पटना: बिहार के लाल द्वारा बनाई गई शॉर्ट फिल्म 'चंपारण मटन' की चर्चा इन दिनों देश में हो रही है. फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर अवार्ड के सेमीफाइनल में पहुंच गई है. फिल्म के डायरेक्टर रंजन कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. रंजन कुमार ने बताया कि मैं पुणे स्थित फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में डायरेक्शन की पढ़ाई करता हूं और यह फाइनल ईयर प्रोजेक्ट के तहत फिल्म बनाई गई है.
'कोरोना काल में लिखी गई फिल्म की कहानी': फिल्म चंपारण मटन के डायरेक्टर रंजन कुमार ने कहा कि मैं बिहारी हूं इसलिए मेरी फिल्म में भी बिहार की खुशबू आ ही जाती है. जब मुझे डिप्लोमा के लिए स्क्रिप्ट सबमिट करना था तो कोरोना संक्रमण काल था. मैं अपने घर हाजीपुर में था. उस समय हमने इस फिल्म की कहानी लिखी.
फिल्म का नाम चंपारण मटन क्यों?: डायरेक्टर रंजन कुमार से जब पूछा गया कि फिल्म का नाम चंपारण मटन क्यों रखा गया तो उन्होंने कहा कि चंपारण मटन इस फिल्म का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि मेरा ननिहाल चंपारण में है. मेरा पूरा बचपन ननिहाल में गुजरा है, जिसके कारण मेरा वहां से लगाओ है. चंपारण में मटन का काफी क्रेज रहा है.
"मेरी मां अभी कुछ दिन पहले तक चंपारण में ही रह रही थी. चंपारण में मटन का काफी क्रेज है. सुबह हो या शाम के नाश्ते में लोग मटन चिकन खाते हैं. इसलिए इस फिल्म की कहानी भी मटन के इर्द-गिर्द घूम रही है."- रंजन कुमार,डायरेक्टर, शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन
क्या है फिल्म की कहानी?: रंजन ने अपनी फिल्म की कहानी के बारे में बताया कि एक पत्नी अपने पति से मटन खाने की इच्छा जाहिर करती है. पति कितनी जद्दोजहद के बाद अपनी पत्नी को मटन खिलाता है, फिल्म में दर्शाया गया है. छोटी-छोटी चीजों को ध्यान में रखते हुए फिल्म की कहानी को लिखा है. एक एक डायलॉग को मोती की तरह पिरोया है. इसलिए इस फिल्म का नाम चंपारण मटन रखा गया है.
"यह फिल्म लव स्टोरी फिल्म के साथ पति-पत्नी की कहानी है. परिवार चलाने के लिए पैसे की कितनी जरूरत होती है, यह तमाम चीज इस शॉर्ट मूवी में दिखाई गई है."- रंजन कुमार,डायरेक्टर, शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन
'पंचायत वेबसीरीज' के एक्टर चंदन ने निभाया है अहम किरदार: रंजन कुमार ने बताया कि फिल्म बज्जिका में बनी है बज्जिका के साथ हिंदी का भी इस्तमाल किया गया है. बज्जिका भाषा में पहली फिल्म है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में चंदन राय और फलक खान का अभिनय है. रंजन कुमार ने कहा कि चंदन राय नेम फेम कलाकार हैं. उनको बुलाने के लिए हमने उनको बताया कि मैं हाजीपुर का रहने वाला हूं और मैं अपनी भाषा में डिप्लोमा के लिए फिल्म तैयार कर रहा हूं. अगर आप काम करेंगे तो अच्छा रहेगा. फिर उन्होंने बिहार और हाजीपुर का नाम सुनते ही हामी भर दी क्योंकि चंदन राय हाजीपुर महनार से आते हैं.
बिहार के कलाकारों से सजी है फिल्म: वहीं उन्होंने बताया कि फिल्म चंपारण मटन में बिहार के 9 कलाकारों ने काम किया है. जिसमे चंदन राय हाजीपुर महनार के हैं. फलक खान मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं. मीरा झा दरभंगा की है. अमन झा जमदाहा हाजीपुर के है.अरहत बेगूसराय के हैं. जब फिल्म बनी तो एफडीआई द्वारा विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया है. फिल्म की कहानी लोगों को काफी पसंद आई, तब जाकर यह फिल्म ऑस्कर के सेमीफाइनल में पहुंची है.
अक्टूबर में फाइनल रिजल्ट: उन्होंने आगे कहा कि अक्टूबर में इसके फाइनल रिजल्ट का इंतजार है. रंजन कुमार ने बिहार सरकार से मांग की है कि बिहार में एक अच्छा ऑडियो विजुअल हॉल तक नहीं है. बिहार सरकार को बिहार में फिल्म स्कूल कॉलेज स्थापित करना चाहिए जिससे कि बिहार के छात्र छात्राओं को फिल्म के बारे में या अध्ययन करने के लिए दूसरे प्रदेश में जाना ना पड़े.
चार श्रेणियों में दिया जाता है अवार्ड: बता दें कि यह अवार्ड चार श्रेणियों में दिया जाता है. शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन नैरेटिव कैटेगरी में सिलेक्ट हुई है. सेमीफाइनल में फिल्म चंपारण मटन का मुकाबला 16 फिल्मों से होगा. नैरेटिव के अलावा इस फिल्म का चयन तीन श्रेणी में भी हुआ है. चंपारण मटन भारतीय फिल्म है जो ऑस्कर अवॉर्ड के रेस में है. स्टूडेंट अकादमी अवार्ड फिल्म मेकिंग से जुड़े संस्थानों और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट को दिया जाता है , जो ऑस्कर की ही एक ब्रांच होती है. 1972 से यह अवार्ड अच्छी फिल्म मेकिंग के लिए दिया जाता है.