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पटना में उफनती गंगा नदी का कहर जारी, नकटा पंचायत के सभी 14 वार्ड बने टापू

पटना (Patna) में गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से पंचायत के कई वार्ड टापू बन गए हैं. यहां रहने वाले लोग घरों में नहीं बल्कि 'नदियों' में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

बाढ़
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Published : Aug 9, 2021, 7:17 AM IST

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में गंगा नदी (Ganga River) खतरे के निशान से महज दो इंच नीचे बह रही है. लेकिन दियारा इलाके में बाढ़ (Flood Condition) जैसे हालात हैं. नीचे के इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. गंगा नदी का पानी तेजी से गांवों को घेरने में लगा है. नकटा दियारा क्षेत्र के कई गांव टापू में तब्दील हो गया है. इस बीच लोगों को काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें: पटना के इन निचले इलाकों में बाढ़ ने फिर मचाही तबाही, मुश्किल में लोगों की जिंदगी

ये हालात सदर के नकटा दियारा पंचायत (Nakata Diyara Panchayat) के सभी वार्ड की है. जहां गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से सभी 14 वार्ड डूबा चुके हैं. पिछले 8 दिनों से नकटा पंचायत के सभी वार्डों में गंगा का पानी घुस हुआ है. शनिवार को वो दिन भी आया जब गंगा खतरे की निशान से अचानक उपर बहने लगी. इस बात की जानकारी क्षेत्र के मुखिया भागीरथ प्रसाद ने जिलाधिकारी डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह को दी.

देखें रिपोर्ट.

रविवार को पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह अपने टीम के साथ निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पाया कि स्थिति कंट्रोल से बाहर होती जा रही है. उन्होंने आपदा की घड़ी में सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता पीड़ितों को दिलाने के लिए आश्वस्त किया.

'इस बार मेरे गांव में गंगा के पानी से त्राहिमाम मचा हुआ है. क्षेत्र में एक सप्ताह से अधिक पानी जमा होने के चलते सभी चीजों की समस्या हो गई है. घर में रखा राशन भी बर्बाद हो चुका है. गंदा पानी सभी को पीना ही पड़ रहा है. साथ ही लोगों को सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव-जन्तुओं का खतरा बना रहता है.' -रणधीर कुमार सिंह, ग्रामीण

ये भी पढ़ें: पटना: दानापुर दियारा के निचले इलाकों में घुसा बाढ़ का पानी, 2 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित

बता दें कि क्षेत्र में 6 से 8 फीट पानी होने के चलते सभी कार्य नाव के जरिए किया जा रहा है. बच्चों को भूखा ही सोना पड़ रहा है. पंचायत के सभी घर जलमग्न हो चुके हैं. जिसके कारण लोग गंदे पानी में ही जिंदगी काटने को मजबूर हैं. गांव की एक महिला ने बताया कि घर में अनाज तक नहीं है. साथ ही मवेशियों के लिए चारा भी नहीं बचा.

ऐसे हालात में नाविक ग्रामीणों को शहर पहुंचाने के लिए मनमाने ढंग से पैसा वसूल रहे हैं. वहीं खेत में लगे हजारों एकड़ फसल और सब्जियां भी बर्बाद हो गई है. बता दें कि क्षेत्र में 12 हजार की आबादी है, जो अपना जान जोखिम में डालकर पानी में ही रहने को मजबूर हैं.

'मैं बाढ़ ग्रसित क्षेत्र का लगातार जायजा ले रहा हूं. यहां का हालात यह हो गया है कि चारों ओर पानी ही पानी है. मैं बाढ़ पीड़ितो के लिए सरकार से खाने-पीने का सामान, मवेशियों के किए चारा, एक दर्जन नाव सहित आवश्यक सामग्री देने की मांग करता हूं. मुख्यमंत्री को खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आकर जायजा लेना चाहिए. हवाई यात्रा करके 1,000 फीट ऊपर से कुछ समझ में नहीं आएगा.' -राम भजन सिंह, समाजिक कार्यकर्ता

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में गंगा नदी (Ganga River) खतरे के निशान से महज दो इंच नीचे बह रही है. लेकिन दियारा इलाके में बाढ़ (Flood Condition) जैसे हालात हैं. नीचे के इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. गंगा नदी का पानी तेजी से गांवों को घेरने में लगा है. नकटा दियारा क्षेत्र के कई गांव टापू में तब्दील हो गया है. इस बीच लोगों को काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है.

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ये हालात सदर के नकटा दियारा पंचायत (Nakata Diyara Panchayat) के सभी वार्ड की है. जहां गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से सभी 14 वार्ड डूबा चुके हैं. पिछले 8 दिनों से नकटा पंचायत के सभी वार्डों में गंगा का पानी घुस हुआ है. शनिवार को वो दिन भी आया जब गंगा खतरे की निशान से अचानक उपर बहने लगी. इस बात की जानकारी क्षेत्र के मुखिया भागीरथ प्रसाद ने जिलाधिकारी डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह को दी.

देखें रिपोर्ट.

रविवार को पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह अपने टीम के साथ निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पाया कि स्थिति कंट्रोल से बाहर होती जा रही है. उन्होंने आपदा की घड़ी में सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता पीड़ितों को दिलाने के लिए आश्वस्त किया.

'इस बार मेरे गांव में गंगा के पानी से त्राहिमाम मचा हुआ है. क्षेत्र में एक सप्ताह से अधिक पानी जमा होने के चलते सभी चीजों की समस्या हो गई है. घर में रखा राशन भी बर्बाद हो चुका है. गंदा पानी सभी को पीना ही पड़ रहा है. साथ ही लोगों को सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव-जन्तुओं का खतरा बना रहता है.' -रणधीर कुमार सिंह, ग्रामीण

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बता दें कि क्षेत्र में 6 से 8 फीट पानी होने के चलते सभी कार्य नाव के जरिए किया जा रहा है. बच्चों को भूखा ही सोना पड़ रहा है. पंचायत के सभी घर जलमग्न हो चुके हैं. जिसके कारण लोग गंदे पानी में ही जिंदगी काटने को मजबूर हैं. गांव की एक महिला ने बताया कि घर में अनाज तक नहीं है. साथ ही मवेशियों के लिए चारा भी नहीं बचा.

ऐसे हालात में नाविक ग्रामीणों को शहर पहुंचाने के लिए मनमाने ढंग से पैसा वसूल रहे हैं. वहीं खेत में लगे हजारों एकड़ फसल और सब्जियां भी बर्बाद हो गई है. बता दें कि क्षेत्र में 12 हजार की आबादी है, जो अपना जान जोखिम में डालकर पानी में ही रहने को मजबूर हैं.

'मैं बाढ़ ग्रसित क्षेत्र का लगातार जायजा ले रहा हूं. यहां का हालात यह हो गया है कि चारों ओर पानी ही पानी है. मैं बाढ़ पीड़ितो के लिए सरकार से खाने-पीने का सामान, मवेशियों के किए चारा, एक दर्जन नाव सहित आवश्यक सामग्री देने की मांग करता हूं. मुख्यमंत्री को खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आकर जायजा लेना चाहिए. हवाई यात्रा करके 1,000 फीट ऊपर से कुछ समझ में नहीं आएगा.' -राम भजन सिंह, समाजिक कार्यकर्ता

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