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कभी गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्राता था इलाका, आज रंग-बिरंगे फूलों से बदली फिजा

पटना जिले के मसौढ़ी के भगवानगंज का इलाका कभी घोर नक्सल प्रभावित था. हवा में बारूद की गंध घुली रहती थी. गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका थर्राता था. अब यहां की स्थिति बदल गई है. फूलों की खेती से फिजा में नई रौनक फैल गई है. किसानों की भी अच्छी आमदनी हो रही है.

Flower farming
मसौढ़ी में फूलों की खेती
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Published : Dec 18, 2020, 4:06 PM IST

पटना: नक्सलियों का ननिहाल और माओवादियों की मांद कहे जाने वाले मसौढ़ी के भगवानगंज इलाके का चैनपुर गांव अब बदला-बदला सा नजर आता है, लेकिन कुछ साल पहले तक स्थिति कुछ और थी. यह हार्डकोर नक्सली कमांडर छट्ठू भगत का गांव है.

देखें रिपोर्ट

यहां रात के अंधेरे में तो छोड़िए दिन के उजाले में भी लोग जाने से डरते थे. आम लोग ही नहीं, पुलिस को भी इस गांव में जाने से पहले कई बार सोचना पड़ता था. पुलिस एनकाउंटर में नक्सली कमांडर छट्ठू के मारे जाने के बाद पूरा इलाका शांत हुआ. कई माओवादी अभी भी क्षेत्र में हैं, लेकिन भूमिगत हो चुके हैं.

50 परिवार करते हैं फूलों की खेती
इस गांव के करीब 50 परिवारों ने फूलों की खेती को अपना लिया है. फूलों की खेती से इलाका गुलजार हो गया है. चैनपुर गांव में गेंदा, अड़हुल और गुलाब के फूलों की खेती होती है. यहां के किसानों ने गेंदा के कई किस्म की खेती की है. यहां से फूल बिहार के कई जिलों में भेजा जाता है. किसान फूलों को कोलकाता भी भेजते हैं. फूल की खेती कर रहे लोगों की मानें तो लॉकडाउन में इन्हें भारी नुकसान सहना पड़ा था.

Flower farming
भगवानगंज गांव में करीब 20 एकड़ में फूलों की खेती हो रही है.

"गांव में करीब 20 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती हो रही है. हमलोग पटना, गया और कोलकाता तक फूलों की सप्लाई करते हैं. पहले यह इलाका नक्सलियों का गढ़ था. अब हमलोगों ने उस कलंक से मुक्ति पाई है."- बबन मालाकार, किसान

पटना: नक्सलियों का ननिहाल और माओवादियों की मांद कहे जाने वाले मसौढ़ी के भगवानगंज इलाके का चैनपुर गांव अब बदला-बदला सा नजर आता है, लेकिन कुछ साल पहले तक स्थिति कुछ और थी. यह हार्डकोर नक्सली कमांडर छट्ठू भगत का गांव है.

देखें रिपोर्ट

यहां रात के अंधेरे में तो छोड़िए दिन के उजाले में भी लोग जाने से डरते थे. आम लोग ही नहीं, पुलिस को भी इस गांव में जाने से पहले कई बार सोचना पड़ता था. पुलिस एनकाउंटर में नक्सली कमांडर छट्ठू के मारे जाने के बाद पूरा इलाका शांत हुआ. कई माओवादी अभी भी क्षेत्र में हैं, लेकिन भूमिगत हो चुके हैं.

50 परिवार करते हैं फूलों की खेती
इस गांव के करीब 50 परिवारों ने फूलों की खेती को अपना लिया है. फूलों की खेती से इलाका गुलजार हो गया है. चैनपुर गांव में गेंदा, अड़हुल और गुलाब के फूलों की खेती होती है. यहां के किसानों ने गेंदा के कई किस्म की खेती की है. यहां से फूल बिहार के कई जिलों में भेजा जाता है. किसान फूलों को कोलकाता भी भेजते हैं. फूल की खेती कर रहे लोगों की मानें तो लॉकडाउन में इन्हें भारी नुकसान सहना पड़ा था.

Flower farming
भगवानगंज गांव में करीब 20 एकड़ में फूलों की खेती हो रही है.

"गांव में करीब 20 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती हो रही है. हमलोग पटना, गया और कोलकाता तक फूलों की सप्लाई करते हैं. पहले यह इलाका नक्सलियों का गढ़ था. अब हमलोगों ने उस कलंक से मुक्ति पाई है."- बबन मालाकार, किसान

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