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बिहार में बनी फिल्म 'Grinding Humanity' को 20 लाख में किया गया तैयार, लोग कर रहे जमकर तारीफ

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Published : Jul 23, 2022, 2:15 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 7:12 PM IST

15 जूलाई को बड़े पर्दे पर रिलीज हुई बिहार में बनी फिल्म ग्राइंडिंग ह्यूमिनिटी (Film Grinding Humanity) केवल 20 लाख रुपये की लागत से बन कर तैयार हुई है. इतने कम खर्च में इस फिल्म को बड़े पर्दे तक किस तरह पहुंचाया गया. आईये जानते हैं, इसकी पूरी कहानी कलाकारों और निर्देशक की जुबानी.....

फिल्म ग्राइंडिंग ह्यूमिनिटी के कलाकार
फिल्म ग्राइंडिंग ह्यूमिनिटी के कलाकार

पटनाः बिहार के थिएटर कलाकारों को लेकर बनी फिल्म ग्राइंडिंग ह्यूमिनिटी (Film Grinding Humanity made in Bihar for 20 lakhs) 15 जूलाई को रिलीज होने के बाद से ही धूम मचा रही है. लंबे अर्से से इस फिल्म की चर्चा हो रही थी. जनवरी में इसका गाना 'उम्मीद दीवानी' रिलीज हुआ था और इस गाने के बोल ने यह अहसास करा दिया था कि यह फिल्म लीक से हटकर है. सबसे खास बात यह है बिहार के थिएटर कलाकारों ने एक-एक रुपये जोड़कर इस फिल्म को बनाया है और फिल्म बिहार में ही शूट हुई है. इस फिल्म के सभी कलाकार बिहार के हैं. यही वजह है कि इस फिल्म को लेकर बिहार के लोगों में काफी उत्सुकता है.

ये भी पढ़ेंः BJP विधायक ने कार्यकर्ताओं के साथ देखी 'द कश्मीर फाइल्स', कहा- 'फिल्म में दिखाई गई कश्मीर की वास्तविकता'

लीक से हटकर है फिल्मः फिल्म को लेकर ईटीवी भारत ने इसके मुख्य कलाकारों से खास बातचीत की. फिल्म के लेखक और निर्देशक रूचिन वीणा चैनपुरी (Directer Ruchin Veena Chainpuri) हैं. जो पटना में ही रहकर लीक से हटकर फिल्में बनाने लिए जाने जाते हैं. इससे पहले नाइन, बाथटब जैसी शॉर्ट फिल्मों से उन्हें काफी सरहाना मिली थी. रूचिन बताते हैं कि बेहद कम संसाधनों में इस फिल्म का निर्माण हुआ और इसमें स्थानीय कलाकारों की भूमिका अहम रही. उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश में जाति धर्म की बात हो रही है उससे यह फिल्म हटके है. धर्म से बड़ी इंसानियत होती है और इसी को इस फिल्म में दर्शाया गया है.

ये भी पढ़ेंः बिहार में बनी फिल्म 'मधुबनी: द स्टेशन ऑफ कलर्स' को मिलेगा राष्ट्रीय पुरस्कार

झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शितः फिल्म के निर्देशक रूचिन वीणा चैनपुरी ने बातचीत के दौरान बताया कि आज मुख्यधारा की बड़े-बड़े बजट की फिल्में बन रही हैं लेकिन इससे अलग हटकर हमने अलग कॉन्सेप्ट पर काम किया. ये दर्शकों को पसंद भी आ रही है. बिहार के अलावा ये फिल्म झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शित की जाएगी. इस फिल्म की शूटिंग बिहार के कई जिलो में की गई है. पटना के एनआईटी, दीघा ब्रिज सासाराम, नालंदा, राजगीर की वादियों में शूट किया गया और कुछ दिल्ली में शूट हुई है.

