पटना : राजधानी पटना (Patna Crime News ) में हैदराबाद की एक कंपनी के खिलाफ पटना के कोतवाली थाना में (FIR On Hyderabad Company In Patna ) जालसाजी की FIR दर्ज कराई गई है. दरअसल, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण युवाओं का कौशल विकास एवं नियोजन का जिम्मा हैदराबाद की मेसर्स स्काईलार्क इंफोवेव्स प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी ने लिया. हालांकि बिना काम के ही अग्रिम भुगतान का ब्याज सहित करीब 2 करोड़ 10 लाख 24 हजार रुपये लेकर (Fraud In Skill Development Scheme) फरार हो गई. चयन और समझौता अनुरूप काम नहीं होने पर संबंधित विभाग के अधिकारी कई बार एजेंसी के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किये, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
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जीविका से 1.17 करोड़ की ठगी के मामले में गुरुवार को इस मामले में बीआरएलपीएस (जीविका) के राज्य परियोजना प्रबंधक अरविंद कुमार सिन्हा एजेंसी के निदेशक गोविंद राव, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता श्रीधर रेड्डी सहित अन्य के खिलाफ कोतवाली में धोखा, गबन एवं धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई है. प्राथमिकी दर्ज होने की पुष्टि करते हुए कोतवाली इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है.
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण विकास निगम बिहार सरकार द्वारा राज्य के ग्रामीण युवकों के कौशल एवं नियोजन हेतु दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना चलाई जा रही है. राज्य के विभिन्न जिलों में ग्रामीण युवाओं के प्रशिक्षण हेतु 4 करोड़ 17 लाख 14 हजार रुपये की परियोजना हेतु चयन के उपरांत उक्त एजेंसी के साथ 22 अगस्त 2014 में एकरारनामा किया गया. फिर 8 जुलाई 2014 को कार्य आदेश निर्गत किया गया. एजेंसी को राज्य के विभिन्न जिलों में तीन साल में कुल 958 युवाओं को कौशल विकास एवं नियोजन का लक्ष्य दिया गया था.
एजेंसी को जीविका द्वारा कुल स्वीकृत राशि का अग्रिम भुगतान 25 प्रतिशत यानी 1 करोड़ 17 लाख 77 हजार रुपये 3 सितंबर 2015 को एजेंसी के केनरा बैंक के हैदराबाद शाखा में भेजा गया. इस बीच निरंतर अनुश्रवण करने के बाद पता चला कि एजेंसी द्वारा इकरारनामा के अनुरूप युवाओं को कौशल प्रशिक्षण एवं नियोजन प्रदान करने का कार्य नहीं हो रहा है. इसके बाद 15 मई 2016 को येलो अलर्ट जारी किया गया और एजेंसी को पत्र भेजा गया. पत्र के जवाब में एजेंसी द्वारा कमी को पूरा करने के लिए योजना दिया गया था, लेकिन परियोजना में कोई संतोषजनक प्रगति नहीं दिखाई दी.
मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के स्तर पर एजेंसी को एक और मौका सुनवाई के माध्यम 22 मई 2017 को दिया गया. एजेंसी द्वारा प्रस्तुत आंकड़ा का अंतर काफी होने के कारण तथा परियोजना की उपलब्धि योजना के अनुरूप नहीं होने की वजह से एजेंसी को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया. आदेश पारित किया गया कि प्रशिक्षण के बैच को 31 मार्च 2017 तक फ्रीज कर लिया जाए.
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एकरारनामा बहाली के बाद ईमेल के माध्यम से एजेंसी को प्रशिक्षण प्रारंभ करने के लिए चार बार पत्र भेजा गया, बावजूद कोई जवाब नहीं मिला. 3 अगस्त 2018 को राज्य स्तर पर काली सूची में डाल दिया गया. भारत सरकार को पत्र के माध्यम से एजेंसी को राष्ट्रीय स्तर पर काली सूची में डालने की अनुशंसा की था. एजेंसी को अग्रिम रकम को सूद समेत 2 करोड़ 10 लाख 24 हजार लौटाने के लिए पत्र भेजा गया. सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन राशि नहीं लौटाई गई.
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