पटना: रक्षाबंधन के पावन त्योहार में अब बस कुछ दिन और बचे हैं. ये ऐसा त्योहार है जिसमें बाहर प्रदेश में रहने वाले लोग अपनी बहन के घर पहुंचकर कलाई पर रखी बंधवाते है. बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर जीवन भर रक्षा कामना करती है साथ ही अपने भाई के दीर्घायु होने की प्राथना करती है. रक्षाबंधन को लेकर लोकगीत गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान एक से बढ़कर एक भाई-बहन के प्रेम से भरे गीत रखिया बंधाल भईया सावन आईल, जिय तू लाखों वरीस हो, गाकर चार चांद लगाया है.
रक्षाबंधन पर मनीषा श्रीवास्तव के लोकगीत: मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि जो भाई बाहर प्रदेश में रहते हैं. रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक आता है तो बहन अपने भाई से कहती है कि अरे रखियां बढ़ावे भईया आव आजू मोरे अगनईया, ऐ वो भईया चली आवा आज मोरे अंगनइया. कई रक्षाबंधन पर गीत गाकर बहन ने भाई को संदेश भी दिया. मनीषा श्रीवास्तव कहती है कि भाई भी अपनी बहन को हर खुशी देने का वचन देता है .
"रक्षाबंधन का यह त्यौहार पवित्र त्यौहार है इसमें दिखाया गया है कि एक भाई दिन-रात मेहनत करके अपनी बहन को खुशी देता है. वहीं बहन अपने भाई के लिए हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर लंबी उम्र की कामना करती है. रक्षाबंधन पर जो लोकगीत है उससे भाई बहन को जो कहता है या बहन भाई को कहना चाहती है सभी बाते गीतों के जरिए ही कही जा सकती है."-मनीषा श्रीवास्तव, लोकगीत गायिका
सभ्यता संस्कृति को भूल रहे अभी के गायक: बता दें कि मनीषा श्रीवास्तव पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अपनी गायकी के लिए समर्पित है. उनका मानना है कि हमारी जो पारंपरिक बोल चाल है जिसको लोग बोलते हैं, सुनते हैं उसको अपने गीतों में पिरोकर वो लोगों के सामने पेश करती हैं. आज ऐसे बहुत सी महिला और पुरुष हैं जो गाना गाकर अपनी जीविका चला रहे हैं लेकिन अपनी सभ्यता संस्कृति को भूल रहे हैं.
संगीत से लोग भूल जाते हैं सभी दुख-दर्द: मनीषा आगे कहती हैं कि संगीत एक ऐसी विधा है जिसका शौक रखने से इंसान बहुत सारे दुख-दर्द को भूल जाता है. बहुत कठिन है कि आज के समय में इस कठिन जिंदगी में भी संगीत का शौक बनाए रखा जाए. संगीत सुनने से लोगों के बोझ भी हल्के होते हैं. संगीत आपको बोर नहीं होने देता है. मनीषा श्रीवास्तव लोकगीत के माध्यम से माता का गीत, भजन, लोरी, शादी के गीत गाती है, जिसको लोग खूब पसंद करते हैं. यही कारण है कि आज मनीषा श्रीवास्तव का गाना घर-घर में सुना जाता है.