"बिहार के कलाकार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. हालांकि इस फिल्म या बिहार में फिल्म नीति को लेकर के सरकार के पास कोई रूपरेखा नहीं है. जिस कारण से बिहार में फिल्म नहीं बन पाती है लेकिन हम लोगों ने ये प्रयास किया है और पेट काटकर इस फिल्म को 20 लाख रुपये में बनाया गया. अगर सरकार का सपोर्ट मिलता तो यह फिल्म और अच्छे ढंग से प्रदर्शित की जा सकती थी"- रूचिन वीणा चैनपुरी, निर्देशक

"साफ सुथरी और संदेश देने वाली फ़िल्म बनाई गई है. बिहार प्रतिभाओं से भरा पड़ा है बस सही रास्ता दिखाने वाले नहीं मिलते हैं, अगर रास्ता दिखाने वाले आगे आएं तो बिहार और आगे बढ़ सकता है"- जिया हसन, प्रोडक्शन डिजाइनर

"हमने फिल्म की दुनिया में पहली बार कदम रखा है. चुनौती तो बहुत थी, थिएटर से काफी पहले से जुड़े हुए हैं और थिएटर से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. अब शूटिंग के दौरान भी तमाम चीजों की जानकारी मिली, बहुत कुछ सीखने का मिला"- आकांक्षा सिंह, अभिनेत्री

"बिहार में टैलेंट की कोई कमी नहीं है. हम लोगों ने मिलकर इस फिल्म को बनाया है और यह फिल्म धर्म से ऊपर इंसानियत का संदेश देती है जिसमें मेरा किरदार एक मुस्लिम लड़के का है. बिहार सरकार को फिल्म नीति पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे कि यहां के युवा कलाकारों को मौका मिल सके और बिहार में फिल्म भी शूटिंग हो, जिससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा"- दानिश अंसारी, अभिनेता

ये भी पढ़ेंः 31 जनवरी को रिलीज होगी भोजपुरी फिल्म 'दूल्हा बिकता है', बिहार में ही हुई है पूरी शूटिंग

फिल्म लोगों को आ रही काफी पसंदः वहीं, कास्टिंग डायरेक्टर रंजीत राज ने बताया कि फिल्म की शूटिंग 20 दिन और 20 लाख रुपये में तैयार की गई. कम संसाधन में जो फिल्म हम लोगों के द्वारा बनाई गई है वह लोगों को काफी पसंद आ रही है. थिएटर से जो लोग निकलते हैं वह इस फिल्म के बारे में जिक्र करते नहीं थकते. रंजीत ने बताया कि ग्राइंडिंग ह्यूमानिटी विशेष रूप से बिहार के कलाकारों और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा निर्मित यह फिल्म बिहार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी. 75 प्रतिशत फिल्म की शूटिंग सीमित संसाधनों में बिहार के अलग-अलग स्थानों पर की गई है. रंजीत फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर हैं, जो लंबे अर्से से रंगमंच से भी जुड़े रहे हैं.

पटनाः बिहार के थिएटर कलाकारों को लेकर बनी फिल्म ग्राइंडिंग ह्यूमिनिटी (Film Grinding Humanity made in Bihar for 20 lakhs) 15 जूलाई को रिलीज होने के बाद से ही धूम मचा रही है. लंबे अर्से से इस फिल्म की चर्चा हो रही थी. जनवरी में इसका गाना 'उम्मीद दीवानी' रिलीज हुआ था और इस गाने के बोल ने यह अहसास करा दिया था कि यह फिल्म लीक से हटकर है. सबसे खास बात यह है बिहार के थिएटर कलाकारों ने एक-एक रुपये जोड़कर इस फिल्म को बनाया है और फिल्म बिहार में ही शूट हुई है. इस फिल्म के सभी कलाकार बिहार के हैं. यही वजह है कि इस फिल्म को लेकर बिहार के लोगों में काफी उत्सुकता है.

