पटना: बिहार की राजधानी पटना से सटे धनरूआ प्रखंड के वीर ओरियारा पंचायत का गौरीशंकर मंदिर जिसे बुढ़वा महादेव मंदिर (Patna Budhwa Mahadev Temple) भी कहा जाता है. यह मंदिर महाशिवरात्रि पर कुछ ज्यादा ही प्रासंगिक हो जाता है. यहां बिहार के बाहर से भी लोग पूजा करने शिवरात्रि के मौके पर पहुंचते हैं. इस मंदिर का मुख्य आकर्षण का केंद्र मंदिर में स्थापित 5 फीट का शिवलिंग है. इसकी पूजा और दर्शन के लिए महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है. वैसे यहां आम दिन भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन शिवरात्रि और सावन में भीड़ कुछ ज्यादा होती है.
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मंदिर से जुड़ी है संतान प्राप्ति की मान्यताः इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि संतान सुख की कामना और शादी विवाह में जिसे बाधा हो रही होती है. उनकी यहां पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है और उनकी सारी बाधा दूर हो जाती है. यहां मुराद पूरी करने के लिए एक गाय के बच्चे का कान काटकर छोड़ने की पुरानी प्रथा भी है. इस मंदिर के बारे में लोगों का कहना है कि यह हजारों साल पुराना मंदिर है. इसका इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि खुदाई के दौरान यह 5 फीट का शिवलिंग प्राप्त हुआ था. इसमें माता गौरी और भगवान शिव की आकृति थी.
हजारों साल पुराना है मंदिर का इतिहासः इस मंदिर के पुजारी दयाशंकर पांडे की माने तो इस मंदिर का पुराना इतिहास रहा है. इसकी खासियत यही है कि महादेव यहां खुद से निकले हैं. इसे जब मंदिर में स्थापित किया गया तो शिवलिंग का मुख पहले पूरब दिशा में था. कहा जाता है कि यहां एक श्रद्धालु आया और कहा कि आप अपनी शक्ति दिखाएं. आप पूरब से पश्चिम हो जाईये तो मैं अपनी जीभ काटकर चढ़ा दूंगा. तब से शिवलिंग का मुख पश्चिम दिशा में हो गया. इस चमत्कार को देख दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना करने के लिए आने लगे और शिवरात्रि के मौके पर यहां पर मेला लगता है.
"यह वीर धाम मंदिर है. इसका इतिहास बहुत पुराना है. यहां स्थापित शिवलिंग का इतिहास हजारों साल पुराना. इसकी खासियत यही है कि महादेव यहां खुद से निकले हैं. इसमें गौरा पर्वती और महादेव का मंदिर है. यहां बाहर के राज्यों से भी लोग आते हैं. भोले बाबा का मुह पूर्व की ओर था. कहा जाता है कि यहां एक श्रद्धालु आया और कहा कि आप अपनी शक्ति दिखाएं. आप पूरब से पश्चिम हो जाईये तो मैं अपनी जीभ काटकर चढ़ा दूंगा" -दयानंद पांडेय, पुजारी, गौरीशंकर मंदिर, धनरूआ