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'न विधायक - न MLC, अशोक चौधरी और मुकेश सहनी बन गए मंत्री, कहां है CM नीतीश की नैतिकता'

नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में जेडीयू के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी और विकास इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ऐसे मंत्री हैं, जो फिलहाल विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.

CM Nitish
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Published : Jan 6, 2021, 6:55 PM IST

पटना: बिहार में अभी अशोक चौधरी और मुकेश सहनी बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए मंत्रिमंडल में शामिल हैं. पिछली सरकार में भी अशोक चौधरी 6 महीने तक बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री बने रहे. उनके साथ नीरज कुमार भी थे. इसको लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सवाल उठाया है.

'बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए 6 महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं. ऐसा संविधानिक प्रावधान है. लेकिन बिहार में पिछली सरकार में तो अशोक चौधरी बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए 6 महीने तक मंत्री रहे हैं और हालत यह हो गई कि 6 महीने के बाद उन्हें मंत्रिपरिषद से हटा दिया गया और जब फिर दूसरी बार सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी तो अशोक चौधरी को बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री बना दिया गया. यह साफ-साफ नियम का उल्लंघन है और ऐसी परंपरा अब तक देखने को नहीं मिली है. नीतीश कुमार कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. आखिर नीतीश कुमार की यह कौन सी नैतिकता है': उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

वहीं, जदयू और बीजेपी के नेता नीतीश कुमार का बचाव कर रहे हैं. जदयू के पूर्व विधान पार्षद और नीतीश कुमार के खासम खास संजय गांधी का कहना है कि मंत्री बनाना नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है और मुख्यमंत्री कानून के खिलाफ कुछ कर ही नहीं सकते हैं. बीजेपी के प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है कि आरजेडी नेता को संवैधानिक ज्ञान नहीं है. इसलिए इस तरह की बात कर रहे हैं.

संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता

राजनीतिक विश्लेषक एडीएम दिवाकर का कहना है कि यह तो संवैधानिक नहीं है. लेकिन अभी 6 महीना में समय बचा हुआ है और देखे उससे पहले मंत्रिमंडल में शामिल लोगों को सदस्य बना दिया जाए.

राज्यपाल कोटे से एमएलसी बन सकते हैं अशोक चौधरी
जेडीयू के बिहार के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को एक बार फिर नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट में जगह दी है. अशोक चौधरी ने मार्च 2018 में कांग्रेस को छोड़कर जेडीयू का दामन थामा था, जिसके बाद नीतीश ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह दी थी. वो एमएलसी थे और कार्यकाल 6 मई 2020 को पूरा हो गया था, जिसके चलते उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अब दोबारा से नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है, लेकिन मौजूदा समय में वो बिहार के किसी भी सदन से सदस्य नहीं हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि राज्यपाल कोटे से नीतीश कुमार उन्हें एमएलसी के लिए मनोनीत कर सकते हैं.

देखें रिपोर्ट...

किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं सहनी
विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को भी कैबिनेट में जगह दी गई है. मुकेश सहनी पहली बार मंत्री बने हैं और नीतीश सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री हैं. मौजूदा समय में किसी भी सदन के मुकेश सहनी सदस्य नहीं हैं. सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट वो अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन अपनी सीट वो जीत नहीं सके. ऐसे में उनके पास विधान परिषद सदस्य बनने का विकल्प बचता है.

मेवालाल चौधरी को देना पड़ा था इस्तीफा
नीतीश मंत्रिमंडल के गठन के बाद भ्रष्टाचार को लेकर कई प्रकार के सवाल उठा. इसके बाद ही मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वह भी मंत्री पद संभालने के कुछ ही घंटे में. अशोक चौधरी पर भी तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था. अब सबसे बड़ी बात यह है कि अशोक चौधरी 5 विभागों के मंत्री के साथ जदयू के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. तेजस्वी यादव ने सदन में भी मामला उठाया था और पूछा था कि आखिर नीतीश क्यों मेहरबान हैं. अब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी भी इस मामले को उठा रहे हैं.

पटना: बिहार में अभी अशोक चौधरी और मुकेश सहनी बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए मंत्रिमंडल में शामिल हैं. पिछली सरकार में भी अशोक चौधरी 6 महीने तक बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री बने रहे. उनके साथ नीरज कुमार भी थे. इसको लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सवाल उठाया है.

'बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए 6 महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं. ऐसा संविधानिक प्रावधान है. लेकिन बिहार में पिछली सरकार में तो अशोक चौधरी बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए 6 महीने तक मंत्री रहे हैं और हालत यह हो गई कि 6 महीने के बाद उन्हें मंत्रिपरिषद से हटा दिया गया और जब फिर दूसरी बार सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी तो अशोक चौधरी को बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री बना दिया गया. यह साफ-साफ नियम का उल्लंघन है और ऐसी परंपरा अब तक देखने को नहीं मिली है. नीतीश कुमार कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. आखिर नीतीश कुमार की यह कौन सी नैतिकता है': उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

वहीं, जदयू और बीजेपी के नेता नीतीश कुमार का बचाव कर रहे हैं. जदयू के पूर्व विधान पार्षद और नीतीश कुमार के खासम खास संजय गांधी का कहना है कि मंत्री बनाना नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है और मुख्यमंत्री कानून के खिलाफ कुछ कर ही नहीं सकते हैं. बीजेपी के प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है कि आरजेडी नेता को संवैधानिक ज्ञान नहीं है. इसलिए इस तरह की बात कर रहे हैं.

संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता

राजनीतिक विश्लेषक एडीएम दिवाकर का कहना है कि यह तो संवैधानिक नहीं है. लेकिन अभी 6 महीना में समय बचा हुआ है और देखे उससे पहले मंत्रिमंडल में शामिल लोगों को सदस्य बना दिया जाए.

राज्यपाल कोटे से एमएलसी बन सकते हैं अशोक चौधरी
जेडीयू के बिहार के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को एक बार फिर नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट में जगह दी है. अशोक चौधरी ने मार्च 2018 में कांग्रेस को छोड़कर जेडीयू का दामन थामा था, जिसके बाद नीतीश ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह दी थी. वो एमएलसी थे और कार्यकाल 6 मई 2020 को पूरा हो गया था, जिसके चलते उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अब दोबारा से नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है, लेकिन मौजूदा समय में वो बिहार के किसी भी सदन से सदस्य नहीं हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि राज्यपाल कोटे से नीतीश कुमार उन्हें एमएलसी के लिए मनोनीत कर सकते हैं.

देखें रिपोर्ट...

किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं सहनी
विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को भी कैबिनेट में जगह दी गई है. मुकेश सहनी पहली बार मंत्री बने हैं और नीतीश सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री हैं. मौजूदा समय में किसी भी सदन के मुकेश सहनी सदस्य नहीं हैं. सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट वो अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन अपनी सीट वो जीत नहीं सके. ऐसे में उनके पास विधान परिषद सदस्य बनने का विकल्प बचता है.

मेवालाल चौधरी को देना पड़ा था इस्तीफा
नीतीश मंत्रिमंडल के गठन के बाद भ्रष्टाचार को लेकर कई प्रकार के सवाल उठा. इसके बाद ही मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वह भी मंत्री पद संभालने के कुछ ही घंटे में. अशोक चौधरी पर भी तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था. अब सबसे बड़ी बात यह है कि अशोक चौधरी 5 विभागों के मंत्री के साथ जदयू के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. तेजस्वी यादव ने सदन में भी मामला उठाया था और पूछा था कि आखिर नीतीश क्यों मेहरबान हैं. अब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी भी इस मामले को उठा रहे हैं.

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