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लीक से हटकर है फिल्मः फिल्म को लेकर ईटीवी भारत ने इसके मुख्य कलाकारों से खास बातचीत की. फिल्म के लेखक और निर्देशक रूचिन वीणा चैनपुरी (Directer Ruchin Veena Chainpuri) हैं. जो पटना में ही रहकर लीक से हटकर फिल्में बनाने लिए जाने जाते हैं. इससे पहले नाइन, बाथटब जैसी शॉर्ट फिल्मों से उन्हें काफी सरहाना मिली थी. रूचिन बताते हैं कि बेहद कम संसाधनों में इस फिल्म का निर्माण हुआ और इसमें स्थानीय कलाकारों की भूमिका अहम रही. उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश में जाति धर्म की बात हो रही है उससे यह फिल्म हटके है. धर्म से बड़ी इंसानियत होती है और इसी को इस फिल्म में दर्शाया गया है.

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झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शितः फिल्म के निर्देशक रूचिन वीणा चैनपुरी ने बातचीत के दौरान बताया कि आज मुख्यधारा की बड़े-बड़े बजट की फिल्में बन रही हैं लेकिन इससे अलग हटकर हमने अलग कॉन्सेप्ट पर काम किया. ये दर्शकों को पसंद भी आ रही है. बिहार के अलावा ये फिल्म झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शित की जाएगी. इस फिल्म की शूटिंग बिहार के कई जिलो में की गई है. पटना के एनआईटी, दीघा ब्रिज सासाराम, नालंदा, राजगीर की वादियों में शूट किया गया और कुछ दिल्ली में शूट हुई है.

"बिहार के कलाकार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. हालांकि इस फिल्म या बिहार में फिल्म नीति को लेकर के सरकार के पास कोई रूपरेखा नहीं है. जिस कारण से बिहार में फिल्म नहीं बन पाती है लेकिन हम लोगों ने ये प्रयास किया है और पेट काटकर इस फिल्म को 20 लाख रुपये में बनाया गया. अगर सरकार का सपोर्ट मिलता तो यह फिल्म और अच्छे ढंग से प्रदर्शित की जा सकती थी"- रूचिन वीणा चैनपुरी, निर्देशक

"साफ सुथरी और संदेश देने वाली फ़िल्म बनाई गई है. बिहार प्रतिभाओं से भरा पड़ा है बस सही रास्ता दिखाने वाले नहीं मिलते हैं, अगर रास्ता दिखाने वाले आगे आएं तो बिहार और आगे बढ़ सकता है"- जिया हसन, प्रोडक्शन डिजाइनर

"हमने फिल्म की दुनिया में पहली बार कदम रखा है. चुनौती तो बहुत थी, थिएटर से काफी पहले से जुड़े हुए हैं और थिएटर से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. अब शूटिंग के दौरान भी तमाम चीजों की जानकारी मिली, बहुत कुछ सीखने का मिला"- आकांक्षा सिंह, अभिनेत्री

"बिहार में टैलेंट की कोई कमी नहीं है. हम लोगों ने मिलकर इस फिल्म को बनाया है और यह फिल्म धर्म से ऊपर इंसानियत का संदेश देती है जिसमें मेरा किरदार एक मुस्लिम लड़के का है. बिहार सरकार को फिल्म नीति पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे कि यहां के युवा कलाकारों को मौका मिल सके और बिहार में फिल्म भी शूटिंग हो, जिससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा"- दानिश अंसारी, अभिनेता

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फिल्म लोगों को आ रही काफी पसंदः वहीं, कास्टिंग डायरेक्टर रंजीत राज ने बताया कि फिल्म की शूटिंग 20 दिन और 20 लाख रुपये में तैयार की गई. कम संसाधन में जो फिल्म हम लोगों के द्वारा बनाई गई है वह लोगों को काफी पसंद आ रही है. थिएटर से जो लोग निकलते हैं वह इस फिल्म के बारे में जिक्र करते नहीं थकते. रंजीत ने बताया कि ग्राइंडिंग ह्यूमानिटी विशेष रूप से बिहार के कलाकारों और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा निर्मित यह फिल्म बिहार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी. 75 प्रतिशत फिल्म की शूटिंग सीमित संसाधनों में बिहार के अलग-अलग स्थानों पर की गई है. रंजीत फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर हैं, जो लंबे अर्से से रंगमंच से भी जुड़े रहे हैं.

Last Updated : Jul 23, 2022, 7:12 PM IST
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