीन अपराध है. यदि शोभा जी ने पुलिस में निष्ठा से काम किया होता तो उनको पता होता. केवल स्त्री होने के कारण सभी दुर्गुण को गुण नहीं मान सकते.न्यायिक अपराध भारतीय सेवा के अधिकारी के लिए भी उचित नहीं हो सकता है.

'गाली देने वाले को किया जाए सम्मानित': सभी सरकारी मीटिंग रिकॉर्ड कर उस पर उपस्थित व्यक्तियों का हस्ताक्षर लिया जाता है. इसकी सही रिकॉर्डिंग से क्रोध क्यों?आगे उन्होंने लिखा कि गृहरक्षा विभाग का उद्देश्य है जनता का हृदय जीत कर उनका ऐच्छिक सहयोग लेना. गाली देने वाले अधिकारी इसके विरुद्ध आचरण कर रहे हैं. पुलिस तथा सरकार का उद्देश्य है लोक आस्था जीतना. गाली देने के अभ्यस्त अधिकारी को तुरन्त पद से हटाना चाहिए.यदि सरकार की दृष्टि में गाली देना ही अनुशासन का चिह्न है तो केवल महिला अधिकारी के लिए यह कैसे गुण हुआ? आरा में सरकारी मीटिंग में गाली देने वाले आईएएस अधिकारी के के पाठक को भी सम्मानित कर उनकी गाली को रिकॉर्ड करने वाले को दण्डित किया जाए. मेरा मन्तव्य नाम सहित प्रकाशित कर सकते हैं.

क्या है पूरा मामला?: दरअसल बिहार होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज की डीजी शोभा अहोतकर और आईजी होमगार्ड आईपीएस अधिकारी विकास वैभव के बीच चल रहे विवाद पर बयानबाजियों का दौर जारी है. डीजी होमगार्ड पर आईपीएस अधिकारी विकास वैभव को गालियां देने का आरोप है. इससे आहत आईपीएस विकास वैभव ने एक ट्वीट कर अपनी पीड़ा को बयां किया था. इसके बाद से इस पूरे मामले पर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.

पटना: बिहार के सीनियर आईपीएस और आईएएस अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ को दिए गए गाली गलौज का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. मध निषेध विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक के बाद गिरी रक्षा वाहिनी और फायर सर्विस की डीजी शोभा अहोतकर के द्वारा प्रयोग की गई गाली शब्द को लेकर लगातार मामला तूल पकड़ता जा रहा है.

पढ़ें- IAS KK Pathak: भरी मीटिंग में अफसरों को दी गाली! बिहार के दबंग सचिव का VIDEO वायरल

उड़ीसा के पूर्व डीजीपी का बड़ा बयान :केके पाठक मामले में जहां जांच की जिम्मेवारी आर्थिक अपराध इकाई को दी गई है. वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि शोभा अहोतकर के द्वारा आईपीएस विकास वैभव के द्वारा की गई ट्वीट को लेकर सोमवार को स्पष्टीकरण दिया जा सकता है. मामला को तूल पकड़ते देखकर 1976 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी और उड़ीसा के पूर्व डीजीपी अरुण कुमार उपाध्याय जो पटना के रहनेवाले हैं, नाराजगी जतायी है. इस प्रकरण पर अपने फेसबुक पर लिखते है कि गाली देना राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बन्धित नहीं है. अतः उसका रिकॉर्डिंग करना Official Secrets Act, section 3 में नहीं आता है.

'सार्वजनिक सरकारी मीटिंग में गाली देना अपराध': अपने पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा है कि सार्वजनिक सरकारी मीटिंग में गाली तथा धमकी देना भारतीय दण्ड विधान संहिता (Indian Penal Code) धारा ३५२/५०४ के अधीन अपराध है. यदि शोभा जी ने पुलिस में निष्ठा से काम किया होता तो उनको पता होता. केवल स्त्री होने के कारण सभी दुर्गुण को गुण नहीं मान सकते.न्यायिक अपराध भारतीय सेवा के अधिकारी के लिए भी उचित नहीं हो सकता है.

'गाली देने वाले को किया जाए सम्मानित': सभी सरकारी मीटिंग रिकॉर्ड कर उस पर उपस्थित व्यक्तियों का हस्ताक्षर लिया जाता है. इसकी सही रिकॉर्डिंग से क्रोध क्यों?आगे उन्होंने लिखा कि गृहरक्षा विभाग का उद्देश्य है जनता का हृदय जीत कर उनका ऐच्छिक सहयोग लेना. गाली देने वाले अधिकारी इसके विरुद्ध आचरण कर रहे हैं. पुलिस तथा सरकार का उद्देश्य है लोक आस्था जीतना. गाली देने के अभ्यस्त अधिकारी को तुरन्त पद से हटाना चाहिए.यदि सरकार की दृष्टि में गाली देना ही अनुशासन का चिह्न है तो केवल महिला अधिकारी के लिए यह कैसे गुण हुआ? आरा में सरकारी मीटिंग में गाली देने वाले आईएएस अधिकारी के के पाठक को भी सम्मानित कर उनकी गाली को रिकॉर्ड करने वाले को दण्डित किया जाए. मेरा मन्तव्य नाम सहित प्रकाशित कर सकते हैं.

क्या है पूरा मामला?: दरअसल बिहार होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज की डीजी शोभा अहोतकर और आईजी होमगार्ड आईपीएस अधिकारी विकास वैभव के बीच चल रहे विवाद पर बयानबाजियों का दौर जारी है. डीजी होमगार्ड पर आईपीएस अधिकारी विकास वैभव को गालियां देने का आरोप है. इससे आहत आईपीएस विकास वैभव ने एक ट्वीट कर अपनी पीड़ा को बयां किया था. इसके बाद से इस पूरे मामले पर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.