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मंडी व्यवस्था पर पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह की पहली जीत, अगले सत्र में होगी बहस - सदन में मंडी व्यवस्था का बिल

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को मंडी व्यवस्था (Mandi system in Bihar) पर कामयाबी मिली है. मंडी व्यवस्था बिल को सदन ने स्वीकृत कर लिया है. अगले सत्र में इस पर बहस होगी. सुधाकर सिंह ने किसानों के हित में लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है.

सुधाकर सिंह
सुधाकर सिंह
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Published : Dec 14, 2022, 4:22 PM IST

मंडी व्यवस्था बिल पर सुधाकर सिंह का बयान.

पटनाः पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Former Agriculture Minister Sudhakar Singh) लगातार मंडी व्यवस्था के मामले को उठाते रहे हैं. शीतकालीन सत्र में सुधाकर सिंह ने प्राइवेट मेंबर के तहत मंडी व्यवस्था बिल को लाया. विधानसभा अध्यक्ष ने सुधाकर सिंह के प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है. समय अभाव के चलते इस सत्र में प्रस्ताव पर बहस नहीं किया जा सका. अगले सत्र में मंडी व्यवस्था को लेकर सदन के अंदर बहस और वोटिंग हो सकती है.

इसे भी पढ़ेंः JDU को छोड़ महागठबंधन के सभी घटक दल मंडी व्यवस्था के पक्ष में, प्राइवेट मेंबर बिल को लेकर संशय में सरकार


फसल खरीद का जिम्मा पैक्स के पासः बिहार में किसानों के फसल खरीद का जिम्मा पैक्स के पास है. टैक्स के जरिए किसानों की फसल खरीद होती है लेकिन लालफीताशाही के चलते किसानों को फसल की उचित कीमत मिल पाती है. बिहार के राजनीतिक दल व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं और मंडी व्यवस्था को फिर से लागू करने की आवाज लगातार उठ रही है.

इसे भी पढ़ेंः 'नीतीश कुमार ने मंडी व्यवस्था खत्म कर दिया, इसलिए बिहार के किसान गरीब हैं' - प्रशांत किशोर

उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहाः बिहार के 75% आबादी कृषि पर निर्भर है. आबादी का बड़ा हिस्सा खेती के काम में लगा है. लेकिन कृषि से किसानों की आय में वृद्धि नहीं हुई है. सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आज भी किसानों को अपने उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि सुधाकर सिंह जब कृषि मंत्री थे तो हरियाणा और पंजाब की तर्ज पर मंडी व्यवस्था लागू करने की बात कही थी. इस बीच उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था.



'किसानों के हित के लिए संघर्ष करता रहूंगा. इसके लिए मुझे जो भी कीमत चुकानी पड़े. मंडी व्यवस्था को लेकर ही मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था. मेरे प्रस्ताव को सदन ने स्वीकार किया है. मुझे उम्मीद है कि तमाम राजनीतिक दल मंडी व्यवस्था को स्वीकार करेंगे'- सुधाकर सिंह, पूर्व कृषि मंत्री

मंडी व्यवस्था बिल पर सुधाकर सिंह का बयान.

पटनाः पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Former Agriculture Minister Sudhakar Singh) लगातार मंडी व्यवस्था के मामले को उठाते रहे हैं. शीतकालीन सत्र में सुधाकर सिंह ने प्राइवेट मेंबर के तहत मंडी व्यवस्था बिल को लाया. विधानसभा अध्यक्ष ने सुधाकर सिंह के प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है. समय अभाव के चलते इस सत्र में प्रस्ताव पर बहस नहीं किया जा सका. अगले सत्र में मंडी व्यवस्था को लेकर सदन के अंदर बहस और वोटिंग हो सकती है.

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फसल खरीद का जिम्मा पैक्स के पासः बिहार में किसानों के फसल खरीद का जिम्मा पैक्स के पास है. टैक्स के जरिए किसानों की फसल खरीद होती है लेकिन लालफीताशाही के चलते किसानों को फसल की उचित कीमत मिल पाती है. बिहार के राजनीतिक दल व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं और मंडी व्यवस्था को फिर से लागू करने की आवाज लगातार उठ रही है.

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उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहाः बिहार के 75% आबादी कृषि पर निर्भर है. आबादी का बड़ा हिस्सा खेती के काम में लगा है. लेकिन कृषि से किसानों की आय में वृद्धि नहीं हुई है. सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आज भी किसानों को अपने उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि सुधाकर सिंह जब कृषि मंत्री थे तो हरियाणा और पंजाब की तर्ज पर मंडी व्यवस्था लागू करने की बात कही थी. इस बीच उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था.



'किसानों के हित के लिए संघर्ष करता रहूंगा. इसके लिए मुझे जो भी कीमत चुकानी पड़े. मंडी व्यवस्था को लेकर ही मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था. मेरे प्रस्ताव को सदन ने स्वीकार किया है. मुझे उम्मीद है कि तमाम राजनीतिक दल मंडी व्यवस्था को स्वीकार करेंगे'- सुधाकर सिंह, पूर्व कृषि मंत्री

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