पटना: बिहार के लिए बाढ़ दामन का वह दाग है जो हर जतन के बाद भी साथ नहीं छोड़ रहा है. एक तरफ कोरोना की महामारी तो दूसरी तरफ बिहार में बाढ़ की त्रासदी ने 10 जिले के 3 हजार से ज्यादा गांव को अपनी जद में ले लिया है. बाढ़ ने 8 लाख से ज्यादा लोगों की पूरी जिंदगी ही बेपटरी कर दी है.
बिहार के 10 जिले सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर, गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, खगड़िया एवं पूर्वी चंपारण के कुल 55 प्रखंडों की 300 पंचायतों के लगभग 3 हजार गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. इधर, सरकार के दावों के विपरीत लोगों की परेशानी बाढ़ के कारण बढ़ी हुई है.
बिहार में कई नदियां उफान पर
बिहार में गंडक व कोसी सहित कई नदियों के जल-स्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ के हालात गंभीर हो गए हैं. गंडक खतरे के निशान पार कर गई है. बिहार में 23 जुलाई को प्रमुख नदियों का जलस्तर आप फोटो में देख सकते हैं.
बिहार की बाढ़ में डूब गया सब कुछ
बिहार के 10 जिलों की 8 लाख से ज्यादा की आवदी सीधे बाढ़ की चपेट में है. लोगों के घर डूब गए. गांव डूब गए. खेतों में लगी धान और मक्के की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है. जिस इलाके में बाढ़ का पानी अपना विकराल रूप दिखा रहा है उससे प्रभावित अधिकांश लोगों की जीविका का आधार ही खेती है और अब उनकी आजीविका भी बाढ़ के पानी के साथ बह गयी है.
किसानों को नुकसान उनकी मवेशी को लेकर भी हुआ है. सभी जिलों में लगभग 4 हजार से ज्यादा मवेशी को लोगों ने छोड़ दिया है. नदियों में लगातार हो रहे कटाव के कारण कई सरकारी स्कूलों के भवन भी नदी में कट गए हैं. वहीं अभी तक लगभग 15 सौ से ज्यादा घर विभिन्न नदियों के कटाव की भेट चढ़ चुके हैं. पानी ज्यादा बढ़ने के कारण दरभंगा समस्तीपुर रेल लाइन पर रेल गाड़ियों का परिचालन बंद हो गया है.
बाढ़ टूटें, गांव डूबे
बात बिहार में बड़े नुकसान की करें तो गोपालगंज में पहुंच पथ गंडक की बाढ़ में बह गया. जिसके कारण आवागमन प्रभातिव हुआ है. कई जमीदारी बांधों से पानी का रिसाव हो रहा है. शुक्रवार को दोपहर बाद मोतिहारी एनएच 28 पर प्रशासन ने परिचालन प्रतिबंधित कर दिया है. जिससे एनएच पर बने पुल के पास पहुंच पथ से रिसाव शुरू हो गया है.
वहीं पूर्वी चंपारण में तटबंध टूट जाने से दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी भर गया है. दरभंगा में महाराज बांध टूट गया जबकि सारण तटबंध दो स्थानों पर टूट गया है. जिसके कारण गोपालगंज, बेतिया, मुजफफरपुर के कई इलाके बाढ़ की चपेट में है.
बिहार में बाढ़ और सरकारी दावे
बिहार के 10 जिलों में आई बाढ़ को लेकर नीतिश सरकार ने सभी जिलें के डीएम को अलर्ट रखने का निर्देश दिया है. वहीं आपदा प्रबंधन के साथ ही लघु जल संसाधन, और अन्य विभाग को अलर्ट पर रखा है. बाढ़ को लेकर सरकार ने इन विभागों को 24 घंटे के अलर्ट मोड में रखा है.
बाढ़ प्रभावित लोगों को बाढ़ वाले इलाके से निकालने के लिए नांव की व्यवस्था के साथ ही उंचे स्थान पर रहने के लिए तिरपाल की व्यवस्था भी की गयी है. बाढ़ प्रभातिव इलाकों में तीन दर्जन से ज्यादा स्कूलों को बाढ़ राहत कैंप के रूप में रखा गया है. सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने के उद्देश्य से 134 कम्युनिटी किचन की व्यवस्था भी की है.
दवा के इंतजाम का निर्देश
बाढ़ को लेकर सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट मोड पर रखा है. सरकार क तरफ से सभी जिलों के डीएम को यह निर्देश है कि बाढ़ के समय में डायरिया के साथ ओआरएस घोल और सर्प दंश की होने वाली घटना से लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त दवा का भंडार रखा जाय.
बाढ़ से जनता बेहाल, सरकार बेफिक्र: तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता और बिहार विधान सभा में नेता प्रति पक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जनता का सुध लेने वाला कोई नहीं है. बिहार की जनता बाढ़ की त्रासदी झेल रही है और नीतिश कुमार पिछले 4 महीने से अपने महल में आराम कर रहे है.
तेजस्वी ने आगे कहा कि प्रदेश का मुखिया ही जब बंद कमरे में आराम फरमाएगा, तो नौकरशाही का निरंकुश होना तय है. पटना से मधुबनी, दरभंगा और सुपौल में बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने पहुचे तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सरकार बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने में पूरी तरह से फेल है.
'सभी तटबंध सुरक्षित, अलर्ट मोड में सरकार'
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि बाढ़ प्राकृतिक विपदा है और इससे बिहार को भारी नुकसान होता है. संजय झा ने कहा कि हम हर स्थित से निपटने को तैयार हैं ओर जो भी बाढ़ प्रभावित हैं उन्हें हम हर संभव राहत देने का काम कर रहे है.